देहरादून: यहां दो दिनों से जारी मूसलाधार बारिश के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. सड़कों के जगह-जगह बंद हो जाने से यहां के चारधाम की यात्रा बुरी तरह प्रभावित हो गयी है. मौसम विभाग ने गुरुवार को भी भारी बारिश की आशंका व्यक्त की है. इससे स्थिति और भयावाह हो सकती है.
वहीं रुद्रप्रयाग में भारी बारिश की चेतावनी और पिछले कुछ दिनों से रुक-रुक कर हो रही वर्षा के कारण सडकों पर मलबा आने के कारण केदारनाथ तीर्थयात्रा आज तीन दिनों के लिये स्थगित कर दी गयी.
योगगुरु बाबा रामदेव के अनुयायियों सहित गंगा नदी के उदगम स्थल गोमुख में फंसने की खबरों का खंडन करते हुए उत्तरकाशी के जिलाधिकारी ने साफ किया कि सभी लोग सुरक्षित हैं और शाम तक उनके गंगोत्री लौट आने की उम्मीद है.
जिलाधिकारी आर रविशंकर ने दूरभाष पर बताया, ‘बाबा रामदेव गोमुख में फंसे हुए नहीं हैं जैसा कि कुछ टीवी चैनलों में आ रही खबरों में कहा जा रहा है. वह आज सुबह अपनी इच्छा से अपने करीब 150 अनुयायियों के साथ गोमुख गये थे. मैंने अधिकारियों से बात की है और मैं कह सकता हूं कि योगगुरु सुरक्षित हैं और अपने लोगों के साथ उनके आज शाम तक गंगोत्री लौट आने की उम्मीद है.
जिलाधिकारी ने कहा कि हर दिन गोमुख जाने वाले लोगों की संख्या सीमित रखी जाती है. बाबा रामदेव और 150 अन्य लोगों की यह संख्या सीमा के अंदर है. रामदेव इन दिनों गंगोत्री के निजी और आध्यात्मिक दौरे पर हैं.
केदार नाथ की यात्रा तीन दिनों तक स्थगित किये जाने के संबंध में जिलाधिकारी राघव लंघर ने बताया, ‘मौसम विभाग द्वारा क्षेत्र में भारी बारिश की चेतावनी दिये जाने के मद्देनजर केदारनाथ तीर्थयात्रा को 18 जुलाई तक के लिये स्थगित कर दिया गया है.
’उन्होंने कहा कि इसके अलावा, केदारनाथ धाम को जाने वाले मोटर मार्ग और सोनप्रयाग से केदारनाथ के बीच 21 किलोमीटर लंबे पैदल मार्ग पर बारिश के चलते बार-बार मलबा आ रहा है और यातायात प्रभावित हो रहा है.
लंघर ने बताया कि गढवाल हिमालय की उंची पहाडियों के बीच स्थित केदारनाथ धाम के दर्शन करने गये करीब 200 तीर्थयात्री धीरे-धीरे नीचे वापस आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि करीब 35 श्रद्धालु सोनप्रयाग पहुंच चुके हैं जबकि बाकी भी शाम तक नीचे आ जायेंगे.
यह पूछे जाने पर कि क्या 19 जुलाई से केदारनाथ यात्रा दोबारा शुरु कर दी जायेगी, जिलाधिकारी ने कहा कि यह सब मौसम और मार्गों की स्थिति पर निर्भर करता है.
मौसम विभाग के मुताबिक अगले 48 घंटे इन इलाकों में भारी बारिश होगी और ऐसे में यात्रा करना जोखिम भरा हो सकता है. मौसम विभाग के मुताबिक 16 और 17 जुलाई को भारी बारिश होने का अंदेशा है. जिसे देखते हुए चार धाम यात्रा को लेकर हाई अलर्ट जारी किया गया है. उत्तराखंड सरकार ने तत्काल प्रभाव से गंगोत्री और यमुनोत्री यात्रा पर रोक लगा दी है. और लोगों को चेतावनी दी है कि वो गंगोत्री और यमुनोत्री यात्रा पर फिलहाल ना जाएं और जो लोग गए है वो वापस लौट आएं. जो लोग लौटने में असमर्थ हैं वो आसपास ही कहीं सुरक्षित ठिकाना तलाश लें और रास्ते में न रहें.
एक दूसरे घटनाक्रम में उत्तराखंड के उत्तरकाशी-गंगोत्री मार्ग बंद होने के कारण योग गुरू बाबा रामदेव वहीं फंस गए हैं. उनके साथ करीब 450 बच्चे भी फंसे हुए हैं. बताया जा रहा है कि बाबा रामदेव ने इन बच्चों को लेकर गंगोत्री यात्रा पर गये हुए हैं.
उत्तराखंड आपदा प्रबंधन सेल और पुलिस ने कहा है कि रोक के बावजूद जाने पर अगर कोई हादसा होता है तो उसके लिए बाबा रामदेव ही जिम्मेदार होंगे. उत्तराखंड के डीजीपी ने कहा है कि बाबा रामदेव अपने साथ करीब 450 बच्चों को लेकर गए हैं और वहां लगातार बारिश के कारण वे फंस गए हें. उन्होंने कहा कि खराब मौसम के कारण अगर बच्चों को कुछ होता है तो रामदेव के खिलाफ कार्रवाई होगी. गौरतलब है कि प्रशासन के मना करने के बावजूद रामदेव गंगोत्री यात्रा पर चले गए थे.
चार धाम के बारे में
जैसा कि उल्लेख किया गया है कि बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री एवं यमुनेत्री चार धाम है.
बद्रीनाथ धाम-
यह चारो धामों में से सर्वश्रेष्ठ है. यह शहर समुद्र से 3,133 मीटर की उंचाई पर अवस्थित है. यह अलकनंदा नदी के किनारे बसा हुआ है और दो पर्वतों नारा और नारायण के बीच स्थित है. यह मंदिर विष्णु को समर्पित है.
केदारनाथ धाम-
केदारनाथ धाम शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. केदार शिव का ही अन्य नाम है.
गंगोत्री धाम
यह उत्तरकाशी से करीब 100 किलोमीटर की दूरी में स्थित है. यह धाम समुद्रतल से करीब 3200 मीटर की उंचाई पर स्थित है और भागीरथी नदी के किनारे बसा हुआ है.
इस मंदिर का द्वार गंगा की एक विशेष पूजा अर्चना के बाद खोला जाता है.
यमुनेत्री धाम
यह गढ़वाल में स्थित सबसे पश्चिम भाग में स्थित धाम है. यमुना देवी को समर्पित यह मंदिर यमुना नदी के किनारे स्थित है. इसे टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रताप शाह ने बनवाया था.