नयी दिल्ली:पिछले एक महीने में सैकड़ों लोग हवा में काल के गाल में समा गये हैं. इन हादसों ने पूरी दुनिया को सकते में ला दिया है. इन हादसों के कई कारण हैं. यदि इस प्रकार से विमान के हादसे होते रहे तो लोग हवा के माध्यम से यात्रा करना बंद कर देंगे. जहां एक ओर यूक्रेन में मलेशियाई विमान को आतंकियों ने मार गिराया वहीं ताइवान और अल्जीरिया का प्लेन क्रेश हो गया.
यह तीनों दुर्घटना एक महीने के अंदर हुई. आखिर प्लेन के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के पीछे कारण क्या हो सकता है. एक समय में दुनिया भर में सैकड़ों विमान उड़ते हैं. इन विमानों को यदि नियंत्रित नहीं किया जाये तो दुर्घटना होना लाजमी है. कभी-कभी पायलट की लापरवाही से भी दुर्घटना हो जाती है.दुर्घटना के पीछे निम्न कारक भी हैं….
तकनीक
विमानों के दुर्घटना होने के पीछे तकनीक भी एक कारण है. आज हमारे पास केवल बातों में ही तकनीक होने की बात कही जा रही है. रहस्मय तरीके से लापता हुये मलेशियाई विमान बोइंग 777 का अभी तक पता नहीं लगाया जा सका है. कुआलालम्पुर से बीजिंग के लिये उडान भरने के बाद यह लापता हो गया था. इस लापता विमान में पांच भारतीय नागरिकों समेत 239 लोग सवार थे जिसकी खोज में कई देशों ने अपनी तकनीक लगा दी थी. उड़ान के दौरान एक एकसा समय आता है जब विमान का संपर्क रडार से खत्म हो जाता है. इस जीरो जोन कहते हैं. ऐसे में आतंकी इसको आसानी से अपना निशाना बना सकते हैं. या यदि विमान इस जीरो आवर में लापता हो जाता है तो उसे ढ़ंढ पाना में काफी मुयकिल होती है.
व्यस्त रूट
हवा एक समय में ही सैकड़ों उड़ाने रहतीं हैं जिसमें मात्र कुछ मिनटों का ही फासला रहता है. दिल्ली में ही कई बार लैंडिंग और उड़ान भरने के दौरान विमान टकराने से बच जाते हैं. दुनिया भर में विमानन कंपनियों में बढोत्तरी होती जा रही है लेकिन रुट एक ही होने से यह समस्या पैदा हो गई है.
पायलट की लापरवाही
विमान उड़ाते वक्त कभी-कभी पायलट की लापरवाही के कारण यात्री अपनी जान गवां देते हैं. अमूमन देखा जाता है कि पायलट उड़ान के दौरान जब समुद्री रास्ते पर होते हैं तो ऑटो मोड में विमान को छोड़ देते हैं. इस दौरान विमान दुर्घटना ग्रस्त हो जातीं हैं.
वित्तीय समस्याएं
आज विमानन कंपनियों के बीच भी सस्ती सुविधा देने की होड़ मची हुई है जिसके कारण वे कुछ चीजों को अनदेखा कर रहे हैं. लागत और मुनाफा के बीच की दूरी घटती जा रही है जिस कारण से इन कंपनियों में वित्तिय समस्याएं उत्पन्न हो रही है. मुनाफा कम होने के कारण वे विमान के रख रखाव में ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रहे हैं. सुरक्षा की भी अनदेखी विमानन कंपनियों के द्वारा की जा रही है.