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ऑल इंडिया यूनाइटेड मुस्लिम मोर्चा ने कहा, अयोध्या मामले पर पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करनी चाहिए

नयी दिल्ली : ऑल इंडिया यूनाइटेड मुस्लिम मोर्चे ने अयोध्या मामले पर पुनर्विचार याचिका दायर करने के मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के फैसले की आलोचना करते हुए गुरुवार को कहा कि बोर्ड की बातों में विरोधाभास है और इस मुद्दे पर काफी सांप्रदायिक राजनीति हुई. लिहाजा, इसे खत्म कर देना चाहिए, ताकि राजनीतिक पार्टियां आम […]

नयी दिल्ली : ऑल इंडिया यूनाइटेड मुस्लिम मोर्चे ने अयोध्या मामले पर पुनर्विचार याचिका दायर करने के मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के फैसले की आलोचना करते हुए गुरुवार को कहा कि बोर्ड की बातों में विरोधाभास है और इस मुद्दे पर काफी सांप्रदायिक राजनीति हुई. लिहाजा, इसे खत्म कर देना चाहिए, ताकि राजनीतिक पार्टियां आम लोगों से जुड़े मुद्दे उठाएं. मोर्चे के राष्ट्रीय प्रवक्ता हाफिज़ गुलाम सरवर ने यहां एक पत्रकार वार्ता में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने तमाम परिस्थितियों को देखकर यह निर्णय सुनाया है और इसे हम सबको स्वीकार करना चाहिए.

गुलाम सरवर ने कहा कि फैसला आने से पहले तमाम संगठनों ने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा, उसे माना जायेगा, तो अब अगर-मगर क्यों किया जा रहा है? उन्होंने कहा कि मंदिर-मस्जिद के नाम पर बहुत सियासत हुई है और इससे सांप्रदायिकता बढ़ी है. इस मुद्दे का हल होने पर राजनीति आम आदमी से जुड़े मुद्दों पर होगी. सांप्रदायिक राजनीति से नुकसान गरीब और पिछड़ों का होता है.

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि मजिस्द में मूर्तियां रखना और उसे तोड़ना गैर-कानूनी है और यह भी माना है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने के कोई सबूत नहीं मिले हैं, जो मुसलमानों के लिए बड़ी जीत है. इसलिए इस मुद्दे को आगे नहीं ले जाना चाहिए. कोर्ट द्वारा कहीं और पांच एकड़ जमीन मुस्लिम पक्षकारों को देने के सवाल पर सरवर ने कहा कि अगर जमीन किसी चीज के बदले में या मुआवजे के तौर पर दी जा रही है, तो हमें इसे नहीं लेना चाहिए.

एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी द्वारा मस्जिद मांगने पर उन्होंने कहा कि ओवैसी को रोजगार, शिक्षा और आम लोगों से जुड़े मुद्दे पर सड़कों पर उतरना चाहिए और सांप्रदायिक राजनीति नहीं करनी चाहिए. करीब एक सदी से भी पुराने बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मामले का सुप्रीम कोर्ट ने नौ नवंबर को निपटारा कर दिया. कोर्ट ने विवादित भूमि हिंदू पक्ष को दे दी और मुस्लिम पक्ष को दूसरी जगह पांच एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया है.

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