बेटी जिया...अपने दिल की मायूसी और उदासी को कागज के टुकड़े पर लिखो और फिर उसे जला डालो. तुम्हारा दिल, तुम्हारा दिमाग बुरे ख्यालों से आजाद हो जाएगा और तुम अपनी जिंदगी अपने बस में कर पाओगी.
राबिया खान,
जिया की मां
मुंबईः अपनी मां राबिया खान की इस सलाह के चंद महीने बाद अपनी शर्तों पर जिंदगी जीने वाली जिया ने फांसी लगा ली. उसने पीछे ऐसा कोई कागज का टुकड़ा नहीं छोड़ा जिसपर उसकी जिंदगी के वो लम्हे कैद हों जो ये बता सकें कि आखिर इतनी खूबसूरत, खुशरंग जिया 25 साल की उम्र में ही जिंदगी से क्यों रूठ गई. शायद उसके कानों में उसकी मां के ब्लॉग पर लिखे वो शब्द नहीं गूंजें. अगर हम अपनी दिल में खुश हैं तो बाहरी दुनिया की बुरी हवा हम तक नहीं पहुंचेगी. मैं तो हर दिन की शुरुआत में खुद से कहती हूं – बहुत मजा आएगा, मैं हर काम खुशी खुशी करूंगी और तकदीर मेरा साथ देगी, मेरी जिंदगी सिर्फ मेरी है, उसपर मेरा अख्तियार है. जिया खान, राबिया की तीन खूबसूरत बेटियों में से एक. थोड़ी अल्हड़, थोड़ी तुनकमिजाज, थोड़ी बिंदास और शायद बॉलीवुड में दिखावा नहीं कला की तलाश करती उथल-पुथल भरी किरदार. जिया की मां राबिया खान सोचती होंगी कि आखिर वो जिया को जिंदगी की खूबसूरती का अहसास क्यों नहीं करवा सकीं. पुलिस को दिए बयान में एक मां का दर्द झलकता है. वो लड़ते-लड़ते थक चुकी थी, उसकी जिंदगी बॉलीवुड था लेकिन बॉलीवुड के पास उसे देने के लिए कुछ नहीं था.
जिया खान ने शायद इस चमक दमक के पीछे छिपे मतलबी अहसास और ठंडेपन को भी जिया था. इसकी झलक अमिताभ बच्चन के साथ जिया को लोलिता के भारतीय संस्करण फिल्म नि:शब्द में कास्ट करने वाले फिल्मकार राम गोपाल वर्मा को दिखी थी. वो अपने करियर को लेकर डिप्रेशन में थी और आने वाले कल से बेतरह डरी हुई थी, उसने मुझे बताया था कि उसे अपने आसपास की हर चीज को देखकर अपनी नाकामी की याद आती है.
आखिर किस बात की नाकामी सता रही थी जिया को. अमिताभ बच्चन, आमिर खान और अक्षय कुमार जैसे तीन बड़े सितारों के साथ पहली तीन फिल्में भी उसे इस चिंता से निकाल क्यों नहीं सकीं. जिया के जी में घुसे इस अंधेरे को देखने के लिए उसकी जिंदगी के 6 साल टटोलने पड़ेंगे, जिनमें आसमान से ऊंचे सपने नजर आते हैं. साथ ही नजर आते हैं कई टूटे रिश्तों के जख्म. जिन्होंने एक अच्छे भले इंसान को नुकीला बना डाला.
जिया के करीबी बताते हैं कि उसे वन फिल्म वंडर के ठप्पे से बेइंतहा डर लगता था. इसलिए उसने नि:शब्द के बाद मेगाहिट गजनी में काम किया. लेकिन उसे निशब्द जैसा रोल न मिला. इस फिल्म में उसे दूसरे नंबर की अभिनेत्री का किरदार निभाना पड़ा. पूरा फोकस जाहिर है आमिर खान के किरदार पर था. सितारे चमकने से पहले ही गर्दिश में आने लगे. गजनी के प्रोड्यूसर मधु मनतेना ने जिया के साथ तीन फिल्मों की डील की थी. लेकिन वो डील खटाई में पड़ गई. इसपर दूसरा झटका लगा 2010 में आई यूटीवी की फिल्म केन घोष की चांस पे डांस. फिल्म में जिया खान थीं, शूटिंग लगभग पूरी हो चुकी थी, जिया के साथ यहां भी तीन फिल्मों की डील की गई थी लेकिन शायद लीड हीरो शाहिद कपूर की जिया के साथ नहीं बनी और उसे फिल्म से निकाल दिया गया. जिया की मौत के बाद शाहिद कपूर ने भी ट्वीट किया- जिया की मौत बहुत परेशान करने वाली है.
