नई दिल्ली : सहारा समूह और इसके प्रवर्तक सुब्रत राय ने आज उच्चतम न्यायालय को बताया कि उनके खिलाफ आदेश की अवमानना का कोई मामला नहीं बनता क्योंकि उन्होंने सेबी को दस्तावेजों की आपूर्ति करने के मुद्दे पर न्यायालय के निर्देशों का पालन किया है और अपने निवेशकों को 24,000 करोड़ रपये लौटाना शुरु कर दिया है.
सहारा समूह ने न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने अवमानना के नोटिस के संबंध में हलफनामा दाखिल किया है और सेबी द्वारा दायर अर्जी के संबंध में जवाब देने के लिए उन्हें और समय की जरुरत है.
नियामक ने राय और अन्य निदेशकों को सिविल हिरासत में लेने की अनुमति मांगते हुए उच्चतम न्यायालय में यह अर्जी दी है. पीठ ने कहा कि वह उसकी याचिका पर 2 मई को विचार करेगी। सहारा की याचिका वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी और अधिवक्ता केशव मोहन द्वारा पेश की गई.
उल्लेखनीय है कि सहारा और इसके प्रवर्तकों ने करीब 10 हलफनामे दायर किए हैं और दो अतिरिक्त हलफनामे जल्द ही दायर किए जाने की संभावना है. सहारा के वकीलों ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा करने का कोई मामला नहीं बनता क्योंकि दस्तावेज सेबी को उपलब्ध कराए जा चुके हैं और अदालत 5 दिसंबर, 2012 को धन जमा करने के मुद्दे पर विचार कर चुकी है.