चेन्नई : राज्यसभा चुनाव लड़ने के लिए पर्चा दाखिल करने की तैयारी कर रहे एमडीएमके प्रमुख वाइको को यहां शहर की एक अदालत ने 2009 के राजद्रोह के एक मामले में शुक्रवार को दोषी ठहराते हुए एक साल के कारावास की सजा सुनायी.
सांसदों और विधायकों के खिलाफ सुनवाई वाली विशेष अदालत के न्यायाधीश जे शांति ने वाइको को राजद्रोह का दोषी ठहराया क्योंकि उनका भाषण भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए (राजद्रोह) के तहत सरकार के खिलाफ वैमनस्यता पैदा करने के दायरे में आता है. न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, आरोपी को भादंसं की धारा 124 ए के तहत दोषी ठहराया जाता है और उन्हें एक साल के कारावास की सजा दी जाती है और उन्हें दस हजार रुपये का जुर्माना भी भरना होगा. वरिष्ठ अधिवक्ता पी विल्सन ने जनप्रतिनिधि कानून सहित विभिन्न प्रावधानों का हवाला देते हुए कहा कि वाइको के राज्यसभा चुनाव लड़ने में कोई कानूनी अड़चन नहीं है. एक याचिका दायर होने के बाद आदेश पर एक महीने की रोक लगा दी ताकि वह आदेश के खिलाफ अपील दायर कर सकें.
अभियोजन के अनुसार, 15 जुलाई वर्ष 2009 को वाइको की श्रीलंकाई मुद्दे पर आधारित किताब ‘आई एक्यूस’ के तमिल संस्करण ‘कुटरम सत्तुगिरेन’ के विमोचन के दौरान उनका भाषण भारत सरकार के खिलाफ था जिससे उन पर राजद्रोह का अपराध बनता है. फैसला आने के बाद यहां एक बयान में वाइको ने कहा, मैं श्रीलंका में तमिलों की हत्या और लिट्टे के समर्थन में बोलने पर अदालत द्वारा दी गयी एक साल की सजा को खुशी-खुशी स्वीकार करता हूं. एमडीएमके प्रमुख का कहना है कि यह किताब श्रीलंकाई मुद्दे पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को उनके द्वारा भेजे गये पत्रों का संकलन है.