मुंबई : पोंजी स्कीमों के फलने-फूलने के लिए नियामकीय कमजोरियों को जिम्मेदार ठहराते हुए एफएसएलआरसी के चेयरमैन न्यायमूर्ति बीएन श्रीकृष्ण ने कल कहा कि एक एकल नियामक ही फर्जीवाड़ा करने वालों को पकड़ सकेगा और उन खामियों को दूर कर सकेगा जिनका फायदा उठाकर ऐसी योजनायें चलतीं हैं.
वित्तीय क्षेत्र कानूनी सुधार आयोग (एफएसएलआरसी) के चेयरमैन श्रीकृष्ण ने कहा, पोंजी स्कीमें इसलिए फल-फूल जाती हैं क्योंकि एक नियामक कहता है यह मेरे दायरे से बाहर है, जबकि दूसरा नियामक कहता है कि मुझे नहीं पता, मेरा इससे संबंध नहीं है. अगर आपके पास एक नियामक है तो वह फर्जीवाड़ा करने वाले को पकड़ लेगा और कहेगा कि यह उपभोक्ताओं के लिए गलत है. श्रीकृष्ण यहां उद्योग मंडल आईएमसी और सिटी ऑफ लंदन इंडिया प्रोग्राम द्वारा आयोजित एक गोलमेज बैठक को संबोधित कर रहे थे.
पोंजी स्कीमों के तहत आमतौर पर व्यक्तिगत निवेशकों को ऊंचे रिटर्न का लालच देकर उनसे छोटी-छोटी राशि में संग्रह किया जाता है. इस तरह के धन विभिन्न प्रकार से जुटाया जाता है मसलन चिटफंड तथा ऐसे ही दूसरे तरीकों से जिसका विनियमन राज्य सरकारें करती हैं. सामूहिक निवेश स्कीमों का नियमन सेबी द्वारा किया जाता है. वहीं एनबीएफसी द्वारा संचालित सामूहिक निवेश स्कीमों का नियमन आरबीआई करता है.