ग्रीनपीस के मुताबिक, डीडीटी जैसे खतरनाक रसायन हैं चाय में
नयी दिल्ली: ग्रीनपीस इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक आपकी चाय में भी कीटनाशक हो सकता है. जिन चायों में कीटनाशक पाये गये हैं वे राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर के ब्रांड हैं. रिपोर्ट से यह भी कहा गया है कि भारत में चाय उत्पादन में उस कीटनाशक का भी इस्तेमाल होता है जिसकी यहां प्रयोग करने इजाजत ही नहीं है. यह रिपोर्ट सोमवार को दिल्ली में ग्रीनपीस ने प्रेस कांफ्रेंस कर जारी की.
जून 2013 से मई 2014 तक ग्रीनपीस इंडिया ने 49 चाय ब्रांडों का परीक्षण किया. इसमें देश के अव्वल 11 डिब्बाबंद ब्रांड में से 8 ब्रांड शामिल थे, जिनका भारतीय चाय बाजार में दबदबा है. परीक्षण में दोनों तरह के वर्गीकृत-काफी खतरनाक (क्लास 1 बी) और खतरनाक (क्लास 2) कीटनाशक मिले हैं. डीडीटी की मात्रा 67 फीसदी नमूनों में पायी गयी, जबकि डीडीटी के कृषि कार्य में इस्तेमाल पर वर्ष 1989 में ही प्रतिबंध लगा दिया गया था.
कई चाय के नमूनों में मोनोक्रोटोफॉस पाया गया जो खतरनाक ऑर्गनोफोस्फोरस कीटनाशक है. बता दें कि पिछले साल जब बिहार में 23 स्कूली बच्चों की मौत खाने में मोनोक्रोटोफॉस की मिलावट से हुई थी तो फूड एवं एग्रीकल्चर आर्गनाइजेशन (एफएओ) ने अपील की थी कि इन कीटनाशकों का इस्तेमाल धीरे-धीरे बंद कर दें. इसके अलावा निओनिकोटिन और इमीडेक्लोप्रिड नामक कीटनाशक भी पाये गये जिससे पशुओं की प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है और मधुमक्खी और अन्य दूसरे लाभदायक कीट-पतंगों को नुकसान पहुंचाता है.
ग्रीनपीस का शोध निष्कर्ष इस बात की तरफ इशारा करता है कि चाय सेक्टर कीटनाशक के दुष्चक्र में फंस गया है और इससे बाहर निकलने का एक मात्र रास्ता पारिस्थितिकीय खेती है. ग्रीनपीस ने चाय कंपनियों से यह भी आग्रह किया है कि वे कीटनाशक का प्रयोग न करने के लिए एक समय सीमा निर्धारित करें और गैर कीटनाशक प्रबंधन (एनपीएम) की तरफ कदम बढ़ायें.