नयी दिल्ली : केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) के निदेशक पद से हटाये गये आलोक वर्मा ने शुक्रवार को सेवा से इस्तीफा दे दिया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने गुरुवार को उन्हें सीबीआइ निदेशक के पद से हटा दिया था. वर्मा ने अपने त्याग-पत्र में कहा कि यह ‘सामूहिक आत्ममंथन’ का क्षण है. उन्होंने कहा कि उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया.
Former CBI Chief Alok Verma in a letter to Secy Dept of Personnel&Training: The undersigned is no longer Director,CBI&has already crossed his superannuation age for DG Fire Services, Civil Defence&Home Guards.The undersigned may be deemed as superannuated with effect from today. https://t.co/K0O8wzkGzg
— ANI (@ANI) January 11, 2019
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के सचिव को भेजे गये अपने इस्तीफे में वर्मा ने कहा, ‘यह भी गौर किया जाये कि अधोहस्ताक्षरी (नीचे दस्तखत करने वाला) 31 जुलाई, 2017 को ही सेवानिवृत्त हो चुका था और 31 जनवरी, 2019 तक सीबीआइ निदेशक के तौर पर अपनी सेवा दे रहा था, क्योंकि यह तय कार्यकाल वाली भूमिका होती है.’
उन्होंने आगे लिखा है, ‘अधोहस्ताक्षरी अब सीबीआइ निदेशक नहीं है और महानिदेशक दमकल सेवा, नागरिक सुरक्षा एवं गृह रक्षा के पद के लिहाज से पहले ही सेवानिवृत्ति की उम्र पार कर चुका है. अत: अधोहस्ताक्षरी को आज से सेवानिवृत्त समझा जाये.’
भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) के 1979 बैच के अरुणाचल प्रदेश, गोवा, मिजोरम एवं केंद्रशासित प्रदेश (एजीएमयूटी) कैडर के अधिकारी वर्मा का तबादला गुरुवार को महानिदेशक दमकल सेवा, नागरिक सुरक्षा एवं गृह रक्षा के पद पर कर दिया गया था. सीबीआइ निदेशक के पद पर वर्मा का दो वर्षों का कार्यकाल 31 जनवरी, 2019 को पूरा होने वाला था.
इससे 21 दिन पहले ही प्रधानमंत्री मोदी, लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एके सीकरी की समिति ने 2-1 के बहुमत से वर्मा को सीबीआइ प्रमुख के पद से हटाने का फैसला किया. मोदी और जस्टिस सीकरी, वर्मा को सीबीआइ निदेशक पद से हटाने के पक्ष में थे, जबकि खड़गे ने इसका विरोध किया.