नयी दिल्ली : जदयू ने भाजपा नीत राजग से रिश्ते तोड़ने के बाद बने नए राजनीतिक समीकरणों की पृष्ठभूमि में पार्टी के तीन असंतुष्ट लोकसभा सदस्यों की सदस्यता दल-बदल निरोधक कानून के तहत समाप्त करने के अपने आवेदन को वापस ले लिया है. लोकसभा में जदयू के उपनेता रंजन प्रसाद यादव ने याचिका वापस लेने के लिए लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार को पत्र लिखा है. यह जानकारी लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के अध्यक्ष पी सी चाको ने आज समिति की बैठक में दी.
जदयू के तीन लोकसभा सदस्यों- राजीव रंजन सिंह ‘ललन’, सुशील सिंह और मंगनी लाल मंडल को अयोग्य घोषित करने की मांग करने वाली जदयू की याचिका कई दिनों से लोकसभा की विशेषाधिकार समिति के पास लंबित है. सूत्रों के अनुसार चाको ने समिति को बताया कि चूंकि इस तरह के मामलों में फैसले लेने का अंतिम अधिकार लोकसभा अध्यक्ष के पास है इसलिए वह जदयू के पत्र के मद्देनजर आगे बढ़ने से पहले स्पीकर से परामर्श करेंगे. पत्र की प्रति चाको को भी भेजी गयी थी और उन्होंने इसे आज सदस्यों को वितरित किया. स्पीकर को 22 जून को पत्र लिखा गया था. इससे दो दिन पहले ही समिति ने अपनी बैठक में इस मुद्दे को लिया था और इस मुद्दे पर समिति के समक्ष पेश होने के लिए और समय देने की यादव की मांग पर चर्चा की गयी. यादव ने अपने पत्र में कहा कि वह अब आगे याचिका पर जोर नहीं देना चाहेंगे और इसे ‘वापस लिया हुआ’ समझा जा सकता है.
लोकसभा अध्यक्ष ने मामला समिति को भेजा था और समिति को अपनी प्राथमिक रिपोर्ट उन्हें देनी थी. रिपोर्ट के आधार पर स्पीकर को फैसला लेना था. समझा जाता है कि समिति में भाजपा के अनंत कुमार और शाहनवाज हुसैन तथा बीजद के भृतुहरि महताब ने सुझाव दिया कि यादव को समिति के समक्ष पेश होकर बताना चाहिए कि वह याचिका वापस क्यों ले रहे हैं. कुछ सदस्यों के दावे के अनुसार भाजपा ने मांग की कि समिति को इस मामले में आगे विचार करना चाहिए क्योंकि स्पीकर ने समिति को मामला भेजा है. यादव द्वारा मीरा कुमार को भेजे गये पत्र का इस मामले पर कोई असर नहीं होना चाहिए. बैठक के बाद एक सदस्य ने कहा, ‘‘स्पीकर ने समिति से मामले के तथ्यों पर विचार करने को कहा था. इसलिए समिति को आगे बढ़ना चाहिए और अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट देनी चाहिए ताकि लोकसभा अध्यक्ष को निर्णय लेने में मदद मिले.’’
जदयू ने पिछले साल पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए ललन, सुशील सिंह और मंगनी लाल मंडल को निलंबित कर दिया था. पार्टी अध्यक्ष शरद यादव, संसदीय दल के नेता राम सुंदर दास और उपनेता रंजन प्रसाद यादव ने तीनों सदस्यों की पार्टी विरोधी गतिविधियों के साक्ष्यों के साथ मीरा कुमार से भेंट की थी और उनकी सदस्यता को समाप्त करने की पुरजोर वकालत की थी. सूत्रों का कहना है कि ललन ने चुनाव के दौरान कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया था, वहीं मंडल को पार्टी कार्यकर्ताओं से यह कहते सुना गया कि झंझरपुर से जदयू उम्मीदवार को हरवाएं. विशेषाधिकार समिति ने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव को मार्च, 2011 में कथित तौर पर संसद की कार्यवाही में भाग लेने जाने से रोकने के मामले में उत्तर प्रदेश के दो अधिकारियों से भी पूछताछ की.
सपा नेताओं ने आरोप लगाया था कि पुलिस ने उनके लखनउ स्थित आवास के बाहर अवरोधक लगा दिये थे ताकि वे बाहर नहीं निकल सकें और इस तरह उन्हें संसद की कार्यवाही में शामिल होने से रोका गया. घटना 7 मार्च, 2011 की है जब बसपा अध्यक्ष मायावती प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं. अखिलेश तब लोकसभा के सदस्य थे. समिति ने इस घटना के संबंध में लखनउ के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट अनिल कुमार सागर और लखनउ के तत्कालीन डीआईजी डी के ठाकुर से पूछताछ की. सागर और ठाकुर ने कहा कि कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए अवरोधक लगाये गये थे. उन्होंने यह दलील भी दी कि जब मुलायम ने कहा कि वह संसद के सत्र में भाग लेने के लिए जाना चाहते हैं तो उन्हें हवाईअड्डे तक पहुंचाया गया था. समझा जाता है कि समिति उनके जवाबों से संतुष्ट नहीं हुई और अगली बैठक में कोई निर्णय ले सकती है.