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दो इसलामिक समूहों की रंजिश से जन्मा आइएसआइएस

इराक तबाही के मुहाने पर खड़ा है. सुन्नी चरमपंथियों ने शिया बहुसंख्यक इराक सरकार के कई शहरों को अपने कब्जे में कर लिया है. वहां चल रहे हिंसक संघर्ष ने अरब और मध्य पूर्व एशिया के राजनीतिक स्थायित्व पर कई प्रश्न खड़े कर दिये हैं. सवाल है कि ये सुन्नी चरमपंथी कौन हैं, जो शिया […]

इराक तबाही के मुहाने पर खड़ा है. सुन्नी चरमपंथियों ने शिया बहुसंख्यक इराक सरकार के कई शहरों को अपने कब्जे में कर लिया है. वहां चल रहे हिंसक संघर्ष ने अरब और मध्य पूर्व एशिया के राजनीतिक स्थायित्व पर कई प्रश्न खड़े कर दिये हैं.

सवाल है कि ये सुन्नी चरमपंथी कौन हैं, जो शिया समुदाय के लोगों को मौत के घाट उतार रहा है. दरअसल, इराक और सीरिया में इसलाम के दो बड़े समूहों की आपसी रंजिश और तनाव ने इसलामिक स्टेट इन इराक एंड अल-शाम (आइएसआइएस) को जन्म दिया. यह संगठन सुन्नी पंथ को मानता है और इस विवाद के कारण भारी संख्या में सुन्नी समुदाय का समर्थन हासिल करने में कामयाब रहा है. इराक में शिया बहुमत में हैं. सद्दाम हुसैन के समय सुन्नी प्रभावशाली थे. सद्दाम सुन्नी थे. अमेरिकी हमले के बाद शिया प्रभुत्व की सरकार सत्ता में आयी, जिसने सुन्नी समुदाय के खिलाफ दमन की नीति अपनायी. इससे सुन्नी चरमपंथ को बढ़ावा मिला. यही स्थिति सीरिया में भी है, जहां सुन्नी बहुल जनसंख्या शिया-नियंत्रित तानाशाही से शासित है.

* लीडरशिप

आइएसआइएस का नेतृत्व अबु बकर अल बगदादी कर रहा है. अमेरिका का एक करोड़ डॉलर का इनामी यह जेहादी रहस्य के आवरण में रहता है. संगठन के कमांडरों को भी नकाब में ही दर्शन देता है. चरमपंथी जेहादियों में नये ओसामा बिन लादेन के रूप में देखा जानेवाला अल-बगदादी 1971 में समारा शहर में पैदा हुआ. वह बगदाद विवि से इसलामी अध्ययन में पीएचडी किया है.

* अस्तित्व

इराक पर अमेरिकी हमले के बाद अस्तित्व में आये इराकी अल कायदा का ही परिवर्तित रूप आइएसआइएस है. इराक में वर्ष 2006 में अल कायदा तो परास्त हो गया, लेकिन उसे पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सका. वर्ष 2011 में इसने कई इराकी जेलों से अपने समर्थकों को छुड़ाये और बगदाद समेत कई शहरों में आतंकी हमले शुरू किये. इसलामिक स्टेट की मौजूदा बढ़त उसे रोकने में इराकी सरकार की असफलता का सीधा परिणाम है.

* लक्ष्य

स्थापना के समय से ही आइएसआइएस का इरादा चरमपंथी सुन्नी देश बनाने का रहा है. अभी इराक और सीरिया में एक बड़ा हिस्सा इसके कब्जे में है. इसका आकार बेल्जियम के बराबर है. यह संगठन शुरू से ही अपने प्रचार-तंत्र के जरिये इस संभावित राज्य का नक्शा और शासन के तौर-तरीके के बारे में बताता रहा है.

* अर्थतंत्र

आइएसआइएस धन के लिए विदेशी सहायता पर निर्भर नहीं है. वह अपने नियंत्रण क्षेत्रों में करों की वसूली करता है और तेल व बिजली बेचता है. खबर है कि पूर्वी सीरिया में उसने तेल का उत्पादन शुरू कर दिया है. बेहतर अर्थ प्रबंधन के कारण यह संगठन अपने लड़ाकों वेतन, मूलभूत सुविधाएं और हथियार देता है.

* मददगार

आइएसआइएस को फिलहाल कुवैत, कतर और सऊदी अरब आर्थिक मदद कर रहा है. स्थानीय कबीलों और इराक में बाथ पार्टी के पूर्व सदस्यों से इन्हें हथियारों की आपूर्ति की जाती है.

* प्रस्तावित नक्शा

संगठन के प्रस्तावित नक्शे में इराक और सीरिया दोनों देशों के अधिकांश तेल उत्पादन क्षेत्र शामिल हैं. इसके एक अन्य नक्शे में इसलामिक राज्य की प्रस्तावना है. इसमें कुछ देशों को छोड़ कर पूरा मध्य-पूर्व और उत्तर अफ्रीका शामिल हैं. वर्तमान में संगठन ने नयी सुन्नी धुरी तय की है, जो सीरिया में अलेप्पो शहर से 40 किमी दूर स्थित अल-बाब से लेकर इराक में मोसुल और फलुजा तक जाती है. संगठन में इराक के मोसुल जैसे कई प्रमुख शहरों पर राज कर रहा है.

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