मुंबई : भगवान हनुमान की जाति को लेकर चल रही बहस पर चुटकी लेते हुए भाजपा के सहयोगी दल शिवसेना ने शनिवार को कहा कि बेहतर है कि रामायण के अन्य पात्र भी अपना जाति प्रमाण पत्र तैयार रखें.
पार्टी ने इस बहस को ‘बेबुनियाद’ और ‘निराधार’ बताते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा में भगवान हनुमान पर जाति का ठप्पा लगाकर ‘नयी रामायण’ लिखने की कोशिशें की जा रही हैं और ऐसी कोशिशों को रोका जाना चाहिए.
शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में एक संपादकीय में कहा, ‘अयोध्या में राम मंदिर का अभी निर्माण किया जाना है, लेकिन भक्ति और वफादारी के अवतार हनुमान की जाति को लेकर भाजपा में एक बहस शुरू हो गई है. भगवान हनुमान के धर्म और जाति पर बहस करने का क्या तुक है.
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संपादकीय में कहा गया है, ‘हाल में संपन्न विधानसभा चुनावों में प्रचार करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि हनुमान दलित थे. इसके बाद कई अन्यों ने यह दावा किया कि हनुमान उनकी जाति के थे.’ इसमें कहा गया है, ‘इसके बाद उनके पार्टी के नेता एवं पार्षद बुक्कल नवाब ने कहा कि वह मुसलमान थे. असल में भगवान हनुमान की जाति का पता लगाना मूर्खता है.’
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उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा कि आदित्यनाथ के मंत्रिमंडल के सहकर्मी लक्ष्मी नारायण चौधरी ने विधानसभा में ऑन रिकॉर्ड कहा था कि भगवान जाट थे. शिवसेना ने कहा कि आचार्य निर्भय सागर महाराज ने दावा किया कि जैन ग्रंथों के अनुसार, भगवान हनुमान जैन थे.
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‘सामना’ में कहा गया है, ‘इस तरीके से उत्तर प्रदेश विधानसभा में नई रामायण लिखी जा रही है और उसके मुख्य पात्रों के साथ जाति का ठप्पा लगाया जा रहा है. अयोध्या में भगवान राम का मंदिर बनाया जाना था लेकिन ये लोग राम के भक्त की जाति पता करने की कोशिश कर रहे हैं.’
इसमें कहा गया है, ‘इस तरीके से वे हनुमान का मजाक बना रहे हैं. लेकिन जो लोग अपने आप को हिंदुत्व का संरक्षक कहते है वे इस पर चुप्पी साधे हुए हैं. अगर यह मुस्लिमों या ‘प्रगतिशील’ लोगों ने किया होता तो यह हिंदुत्व सेना हंगामा कर देती.’
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शिवसेना ने कहा, ‘हाल के चुनावों में भाजपा के हार का सामना करने के बावजूद हनुमान की जाति पर बहस जारी रहने की संभावना है. अत: रामायण के अन्य पात्रों को अब अपना जाति प्रमाणपत्र तैयार रखना चाहिए.