फैजाबाद : राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में मुकदमा लड़ने वाले हाशिम अंसारी ने कहा है कि वह अब इस केस की पैरवी नहीं करेंगे. साथ ही उन्होंने यह कहकर सबको चौंका दिया है कि वह रामलला को आजाद देखना चाहते हैं. उन्होंने यह भी साफ किया है कि वह 6 दिसंबर को मुस्लिम संगठनों की ओर से आयोजित होने वाले यौमे गम (शोक दिवस) में शामिल नहीं होंगे.
हाशिम बाबरी मस्जिद पर हो रही सियासत से दुखी हैं. उन्होंने कहा कि रामलला तिरपाल में रह रहे हैं और उनके नाम की राजनीति करने वाले महलों में. लोग लड्डू खाएं और रामलला इलायची दाना यह नहीं हो सकता. हालांकि, बाबरी मस्जिद ऐक्शन कमिटी के संयोजक और यूपी के अपर महाधिवक्ता जफरयाब जिलानी को भरोसा है कि वह अंसारी को मना लेंगे. हाशिम अंसारी ने यूपी सरकार में मंत्री आजम खान पर बरसते हुए कहा कि आजम को यह कहने की क्या जरूरत थी कि जब मंदिर बन गया है, तो मुकदमे की क्या जरूरत. उन्होंने कहा कि मुकदमा हम लड़ें और फायदा आजम उठाएं. इससे अच्छा है कि अब मुकदमे की पैरवी आजम खान ही करें.
उन्होंने कहा कि जब मैंने सुलह की पैरवी की थी तब हिन्दू महासभा सुप्रीम कोर्ट चली गई. महंत ज्ञानदास ने पूरी कोशिश की थी कि हम हिंदुओं और मुस्लिमों को इकट्ठा करके मामले को सुलझाएं, लेकिन अब मुकदमे का फैसला कयामत तक नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर सभी नेता अपनी रोटियां सेक रहे हैं.
रामजन्म भूमि के मुख्य पक्षकार पुजारी रामदास ने कहा कि अंतिम बेला में अंसारी ने अच्छा निर्णय लिया है. उन्होंने कहा, अंसारी से मुस्लिम पक्ष को सीख लेनी चाहिए. अंसारी का बयान तब आया है जब बाबरी ऐक्शन कमिटी छह दिसंबर को काला दिवस मनाने जा रही है. रामलला हिंदुओं की आस्था के प्रतीक हैं, मंदिर का निर्माण किया जाना चाहिए.