नयी दिल्ली : राजनीति गंदी है या राजनीतिक जुबान, यह एक अहम सवाल है, क्योंकि बीते कई सालों से देश में अक्सर राजनेताओं की जुबान बेलगाम होती नजर आ रही है. जिस तरह से देश के राजनेताओं की जुबान एक-दूसरे पर राजनीतिक वार करने के फेर में फिसलती नजर आ रही है, उससे एक और अहम सवाल पैदा होता है और वह यह कि आखिर देश के राजनेता बयानों की मर्यादा को क्यों लांघते जा रहे हैं?
आज यानी गुरुवार सात दिसंबर को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर राजनीतिक वार के दौरान मर्यादाओं को लांघते हुए विवादित बयान दिया, तो यह सवाल और भी मौजूं हो जाते हैं. हालांकि, मणिशंकर अय्यर के पहले यूपीए-वन के शासनकाल में राजनेता बेनी प्रसाद वर्मा ने भी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को ‘नीच’ कहा था. हालांकि, उनके इस बयान के बाद तत्कालीन विपक्ष और भाजपा के दो नेता अरुण जेटली और सुषमा स्वराज ने कड़ा ऐतराज जाहिर करते हुए संसद की कार्यवाही को बाधित भी कर दिया था.
एक समय था, जब 31 अक्टूबर, 1984 को पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी ने विवादित बयान दिया था, जिसमें उन्होंने कहा कि ‘जब भी कोई बड़ा पेड़ गिरता है, तो धरती थोड़ी हिलती ही है.’ उस समय उनके इस बयान को राजनीतिक मर्यादा के विपरीत माना गया था और उसकी तीव्र भर्त्सना की गयी थी. राजनीति के जानकार बताते हैं कि राजीव गांधी के प्रधानमंत्रीत्व काल ही की बात है, जब उस समय बक्सर के सांसद और केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री केके तिवारी ने विवादित बयान दिये थे. उन्होंने उस समय दूरदर्शन पर केवल राजीव गांधी से संबंधित खबरों को दिखाये जाने पर विपक्ष के सवालों के जवाब में कहा था-‘राजीव गांधी सुंदर हैं और विपक्ष बदसूरत.’ उस समय भी उनके इस बयान की काफी निंदा की गयी थी.
राजनीति के जानकार यह भी बताते हैं कि 20वीं सदी के भारत में अगर किसी नेता की जुबान फिसलती भी थी, तो उसमें शालीनता बरकरार रहती थी, लेकिन 21वीं सदी के भारत और खासकर बीते दो-तीन सालों के दौरान राजनेताओं की जुबान में कड़वाहट और फिसलन में फूहड़ता अधिक समा गयी है. वे बताते हैं कि जिस समय आज के केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भाजपा के अध्यक्ष हुआ करते थे, तब उन्होंने राजद सुप्रीमो लालू यादव और सपा प्रमुख मुलायम सिंह के बारे में कहा था-‘ये दोनों सोनिया गांधी के तलवे चाटते थे’. उनके इस बयान के जवाब में आज के केंद्रीय मंत्री और भाजपा के नेता एवं तब के राजद नेता रामकृपाल यादव ने कहा ‘बिहार में प्रचलित मुहावरा है, छछूंदर के माथे चमेली का तेल’.
