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कालाधन मामलाः शिवसेना ने की केंद्र की ओलाचना

मुम्बई: कालाधन मुद्दे के सिलसिले में पहली बार में महज कुछ खाताधारकों की पहचान उजागर करने पर केंद्र की आलोचना करते हुए शिवसेना ने आज उच्चतम न्यायालय को इन नामों को आम लोगों के बीच लाने का श्रेय दिया. शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा है, ‘‘कालाधन को (2012 के) लोकसभा चुनाव […]

मुम्बई: कालाधन मुद्दे के सिलसिले में पहली बार में महज कुछ खाताधारकों की पहचान उजागर करने पर केंद्र की आलोचना करते हुए शिवसेना ने आज उच्चतम न्यायालय को इन नामों को आम लोगों के बीच लाने का श्रेय दिया.

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा है, ‘‘कालाधन को (2012 के) लोकसभा चुनाव के दौरान एक बडा मुद्दा बनाया गया था. सरकार को अब समझ आएगा कि विदेशों से कालाधन लाना कितना मुश्किल है. केंद्र ने तीन नामों के खुलासे किए हैं लेकिन ,उसका श्रेय उच्चतम न्यायालय को जाएगा. ’’ डाबर समूह के प्रवर्तक प्रदीप बर्मन, राजकोट के सर्राफा कारोबारी पंकज चिमनलाल लोढिया और गोवा की खनन कंपनी टिम्बलो प्राइवेट लिमिटेड एवं उसके पांच निदेशकों के नाम सोमवार को केंद्र की ओर से कालाधन मुद्दे पर पेश हलफनामे में सामने आए थे. शिवसेना ने कहा कि अबतक सामने आए नाम महज उपरी परत हैं, असली कालाधन तो अब भी विदेशी बैंकों में पडा है.

उसने कहा, ‘‘सरकार द्वारा बस तीन नामों का खुलासा किया गया है जो असली लूट की तुलना में कुछ नहीं है. (योगगुरु) बाबा रामदेव ने भी यह मुद्दा उठाया है और कहा कि करीब 25 लाख करोड रुपया विदेशों में छिपाकर रखा गया है. लेकिन यदि आप इन तीनों की रकम जोडेंगे तो यह महज 100-200 करोड रुपया है. ’’ पार्टी ने कहा कि सरकार समयांतराल में भले ही विदेशों से कालाधन लाने में सफल हो जाए लेकिन वह देश के अंदर काली कमाई का प्रवाह कैसे रोकेगी.

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