मुंबई : भाजपा द्वारा सीट बंटवारे को लेकर शिव सेना ने आज भी अपने कड़े रूख को जारी रखा है. शिवसेना के प्रवक्ता ने कहा कि वह महाराष्ट्र में एक वरिष्ठ सहयोगी बनी रहेगी और उसके नेता ही मुख्यमंत्री होंगे.
पार्टी प्रवक्ता और सांसद संजय राउत ने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में शिवसेना ऐसी पार्टी है जो (सीटें) देती है न कि (सीटों के बारे में) पूछती है. यह राज्य में एक बडी पार्टी थी और रहेगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र की राजनीति में शिवसेना भाजपा के जन्म से भी पहले से है.
अब गठबंधन रहे या न रहे इस बात का कोई फर्क नहीं पडता. मुख्यमंत्री शिव सेना का ही होगा.’’ महाराष्ट्र में कल भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने एक जनसभा में कहा था कि राज्य में अगली सरकार उनकी पार्टी बनाएगी.
राउत ने कहा कि पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक 21 सितंबर को बुलाई गई है. इसमें पार्टी के सभी विधायक और सांसद भाग लेंगे और पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे भाजपा के साथ गठबंधन पर अंतिम निर्णय की घोषणा करेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘इसी बैठक में उद्धव जी भाजपा के साथ गठबंधन पर अंतिम निर्णय लेंगे.’’
राउत ने कहा कि पार्टी की कोर कमेटी ने कल रात एक बैठक करके उद्धव को ‘‘महाराष्ट्र की अस्मिता और पार्टी तथा बालासाहब ठाकरे के सिद्धांतों के आत्मसम्मान’’ को ध्यान में रखते हुए गठबंधन पर फैसला करने के लिए अधिकृत किया है.
हालांकि राउत ने मीडिया की खबरों को खारिज कर दिया कि गठबंधन विभाजन की ओर बढ रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘हम पिछले 25 साल से साथ में हैं. लेकिन अब तक गठबंधन के टूटने की खबर हम तक नहीं पहुंची. हमने अपने गठबंधन सहयोगी को सीट बंटवारे का कोई फामरूला नहीं दिया है. बल्कि हमारे लिए आत्म सम्मान ज्यादा जरुरी है.’’ ऐसी खबरें थी कि शिवसेना ने भाजपा को 119 सीटों की पेशकश की है. उसने 2009 में इतनी ही सीटों पर चुनाव लडा था. उसने इन्हीं सीटों में छोटे सहयोगियों को भी शामिल करने को कहा है.
शिवसेना ने भाजपा के दोनों बडी पार्टियों के 135 सीटों पर लडने और शेष अन्य सहयोगियों के लिए छोड देने के प्रस्ताव को पहले ही ठुकरा दिया था. अन्य सहयोगियों में आरपीआई (ए) और स्वाभिमानी शेतकारी संगठन है.
भाजपा सूत्रों ने कल रात बताया कि पार्टी ने शिवसेना के 2009 के चुनावों के 119 सीटों पर चुनाव लडने की पेशकश को ठुकरा दिया है. उन्होंने बताया, ‘‘हमें कम से कम 135 सीटें चाहिए.’’ भाजपा और शिवसेना दोनों पार्टी इस बात पर जोर दे रही हैं कि वे ‘‘आत्म सम्मान’’ के साथ कोई समझौता नहीं करेंगी और दोनों के शीर्ष नेता सीटों के बंटवारे पर सीधी बातचीत से बच रहे हैं.