ब्रिस्बेन : भारत की विदेश में जमा काले धन को वापस लाने की कोशिश के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां कल से शुरु हो रहे जी-20 सम्मेलन में सीमा पार कर चोरी और धोखाधड़ी से जुडे प्रमुख मुद्दों के खिलाफ वैश्विक सहयोग को मजबूत करने के लिए दबाव डालेंगे. मोदी पिछले 28 साल में पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं जो 1986 में राजीव गांधी के दौरे के बाद आस्ट्रेलिया यात्रा पर आये हैं और वह यहां अपनी 10 दिन की तीन देशों की यात्रा के दूसरे चरण में आये हैं.
मोदी आस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबरा भी जाएंगे जहां वह मंगलवार को आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री टोनी एबट से द्विपक्षीय वार्ता करेंगे. सम्मेलन से पहले मोदी ने कहा कि रोजगार सृजन करने वाली आर्थिक वृद्धि के लिए न सिर्फ वित्तीय बाजारों की स्थिति जैसे मुद्दों पर बल्कि लोगों के जीवन-स्तर में बदलाव पर भी ध्यान देना आवश्यक है.
मोदी जब अपने म्यांमार की राजधानी ने पई ताव से रात भर की यात्रा के बाद एयर इंडिया के विशेष विमान से अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर उतरे तो यहां ब्रिस्बेन में धूप खिली हुई थी. उन्होंने पे पई ताव में लगातार दो अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भाग लिया और वहां कई द्विपक्षीय बैठकें कीं. मोदी ने ट्विट किया ‘ब्रिस्बेन पहुंचा. यहां बाहर धूप खिली हुई है. मोदी का स्वागत क्वीन्सलैंड के प्रधानमंत्री कैंपबेल न्यूमैन ने किया.
इस मौके पर आस्ट्रेलिया में भारतीय उच्चायुक्त बिरेन नंदा भी मौजूद थे. मोदी ने कहा था, मेरे लिए एक प्रमुख मुद्दा होगा काले धन पर अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व को उजागर करना. प्रधानमंत्री ने कहा था कि वह इस बात पर चर्चा करना चाहते हैं कि जी-20 किस तरह अगले दौर का बुनियादी ढांचा तैयार करने की प्रक्रिया में तेजी ला सकता है जिसमें डिजिटल बुनियादी ढांचा और स्वच्छ एवं सस्ती ऊर्जा तक पहुंच सुनिश्चित करना शामिल है.
जी-20 में 19 देश अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मेक्सिको, रुस, सउदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन एवं अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं. विश्व के सकल घरेलू उत्पाद में जी-20 अर्थव्यवस्थाओं का योगदान करीब 85 प्रतिशत है जबकि विश्व व्यापार में 80 प्रतिशत है और विश्व की कुल आबादी में इन देशों की हिस्सेदारी दो-तिहाई है.
जी-20 को अमेरिका में 2008 में पेश किया गया था. जी-20 शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन और इबोला को बातचीत के केंद्र में लाने की जोरदार मुहिम के बावजूद इसके केंद्र में रोजगार और वृद्धि ही रहेगी. आस्ट्रेलिया जी-20 का अध्यक्ष देश है और इसने सम्मेलन के लक्ष्य पर फिर से जोर दिया जबकि वित्त मंत्री जो हॉकी ने कहा कि समूह के सदस्यों पर वास्तविक नतीजे हासिल करने की बडी जिम्मेदारी है.
उन्होंने कहा, हमारे पास विश्व के नेताओं के लिए वैश्विक वृद्धि करने, रोजगार के अवसर पैदा करने, लोगों को गरीबी से बाहर निकालने के संबंध में एक योजना है और हम इस पर अमल करने के लिए दृढ हैं. विचार-विमर्श के लिए आस्ट्रेलिया का यह आह्वान है कि जी-20, 2018 तक वैश्विक विकास में कम से कम दो प्रतिशत जोडे. यदि इसमें सफलता हासिल होती है तो इससे करोडों लोगों के लिए रोजगार पैदा होंगे, बुनियादी ढांचा गतिविधियों में भारी तेजी आएगी और लालफीताशाही में कमी आएगी.
जी-20 देशों ने वृद्धि के इन लक्ष्यों के समर्थन में 1,000 योजनाएं बनायी हैं. मोदी ने चार शहरों – ब्रिस्बेन, मेलबर्न, सिडनी और कैनबरा की आस्ट्रेलिया यात्रा का हवाला देते हुए कहा था, हममें और आस्ट्रेलिया में बहुत कुछ समान है लेकिन हमारा राजनीतिक, रणनीतिक और आर्थिक संबंध संभावना से कमतर है. उन्होंने कहा, आस्ट्रेलिया के साथ रणनीतिक भागीदारी से भारत के आर्थिक लक्ष्यों को समर्थन मिलेगा, समुद्री सुरक्षा समेत हमारे सुरक्षा हितों को बढावा मिलेगा और हमारे विस्तृत महाद्वीपीय और सामुद्रिक पडोस में शांति एवं स्थति का माहौल पैदा करने की कोशिश को बल मिलेगा.
भारतीय अधिकारियों ने कहा कि प्रधानमंत्रीका दौरा उल्लेखनीय है और इसका लक्ष्य है आस्ट्रेलिया के साथ नए सिरे से संवाद करना. प्रधानमंत्री एबट ने बहुपक्षीय बैठक के एजेंडे पर चर्चा के लिए मोदी से उनके भारत से रवाना होने से पहले टेलीफोन पर बातचीत की थी. उन्होंने भारतीय नेता से विशेष तौर पर वैश्विक आर्थिक वृद्धि बढाने और रोजगार सृजन के संबंध में अपना नजरिया जाहिर करने के लिए कहा था.
एबट ने कहा था कि वह और आस्ट्रेलिया की जनता मोदी की यात्रा का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री द्वारा इस यात्रा पर व्यक्तिगत तौर पर ध्यान देने और अपनी आस्ट्रेलिया यात्रा को महत्व देने की भी सराहना की. एबट ने जी-20 में आस्ट्रेलिया के बुनियादी ढांचा पहल के लिए मोदी का समर्थन भी मांगा. अपनी ओर से मोदी ने जी-20 सम्मेलन के लिए अर्थपूर्ण एजेंडा तैयार करने के लिए एबट का धन्यवाद किया और भरोसा जताया कि यह सबसे यादगार जी-20 सम्मेलनों में से होगा जो वैश्विक अर्थव्यवस्था को नई गति देगी.