नयी दिल्ली: राकांपा प्रमुख एवं केंद्रीय मंत्री शरद पवार गुरुवार को नक्सली मुद्दे से निपटने के लिए सेना के इस्तेमाल का विरोध करने वालों के सुर में सुर मिलाते नजर आए. उन्होंने इसके पीछे के कारणों को समझने की वकालत की.
पवार ने कहा, ‘‘यह सिर्फ कानून व्यवस्था की समस्या नहीं है और नक्सलवाद तब तक जारी रहेगा जब तक आदिवासी और अन्य सभी तबके देश के विकास में खुद को हिस्सेदार नहीं महसूस करते.’’ उन्होंने कहा कि हिंसा सही रास्ता नहीं है जिसका अनुकरण किया जाए लेकिन उन्होंने दावा किया कि आदिवासी युवक असमानता और असंतोष की वजह से नक्सलवाद की ओर जा रहे हैं. इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती.
पवार ने राष्ट्रवादी युवा कांग्रेस के राष्ट्रीय सम्मेलन में यहां कहा, ‘‘छत्तीसगढ़ में जो हुआ, जिसमें कांग्रेस नेता मारे गये, हम उसकी भर्त्सना करते हैं. यह देश की प्रगति के लिए सही पथ नहीं है. युवाओं के समक्ष एक गलत विचारधारा पेश की जा रही है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘हाथों में हथियार लेने से देश का भला नहीं हो सकता. यह कहना व्यर्थ है कि इससे गरीबों का भला होगा. ’’
पवार के बयान का इसलिए महत्व है क्योंकि कांग्रेस नेता और केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि माओवादी ‘‘आतंकवादी’’ हैं. पवार ने हर क्षेत्र में सड़कों, अस्पतालों एवं शिक्षा सहित आधारभूत सुविधाओं के विकास की वकालत की.
वरिष्ठ राकांपा नेता ने सुझाव दिया, ‘‘आर्थिक असमानता एक कारण है जिससे आदिवासियों एवं अन्य वर्गों के बीच असंतोष बढ़ा तथा नक्सलवाद का विकास हुआ.’’ पवार ने कहा, ‘‘इस इस बात की अनदेखी नहीं कर सकते कि नक्सलवाद का प्रसार कैसे हुआ..एक तरफ तो हम देखते हैं कि दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में लोग कुछ ही घंटों में करोड़ों रुपये फूंक देते हैं. दूसरी तरफ जंगलों में रहने वाले बच्चों के लिए दो जून की रोटी भी निश्चित नहीं होती.’’
उन्होंने कहा, ‘‘किसी न किसी दिन वह दूसरा रास्ता पकड़ सकता है. इसे समझने की आवश्यकता है. यह केवल कानून एवं व्यवस्था की समस्या नहीं है.’’ पवार ने कहा कि जब तक आदिवासी एवं अन्य सभी वर्ग देश के विकास में भागीदारी महसूस नहीं करते, नक्सलवाद उनका इस्तेमाल करता रहेगा.