नयी दिल्ली: किसी भी बीमारी में दवाओं को खाने से अब लोग बचना चाहते हैं. छोटे-मोटे रोगों के लिए दवाएं खाकर अपने अंदर साइड इफेक्ट से बचाने के लिए लोग मेडिकल की नयी तकनीक पर ज्यादा भरोसा करते हैं. इसमें से एक तकनीक है एक्यूप्रेशर. तमाम असाध्य रोगों को ठीक करने में एक्यूप्रेशर चिकित्सा का यूज किया जा रहा है. यही कारण है कि इस फील्ड में अचानक से पेशेवरों की मांग बढ़ने लगी है.
क्यूप्रेशर थेरेपिस्ट की मांग बढ़ती जा रही है. एक्यूप्रेशर में बॉडी के कुछ सलेक्टेड प्वांट्स पर प्रेशर डाला जाता है. पैर से लेकर सिर तक के कई पॉइंट्स ऐसे हैं जो एक दूसरे से जुड़े होते हैं और इन पर जब एक निश्चित मात्रा में प्रेशर डाला जाता है तो बीमारियों का इलाज होने लगता है. एक्यूप्रेशर द्वारा शरीर की मांसपेशी तंतुओं में भी लचक पैदा हो जाती है, जिससे खून का संचार आसानी से होता है और यह अस्थिपंजर तक की बीमारी को दूर करता है.
पांच हजार साल पहले हुआ था जन्म
भारत में एक्यूप्रेशर का जन्म 5 हजार साल पहले हुआ था. एक्यूप्रेशर के लगभग 669 बिंदुओं की सूची दी गई है और चार्ट में 1000 प्वॉइन्ट दिए गए हैं लेकिन रोजाना प्रयोग में आने वाले प्वॉइन्ट 100 से 200 ही होते हैं. इसके इलाज में प्रमुख काम उंगलियों का ही होता है क्योंकि इसमें रोगी को बिना किसी दवाई और पेनरिलीफ के ठीक करना होता है. इसमें शरीर के कुछ खास प्वॉइंट पर प्रेशर करना होता है. इस पद्दति में हथेलियों ,पैरों के तलवों, अंगुलियों और कभी कभी कोहनी अथवा घुटनों पर हल्के और मध्यम दबाव डालकर शरीर में स्थित उन उर्जा केन्द्रों को फिर से सक्रिय किया जाता है, जो किसी कारण अवरुद्ध हो गई हों.
भारत-चीन-अमेरिका में लोकप्रिय पद्दति
बिना दवा के इलाज करने वाली यह पद्धति सरल ,हानिरहित, खर्च रहित व अत्यंत प्रभावशाली और उपयोगी है, जिसे कोई भी थोड़ी सी जानकारी हासिल कर कभी भी कहीं भी कर सकता है. बस शरीर से संबंधित अंगों के बिंदु केन्द्रों की हमें जानकारी होनी चाहिए. वर्तमान में भारत और चीन के साथ ही अमेरिका आदि देशों में भी कई रोगों के उपचार में एक्यूप्रेशर चिकित्सा पद्धति काम में लाई जाती है.
एक्यूप्रेशर एक्सपर्ट बनने को जरूरी योग्यता
जो लोग इस प्रोफेशन का हिस्सा बनना चाहते हैं, उनके लिए जरूरी है कि वो वास्तविक जीवन की स्थितियों के साथ रोग का सामना करते समय अपने तरीके को लागू करने में पर्याप्त सक्षम हों और उनमें काम करने का लगन हो. उनमेंं इतनी दक्षता हो कि वो ग्राहक को आराम पहुंचा सके, साथ ही अपने काम के प्रति ईमानदार हो. संचार कौशल और लोगों की दिक्कतों को सुनने की क्षमता होनी चाहिए. इस प्रोफेशन में आने वाले व्यक्ति के लिए जरूरी है कि उसमें पर्याप्त समझ और संवेदनशीलता हो. एक्युप्रेशर प्रोफेशनल का धैर्यवान होना भी बहुत जरूरी है.
करियर बनाने के लिए जरूरी योग्यता
जो भी छात्र एक्यूप्रेशर थेरेपी में अपना भविष्य बनाना चाहते हैं कि उनके पास किसी एक्यूप्रेशर प्रोग्राम में ग्रेजुएशन या मास्टर्स डिग्री अथवा सर्टिफिकेट होना चाहिए. इसमें छात्रों को पर्याप्त ट्रेनिंग अनुभव की जरूरत पड़ती है.
एक्यूप्रेशर ट्रेनिंग
- नादीपैथी एक्यूप्रेशर हेल्थ केयर सेंटर, काकीनाडा
- सुजोक एक्यूपंक्चर और एक्यूप्रेशर, नई दिल्ली
- एक्यूपंक्चर कैम थेरेपी इंस्टीट्यूट, देहरादून
- एक्यूप्रेशर रिसर्च, ट्रेनिंग एंड ट्रीटमेंट संस्थान, इलाहाबाद
- उत्तरांचल इंस्टीटयूट एक्यूप्रेशर और अल्ट्रानेटिव मैडिसिन, देहरादून, एडवांस डिप्लोमा इन एक्यूप्रेशर थेरेपी
- एक्यूप्रेशर हेल्थ मार्ट (एसीएम), नयी दिल्ली