नयी दिल्ली : कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाला मामले में एक विशेष अदालत ने आज पूर्व कोयला सचिव और दो पदस्थ सरकारी अधिकारियों सहित चार अन्य को जमानत दे दी.
एच सी गुप्ता सहित पांच आरोपी और दो पदस्थ वरिष्ठ सरकारी सेवक के. एस. क्रोफा और के. सी. समरिया अपने खिलाफ जारी समन की तामील करते हुए अदालत में पेश हुए और मामले में जमानत का अनुरोध किया. दलीलें सुनने के बाद विशेष सीबीआई न्यायाधीश भरत पराशर ने सभी आरोपियों को जमानत दे दी.
गुप्ता के अलावा, तत्कालीन संयुक्त सचिव क्रोफा और तत्कालीन निदेशक :कोयला आवंटन-खंड एक: समरिया, मध्य प्रदेश स्थित कंपनी कमल स्पांज स्टील एंड पावर लिमिटेड (केएसएसपीएल) के प्रबंध निदेशक पवन कुमार अहलुवालिया, चार्टर्ड अकाउंटेंट अमित गोयल और कंपनी के अधिकृत प्रतिनिधि अदालत के सामने पेश हुए.
आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 409 (लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात) और 420 (धोखाधडी) के तहत सभी को आरोपी के तौर पर पहले ही समन किया गया था. केवल गुप्ता को भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत दंडनीय अपराध के लिए समन किया गया. केएसएसपीएल को कोयला ब्लॉक आवंटन में कथित अनियमितता संबंधी मामले में सीबीआई की ओर से दायर क्लोजर रिपोर्ट को मंजूर करने से इनकार करते हुए अदालत ने मामले में इन सभी को आरोपी के तौर पर समन किया था.
अदालत ने कल मामले में यह कहते हुए सीबीआई को आगे जांच बढाने की अनुमति दे दी थी कि एजेंसी लोक सेवकों पर मुकदमा चलाने की अनुमति के लिए प्राधिकार के समक्ष मामले के रिकार्ड को रख सकती है. अदालत ने सीबीआई से 15 दिसंबर को उसकी आगे की जांच की प्रगति रिपोर्ट भी पेश करने को कहा. साथ ही कहा कि एजेंसी को जरुरत पडने पर मामले के किसी अन्य पहलुओं की जांच की भी आजादी होनी चाहिए. अदालत ने 13 अक्तूबर को गुप्ता, समरिया, क्रोफा और केएसएसपीएल सहित छह आरोपियों को समन किया था.
सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार करने से इंकार करते हुए विशेष अदालत ने कहा था कि उसके द्वारा की गयी जांच अधूरी है और उसका निष्कर्ष गलत लगता है. मामला मध्यप्रदेश में थेसगोरा-बी, रुद्रपुरी कोयला ब्लॉक पाने के लिए केएसएसपीएल द्वारा गलत नेटवर्थ सहित तथ्यों की कथित गलतबयानी से संबंधित है. सीबीआई के मुताबिक, केएसएसपीएल ने कोयला ब्लॉक आवंटन के लिए अपने आवेदन में वित्तीय वर्ष 2004-05 और 2005-06 के बारे में कथित तौर पर गलत ब्यौरा दिया था.