कोई नहीं जानता जिया इस झटके और इस अपमान से कैसे उबरी. जिंदगी की ये रस्में उसने कैसे समझीं. उसके पास नौ दूसरे ऑफर थे, लेकिन कोई भी उसके मन का नहीं था, किसी में भी अभिनय नहीं था बल्कि कमर मटकाना था, जिस्म दिखाना था. उसी वक्त आई हाउसफुल. सूत्रों का कहना है कि इस फिल्म में भी उसे एक सीन में बिकिनी पहननी पड़ी, जिसने उसे खासा परेशान किया, क्योंकि वो सिनेमा में जिस्म की नुमाइश करने वाली खूबसूरत और ठंडी गुड़िया नहीं बनना चाहती थी. वो जख्मी मन को वक्त देने कैमरे की दुनिया छोड़ न्यूयॉर्क के ली स्टार्सबर्ग इंस्टीट्यूट चली गई एक्टिंग की अपनी पढ़ाई पूरी करने. और ऊर्जा भर कर लौटी, उसके करीबी बताते हैं कि जिया ने एक अंतरराष्ट्रीय टैलेंट मैनेजमेंट एजेंसी की सेवाएं लीं, अपनी वेबसाइट बनाई और सबको बताया कि उसका असली नाम जिया नहीं बल्कि नफीसा है. इस एजेंसी के एक अफसर ने बताया जिया ने लौटते ही साफ कर दिया कि वो इंडस्ट्री के बेहतरीन लोगों के साथ काम करना पसंद करेगी. उसे अच्छे सिनेमा में काम करना है, कोई आलतू-फालतू फिल्म नहीं करनी. उसकी उम्र अभी कम है.
न्यूयॉर्क से लौटते ही जिया ने गजनी के निर्देशक ए आर मुरुगाडॉस से संपर्क साधा. उसने मुझसे पूछा कि क्या दक्षिण की किसी फिल्म में उसके लिए रोल है. लेकिन इस तेज रफ्तार दुनिया में किसके पास किसके लिए वक्त है, उगते सूरज को सब सलाम करते हैं. फिर भी जिया ने संघर्ष जारी रखा, उसने हाल ही में रतन जैन के दामाद सिद्धार्थ के साथ तीन फिल्मों की डील की थी.
जब भी जिया फिल्म की कहानी सुनती थी तो कभी उसके दिमाग में अपनी फीस या पैसा नहीं आता था, वो हमेशा किरदार की बनावट पर तवज्जो देती थी. लेकिन ये बात सच है कि वो बहुत ही ज्यादा चूजी थी, जो रोल पसंद होगा उसे ही करेगी, इस मामले में वो कोई भी समझौता करने को तैयार न थी. जाहिर है ये फितरत ही जिया खान की राह में बाधा बन गई थी. असली अभिनय, या असली किरदार की ये तलाश ही उसे अकेला करती जा रही थी. और शायद इसलिए जब एक बड़े टीवी चैनल ने उसे डांस के रियलिटी शो में एक रोल दिया तो जिया खान ने उसे ठुकरा दिया.
मणिरत्नम की फिल्म ‘दिल से’ में एक बच्चे का रोल अदा करने वाली जिया की उम्मीदें अब दक्षिण भारतीय फिल्मों पर टिकी थी. उसने हैदराबाद और चेन्नई का रुख किया. लेकिन वहां सिर्फ जिया की सेक्स अपील को भुनाने की ही कोशिश की गई, उसे ऐसे रोल या ऐसे आइटम नंबर ऑफर किए गए जो उसके जिस्म को उभारते, उसके मन या उसके अभिनय को पूछते तक नहीं. खुदकुशी से पहले वो हैदराबाद में एक ऑडिशन के लिए ही गई थी. सूत्रों का कहना है कि उसमें जिया को एक तेलुगू सुपरस्टार की बड़े बजट की फिल्म में एक आइटम नंबर दिया गया. किसी भी रोल को तरसते कलाकार के लिए ये एक काम था लेकिन जिया के लिए नहीं, वो पिन अप गर्ल की इमेज से बचना चाहती थी, एक्टिंग करना चाहती थी, उसे भरोसा था अपनी एक्टिंग डिग्री पर.
लेकिन वो शायद भूल गई कि वो एक ऐसी दुनिया में है जिसमें डिग्री नहीं, गॉड फादर या गॉड मदर ही एक्टिंग करियर बनाते हैं, किसी बड़े अभिनेता परिवार में उसने जन्म नहीं लिया था. हालांकि, वो दक्षिण के सुपरस्टार वेंकटेश की फिल्म शैडो के लिए एक आइटम नंबर करने को लगभग तैयार हो गई थी. लेकिन अंतिम वक्त में उसने पैर वापस खींच लिए. उसे एक और सुपरस्टार पवन कल्याण की तेलुगू फिल्म पंजा में भी दूसरे नंबर की हीरोइन का ऑफर मिला लेकिन उस किरदार में भी अभिनय नहीं था. बताया जाता है कि जिया अक्सर तेलुगू स्टार और अपने दोस्त नवदीप से अपने दिल की बातें बांटती थी, मौत से पहले रविवार को हैदराबाद में भी वो नवदीप से लंच पर मिली.
‘जिया ने मुझे बताया कि मेरी छोटी बहन इस महीने के आखिर में सगाई करने जा रही है. उसने ये भी बताया कि उसे एक बड़ी फिल्म में एक डांस नंबर का ऑफर मिला है. जिया उसे लेकर काफी उत्साहित दिख रही थी.’
-नवदीप, अभिनेता
लेकिन हैदराबाद से जो लौटी वो खुश मिजाज जिया खान नहीं थी बल्कि उदास और टूटी हुई जिया थी, जिसका आत्म विश्वास डांवाडोल था, जिसके मन में न जाने कितनी बातें तूफान की मानिंद उमड़-घुमड़ रही थीं.