नयी दिल्ली: विवाह कानूनों को महिलाओं के और अधिक अनुकूल बनाने के उद्देश्य से मंत्रियों का एक समूह जल्द ही इस बात का फैसला करेगा कि उन मामलों में जहां शादी को बचा पाना असंभव हो गया हो , क्या उनमें तलाक के मामले में अदालत पति की पैतृक संपत्ति से महिला के लिए पर्याप्त मुआवजा तय कर सकती है.
मंत्रियों का समूह हाल ही में विवाह कानून (संशोधन) विधेयक पर फैसला करने के लिए गठित किया गया था. मंत्री समूह यह भी तय करेगा कि अगर आपसी सहमति से तलाक के लिए पति पत्नी में से कोई एक व्यक्ति अगर दूसरा ‘संयुक्त आवेदन’ दाखिल न करे तो क्या न्यायाधीश तलाक देने में अपने विवेक का उपयोग कर सकता है.
लेकिन, सरकार के भीतर ही इस प्रस्ताव को लेकर विरोधाभासी विचार हैं. सूत्रों ने बताया कि एक वर्ग की राय में, अगर अदालत को विवेक का उपयोग करने का अधिकार दे दिया जाए तो आपसी सहमति से तलाक का उद्देश्य पूरा नहीं होगा.
उन्होंने कहा कि अगर पति पत्नी में से कोई भी एक व्यक्ति अगर संयुक्त आवेदन देने से इंकार करता है तो दूसरे को आपसी सहमति के बजाय अन्य आधार पर तलाक के लिए आवेदन देने की अनुमति दी जानी चाहिए.विधेयक में पति द्वारा अजिर्त की गई संपत्ति में से पत्नी को हिस्सा देने का प्रावधान है. रक्षा मंत्री ए के एंटनी की अगुवाई में गठित मंत्रिसमूह एक नए उपबंध 13एफ पर चर्चा कर रहा है.