नयी दिल्ली : अनुसूचित जाति/जनजाति (एससी, एसटी) अत्याचार कानून को और सख्त करने की कवायद चल रही है. इस संबंध में नरेंद्र मोदी सरकार संसद के बजट सत्र में विधेयक ला सकती है. इसकी शुरुआत यूपीए सरकार ने की थी. पिछली लोकसभा में चूंकि यह पारित नहीं हो सका, एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) संशोधन अध्यादेश की घोषणा की गयी थी.
चार मार्च को अध्यादेश के जरिये रेप, उत्पीड़न और अपहरण को इस कानून के दायरे में लाया गया था. इनमें अधिकांश अपराधों में 10 साल से कम की सजा मिलती है, लेकिन नये संशोधनों के जरिये एससी/एसटी कानून, 1989 को और कड़ा बनाने से इन मामलों में 10 साल से ज्यादा की सजा हो सकती है.
* धारा-3 में संशोधन
धारा -3 में नये अपराधों को परिभाषित किया गया है. सूची में शामिल अपराधों में सार्वजनिक संपत्ति को इस्तेमाल से रोकना, जादू टोने के आरोप लगाना, धार्मिक स्थल पर प्रवेश से रोकना, सामाजिक और आर्थिक बहिष्कार करना और बैर भाव को बढ़ावा देना शामिल है. इन्हें एससी, एसटी के खिलाफ क्रूरता माना जाता है. ऐसे अपराधों में केस चलाने के लिए विशेष कोर्ट बनाने, पीडि़तों के पुनर्वास का प्रावधान है.