25.3 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

काम नहीं बोलता, चिल्लाना पड़ता है

चलिए अमेठी में चुनाव संपन्न हो गए, पहली बार चुनाव के वक्त राहुल गांधी को गांव-गांव भटकते देखा गया. छोटे से बाजार में टुटही सी दुकान पर चाय पीते हुए उनकी तस्वीर टीवी ने सबको दिखाई. अब प्रत्याशी हैं तो अपने इलाके में घूमना कौन सी बड़ी बात है, लेकिन भाई बड़ी बात इसलिए है […]

चलिए अमेठी में चुनाव संपन्न हो गए, पहली बार चुनाव के वक्त राहुल गांधी को गांव-गांव भटकते देखा गया. छोटे से बाजार में टुटही सी दुकान पर चाय पीते हुए उनकी तस्वीर टीवी ने सबको दिखाई. अब प्रत्याशी हैं तो अपने इलाके में घूमना कौन सी बड़ी बात है, लेकिन भाई बड़ी बात इसलिए है की अबकी बार गर्मी में भी निश्चिंत होकर एसी में बैठने की जगह उन्होंने इलाके में लगातार बने रहने का सोचा.

शुक्र मनाईये कि अब चुनाव आयोग ठीक ठाक हो गया है और हर जगह मीडिया वाले पहुंच रहे हैं जिस नाते लोग चौकन्ने हो गए हैं. वर्ना पुराने ज़माने में तो बूथ पर जा रहे लोगों को रस्ते में ही बता दिया जाता था की वोट पड़ चुका है क्योंकि जागरूक समर्थक चाहते ही नहीं थे की वोट बर्बाद हो. बदलाव तो बहुत हुआ है, लोग निकल रहे हैं और वोट भी दे पा रहे हैं. सवाल -जवाब करने की ताकत भी लोगों में आ गयी है. इसका उदाहरण भी अमेठी में ही देखने को मिल रहा है. अब राहुल जी जैसी हस्ती से भी उनके खानदानी इलाके में लोग सवाल करने लगे हैं. इससे नेता लोग डरने तो लगे ही हैं कि एकदिन सब समझदार हो जायेंगे तब क्या होगा?

अमेठी में कुछ गांव वालों ने राहुल गांधी से इलाके की खराब सड़कों को लेकर सवाल करना शुरू कर दिया, कुछ देर तक समझाने के बाद भी लोग शांत नहीं हुए तब झल्ला कर उन्होंने कह दिया की जाओ, कमल को वोट दे दो. महान समाजवादी शरद यादव ऐसे ही नहीं झल्ला रहे हैं क्योंकि संसद और दिल्ली की मीडिया में उनके भाषाई कौशल के सब कायल हैं लेकिन खुद उनके चुनाव क्षेत्र में पप्पू यादव ने जिस तरीके से खुद को झोंक दिया कि शरद बाबू भी बिहार छोड़ केजरीवाल को बचाने की बात करने बनारस आ गये. बनारस में भी अब तक जो भाजपाई निश्चिंत होकर लड़ रहे थे अब बौखलाए हुए हैं, बात जीत के मार्जिन की हो तो रही है लेकिन अब गंगा आरती को मुद्दा बना लिया गया है क्योंकि चाय का तो मामला खतम हो गया है. अरे भाई आरती ही करनी है तो इतने घाट हैं बनारस में, कहीं भी जाकर आरती की जा सकती है, लेकिन मामला वही है कि राहुल गांधी नुक्कड़ पर चाय पीते हैं. दस लोग देखते हैं. वैसे ही चुपचाप किसी घाट पर भोरे-भोरे जाकर आरती कर लेने से कोई देख तो पायेगा नहीं. इसलिए जहां मजमा लगा हो वहीं गंगा मइया का जय बोलना सही लगता होगा.

हां एक रोचक बात यह भी रही की अमेठी में राहुल गांधी ने किसी गांव का रास्ता पूछा तो गांव वाले इतने साहसी निकले की कोई कच्चा -टुटहा रास्ता दिखा दिए वो भी ऐसा की जिसपर चलने के बाद राहुल को याद आ गया होगा की भाषण देने और सही के गांव की तरफ जाने में कितना अंतर होता है. आश्चर्यजनक किन्तु सत्य तो यही है की राहुल से भी सवाल -जवाब हुए और जिस बनारस को सुरिक्षत समझ कर मोदी जी उतरे पड़ा वहां हजारों बाहरी समर्थकों को लाने की जरु रत उन्हें पड़ गयी. यह अलग बात है कि अब अधिकांश दलों का चाल -चेहरा -चरित्र एक जैसा लगने लगा है फिर भी टेस्ट बदलने के लिए जनता भी खेला करने लगी है. कानपूर में एक मिठाई वाला है जो बोर्ड लटकाए हुए है की ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं फिर भी लोग उसकी दुकान में टूटते रहते हैं. वही हाल नेता और जनता के संबंधों का भी है,चाहे चाय पीने वाला हो, पिलाने वाला हो या फिर गंगा मइया के नाम पर भी राजनीति करने वाला, पिब्लक सब समझती है. कभी किनारे लगा देती है तो कभी साथ साथ लेकर पार उतार देती है,करेगी भी तो क्या उसकी भी तो मज़बूरी है साहब,वरना जब चुनाव लडने वाले इतने ही काबिल होते तब उनको घूम घूम कर अपनी डफली बजाने की जरूरत ही क्या पड़ती क्योंकि सुनने में तो आता है की काम बोलता है, ये सही बात है की झूठ ?

मलंग

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें