श्रीनगर (नयी दिल्ली) : पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच इस्लामाबाद में विदेश सचिव स्तर की वार्ता से पहले दिल्ली में विचार-विमर्श के लिए कश्मीर के सभी अलगाववादी नेताओं को बुलाने के कदम ने विवाद खडा कर दिया है. भाजपा ने इसे ‘‘सर्वाधिक दुर्भाग्यपूर्ण’’ और ‘‘पुराना हथकंडा’’ करार दिया.
कांग्रेस ने कहा कि यह ‘‘विचित्र और हास्यास्पद’’ स्थिति है कि पाकिस्तानी उच्चायुक्त कश्मीरी अलगाववादियों का स्वागत कर रहे हैं. यह विचार-विमर्श दिल्ली में मंगलवार को होगा जिसके लिए हुर्रियत कान्फ्रेंस के नरमपंथी धडे के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारुक, उसके चरमपंथी धडे के अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी और वरिष्ठ अलगाववादी नेता शब्बीर अहमद शाह को निमंत्रण दिया गया है जिन्होंने पिछले साल हुर्रियत का तीसरा धडा बना लिया था.
आजादी समर्थक जेकेएलएफ अध्यक्ष मोहम्मद यासीन मलिक को भी बातचीत के लिए न्योता दिया गया है. भारत और पाकिस्तान के विदेश सचिवों के बीच वार्ता 25 अगस्त को इस्लामाबाद में होने वाली है.
हुर्रियत कान्फ्रेंस के नरमपंथी धडे के एक प्रवक्ता ने प्रेस ट्रस्ट को बताया, ‘‘हुर्रियत कान्फ्रेंस अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारुक को पाकिस्तान उच्चायोग ने 19 अगस्त को दिल्ली में विचार विमर्श के लिए न्योता दिया है.’’ हुर्रियत कान्फ्रेंस के चरमपंथी धडे के एक प्रवक्ता ने कहा कि गिलानी मंगलवार को दिल्ली के लिए रवाना होंगे. यह बैठक मंगलवार की दोपहर को होगी.
जेकेएलएफ के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘अध्यक्ष (मलिक) को पाकिस्तान उच्चायोग से आज दोपहर फोन आया जिसमें उन्हें वार्ता के लिए न्योता दिया गया.’’ भाजपा प्रवक्ता एम जे अकबर ने कहा कि पाकिस्तानी उच्चायुक्त का यह कदम उनके पुराने हथकंडे पर लौटने जैसा है जिसमें वे असहमत होने का बहाना खोजते हैं बजाय इसके कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इतने जोरदार तरीके से और कई बार पहले भी दिए गए संदेश पर ध्यान दें कि दोनों सरकारों का साझा उद्देश्य गरीबी उन्मूलन होना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘यह सर्वाधिक दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान असंभव स्थिति खडी करने पर विचार करता है जबकि इतनी अधिक लाभदायी स्थिति दोनों पडोसियों के बीच हो सकती हैं अगर वे संभव हो सकने वाली चीजों पर ध्यान केंद्रित करें.’’ प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि अगर पाकिस्तान संकेत देता है कि वे प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से भारत की धरती पर अलगाववाद को प्रोत्साहन देने का प्रयास कर रहे हैं तो यह अंतत: सिर्फ भारत को प्रभावित नहीं करने जा रहा है बल्कि उसका पाकिस्तान पर भी उल्टा प्रभाव पडने जा रहा है.
जम्मू से सांसद सिंह ने कहा, ‘‘पाकिस्तान पर भी जिम्मेदारी है और इस्लामाबाद में शक्तियों को फैसला करना है कि क्या उनके सर्वश्रेष्ठ हित में है.’’ सिंह ने कहा कि पाकिस्तान पर राजग सरकार की नीति में कोई बदलाव नहीं आया है और इस निष्कर्ष पर पहुंचना गलत होगा कि पडोसी देश के साथ बातचीत के लिए कोई और भारत के लिए एजेंडा तय कर सकता है.
कांग्रेस प्रवक्ता मनीष तिवारी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘पाक उच्चायुक्त अलगाववादियों का स्वागत कर रहे हैं, पाक सेना सीमा पार से घुसपैठ कर रही है, आईएसआई हेरात में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमले करा रही है, भाजपा सरकार सोई हुई है. अच्छे दिन आ गए.’’
तिवारी ने संवाददाताओं से कहा कि यह ‘‘विचित्र और हास्यास्पद स्थिति’’ है कि पाकिस्तानी उच्चायुक्त कश्मीरी अलगाववादियों का स्वागत कर रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘न सिर्फ भारतीय कूटनीतिक मिशनों के खिलाफ आतंकी साजिश रची जा रही है बल्कि उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है कि भारत की संप्रभुता का उल्लंघन किया जा रहा है और इन सबसे उपर कश्मीरी अलगाववादियों की मेजबानी की जा रही है.’’तिवारी ने यह भी सवाल उठाया कि क्या राजग सरकार पर पाकिस्तान के साथ बातचीत करने का कोई अंतरराष्ट्रीय दबाव है.
जाने-माने विधिवेत्ता राम जेठमलानी ने कहा कि उच्चायुक्त का अलगाववादियों को न्योता देना ‘‘बहुत अच्छा कदम’’ है और वह बेहद आशान्वित हैं कि इससे कुछ निकलेगा. जेठमलानी ने कल शाह से श्रीनगर में मुलाकात की थी.
जेठमलानी ने कल कहा कि कश्मीर कमेटी का गठन 2002 में कश्मीर में अलगाववादियों तक पहुंचने के लिए किया गया था और उन्होंने (जेठमलानी ने) इसकी अध्यक्षता की थी.
पाकिस्तानी उच्चायोग ने पहले भी भारत के साथ बडी कूटनीतिक पहल करने से पहले कश्मीर के अलगाववादियों से बातचीत की है. हालांकि, इस्लामाबाद ने इस परंपरा को तब तोड दिया जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने इस साल मई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने के लिए भारत की यात्रा की थी.