जुबान फिसलने के मामले में कांग्रेस महासचिव बीके हरिप्रसाद भी पीछे नहीं है. उन्होंने एक समय भाजपा की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज पर हमला करते हुए कहा था कि ‘सुषमा राजघाट पर डांस कर रही थीं. श्मशान घाट में तो भूत-प्रेत ही डांस किया करते हैं. उन्होंने गडकरी के बारे में कहा था कि गडकरी सर्कस के मालिक बनने के लायक भी नहीं है.’ कांग्रेस से सपा और सपा से कांग्रेस में आने वाले राजनेता बेनी प्रसाद ने एक समय मुलायम सिंह के बारे में कहा था कि ‘मुलायम सिंह पगला गये हैं…. सठिया गये हैं.’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह की जुबान तो अक्सर सभी मर्यादाओं को भूलकर फिसलती नजर आती है. इसे लेकर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने भाजपा को ‘नचनियों की पार्टी’ कहा था. इतना ही नहीं, राजनीति में उनका ‘टंच माल’ वाला बयान तो काफी विवादों में रहा था. भाजपा के वरिष्ठ नेता और केद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने एक समय कांग्रेस पर वार करते हुए कहा था कि ‘पता नहीं, कांग्रेस के भांड अपनी जुबान पर लगाम क्यों नहीं रखते’. गाहे-बगाहे सियासी मर्यादा भूलकर शिवसेना के संस्थापक और दिवंगत नेता बाला साहब ठाकरे भी विरोधी पार्टी के नेताओं की धज्जियां उड़ाते नजर आते थे. राजनीतिक मर्यादा को ताख पर रखने के मामले में मनसे के नेता राज ठाकरे भी पीछे नहीं हैं. समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान भी मर्यादाओं को ताख पर रखने में किसी से पीछे नहीं हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी अमर सिंह को एक बार ‘रंगीले-छबीले दलाल’ कहने से भी गुरेज नहीं किया था.
आतंकवाद पर गिरिराज सिंह का ट्वीट, ‘आतंकवाद के समाप्त होने से कांग्रेस परेशान (अपसेट) है और कांग्रेस के समाप्त होने पर आतंकवादी परेशान हैं.’ राहुल गांधी द्वारा जीएसटी को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ बताये जाने वाले बयान पर बिना राहुल का नाम लिए केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने अपनी तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि ‘कांग्रेस उपाध्यक्ष की बॉडी लैंग्वेज ‘गब्बर सिंह’ जैसी है. कुछ लोग चिल्ला रहे हैं. देश के युवराज (राहुल गांधी) इसे गब्बर सिंह जीएसटी कह रहे हैं. यह गब्बर सिंह जीएसटी नहीं है. आपको समझने में भूल हुई है. आप की भाषा और बॉडी लैंग्वेज गब्बर सिंह जैसी है.’
बिहार चुनाव के दौरान मुजफ्फरपुर के परिवर्तन रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था- ‘नीतीश कुमार के राजनैतिक डीएनए में कुछ गड़बड़ है. इस गड़बड़ के चलते ही उन्होंने दोस्तों को दगा दे दिया, जिन्होंने उनके लिए काम किया था. जब नीतीश ने हमसे समर्थन वापस लिया था, तो मुझे बहुत दुख हुआ था, लेकिन जब उन्होंने जीतन राम मांझी जैसे महादलित के साथ भी ऐसा ही किया, तब मैंने सोचा कि उनके राजनैतिक डीएनए में ही कुछ गड़बड़ है.’
बिहार चुनाव के दौरान ही भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था – ‘अगर पार्टी बिहार में चुनाव हारती है, तो पाकिस्तान में लोग पटाखे फोड़ेंगे. अगर किसी वजह से भाजपा चुनाव हार जाती है, वैसे चुनाव में हार-जीत इस देश में होती रहती है, लेकिन पटाखे पड़ोसी देश पाकिस्तान में जश्न के रूप में फोड़े जायेंगे. क्या आप ऐसा चाहते हैं?’ अभी हाल ही में लालू प्रसाद के बेटे तेजप्रताप ने सुशील मोदी के बेटे की शादी से पहले बयान दिया था- ‘घुसकर मारूंगा, खाल उधेड़ दूंगा, दुलहन नीतीश जी जैसी नहीं चाहिए.’
राजनेताओं की फिसलती जुबान के अहम शब्द : शैतान, धृतराष्ट्र, दुर्योधन, चाराचोर, नरभक्षी, राक्षसी सेना, देव सेना, पूतना, कंस, मौत का सौदागर, विकास का पापा, विदेशी गर्भ से पैदा हुआ तोता, जहर की पुड़िया.