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भारत में विश्व की 40 फीसदी कुपोषित आबादी

नयी दिल्ली : सरकार की नीतियों के उचित क्रियान्वयन के अभाव में विश्व में सर्वाधिक कम वजन के बच्चे और कुपोषित आबादी का 40 फीसदी भारत में है. कनाडा स्थित गैर सरकारी संगठन माइक्रोन्यूट्रिएंट इनीशिएटिव के अध्यक्ष और वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञ एम जी वेंकटेश मन्नार ने बताया कि उभरती अर्थव्यवस्था होने के बावजूद स्वास्थ्य और […]

नयी दिल्ली : सरकार की नीतियों के उचित क्रियान्वयन के अभाव में विश्व में सर्वाधिक कम वजन के बच्चे और कुपोषित आबादी का 40 फीसदी भारत में है.

कनाडा स्थित गैर सरकारी संगठन माइक्रोन्यूट्रिएंट इनीशिएटिव के अध्यक्ष और वैश्विक स्वास्थ्य विशेषज्ञ एम जी वेंकटेश मन्नार ने बताया कि उभरती अर्थव्यवस्था होने के बावजूद स्वास्थ्य और पोषण के मामले में भारत की हालत ब्राजील, नेपाल , बांग्लादेश और चीन जैसी है. मन्नार ने बताया, भारत में बच्चों में बाधित विकास, कम वजन और रक्त की कमी दुनिया में सर्वाधिक है. इसमें सर्वाधिक त्रासदीपूर्ण यह है कि भारत के पास समस्याओं को सुलझाने के लिए जरुरी सभी कार्यक्रम और नीतियां हैं लेकिन उनका उचित क्रियान्वयन नहीं है.

मातृत्व और बाल कुपोषण पर लांसेट की 2013 की श्रंखला के सह लेखक मन्नार ने कहा, यहां यह कई मंत्रालयों , जैसे स्वास्थ्य , महिला और बाल विकास, शिक्षा तथा ग्रामीण विकास आदि में बंटा हुआ है. इस प्रकार इस समस्या को उठाने वाला कोई एक नहीं है और न ही उचित जवाबदेही है.

कनाडा के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार दी आर्डर ऑफ कनाडा से सम्मानित मन्नार ने कहा कि राज्य और केंद्र के बीच समन्वय का अभाव है जिसके चलते इस संबंध में बनायी गयी नीतियों और कार्यक्रमों के क्रियान्वयन की समस्या है. उन्होंने कहा, चौंकाने वाली बात यह है कि वर्ष 2005 से राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण नहीं किया गया है. हम आज भी पुराने आंकड़ें देखते हैं और हमें यह पता नहीं है कि हमने तरक्की की है या पिछड़े हैं.

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