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सोनिया फिर बनीं कांग्रेस संसदीय दल की नेता

नयी दिल्ली:सोनिया गांधी को शनिवार को लगातार पांचवीं बार कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) का नेता चुना गया. हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में पार्टी के अब तक के सबसे खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी में जारी आरोप-प्रत्यारोप और कुछ नेताओं द्वारा टीम राहुल को निशाना बनाये जाने के बीच सोनिया ने पार्टीजन से सार्वजनिक बयानबाजी […]

नयी दिल्ली:सोनिया गांधी को शनिवार को लगातार पांचवीं बार कांग्रेस संसदीय दल (सीपीपी) का नेता चुना गया. हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में पार्टी के अब तक के सबसे खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी में जारी आरोप-प्रत्यारोप और कुछ नेताओं द्वारा टीम राहुल को निशाना बनाये जाने के बीच सोनिया ने पार्टीजन से सार्वजनिक बयानबाजी से बचने को कहा. संसदीय दल की बैठक को संबोधित करते हुए सोनिया ने माना कि पार्टी के खिलाफ जबरदस्त नाराजगी थी, जिसे सही ढंग से पहचानने में विफल रहे. उन्होंने कहा, ‘हमें समझना चाहिए कि ऐसा क्यों हुआ और हमें व्यक्तिगत रूप से और सामूहिक तौर इस अभूतपूर्व पराजय से उचित सीख हासिल करनी होगी.’

लोकसभा चुनावों में बाद संसद के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में हुई सीपीपी की पहली बैठक में राहुल गांधी भी मौजूद थे. बैठक में निर्वतमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सहयोग एवं दिशा-निर्देश देने के लिए कांग्रेस प्रमुख को धन्यवाद दिया. सीपीपी की बैठक में मोदी के नेतृत्व में बननेवाली नयी सरकार को बधाई और शुभकामनाएं दी गयी. सोनिया ने पार्टीजनों को इस तथ्य से ताकत हासिल करने को कहा कि कांग्रेस 10.69 करोड़ वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रही, जबकि भाजपा को 17.16 करोड़ वोट मिले. कहा, ‘हमें कड़ी मेहनत करनी है, ताकि हम अपना बड़ा समर्थन आधार फिर से हासिल कर सकें, जो पारंपरिक रूप से कांग्रेस के पास रहा है.’

सीपीपी प्रमुख के लिए सोनिया गांधी के नाम का प्रस्ताव वरिष्ठ नेता मल्लिकाजरुन खड़गे ने किया और मोहसिना किदवई सहित कई अन्य नेताओं ने इसका समर्थन किया. 16 मार्च, 1998 को सोनिया पहली बार सीपीपी अध्यक्ष चुनी गयी थीं. आम चुनाव में पार्टी की पराजय के बाद सीताराम केसरी को हटा कर उन्हें पार्टी की बागडोर सौंपी गयी थी. सीपीपी की बैठक में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि पार्टी उम्मीद करती है कि संसद में सभी धर्मनिरपेक्ष और प्रगतिशील ताकतें अपनी रणनीतियों का प्रभावशाली ढंग से परस्पर समन्वय करेंगी, ताकि एकजुट विपक्ष तैयार हो सके. सीपीपी ने समान विचारधारावाली अन्य पार्टियों को आश्वासन दिया कि वह इस संबंध में पूरा सहयोग करेगी.

विपक्ष की भूमिका बतायी कांग्रेस
अध्यक्ष ने कई महत्वपूर्ण विधेयक पारित कराने में पिछली लोकसभा में समर्थन नहीं देने के लिए भाजपा को दोषी ठहराया. कहा, ‘विपक्ष में रहने का मतलब है अधिक नियमित उपस्थिति हो, सदन के भीतर अधिक समय बिताया जाये और विषयों का अधिक अध्ययन किया जाये. अधिक सवाल किये जाएं, अधिक मुद्दे उठाये जाएं, अधिक चर्चाएं शुरू की जाएं और हमेशा सतर्क प्रहरी की तरह रहा जाए.’

लोकसभा, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष पर फैसला करेंगी
सोनिया लोकसभा और राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष के बारे में फैसला कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी करेंगी. पार्टी में एक राय यह भी है कि लोकसभा में विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी सोनिया और राहुल गांधी में से कोई एक संभाले. इस पद के लिए कमलनाथ के नाम पर भी चर्चा हो रही है. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता एके एंटनी और गुलाम नबी आजाद के नाम को लेकर कयास लगाये जा रहे हैं.

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