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भारत और चीन के बीच एक महीने के भीतर छिड़ेगा युद्ध, आमने सामने होंगे अमेरिका और चीन, पढ़ें किसने कहा

नयी दिल्ली : भारतवंशी ब्रिटिश अर्थशास्त्री और ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य मेघनाद देसाई ने आशंका जतायी है कि डोकलाम को लेकर भारत और चीन में कभी भी एक बड़े स्तर का युद्ध छिड़ सकता है. मेघनाद दक्षिण एशिया मामलों के जानकार हैं. टकराव की ओर पड़ोसी देसाई ने कहा है कि डोकलाम […]

नयी दिल्ली : भारतवंशी ब्रिटिश अर्थशास्त्री और ब्रिटेन के हाउस ऑफ लॉर्ड्स के सदस्य मेघनाद देसाई ने आशंका जतायी है कि डोकलाम को लेकर भारत और चीन में कभी भी एक बड़े स्तर का युद्ध छिड़ सकता है. मेघनाद दक्षिण एशिया मामलों के जानकार हैं.

टकराव की ओर पड़ोसी

देसाई ने कहा है कि डोकलाम में भारत और चीन की सेना की उपस्थिति से दक्षिण चीन सागर में तनाव बढ़ता जा रहा है. देसाई ने यह बयान एक इंटरव्यू के दौरान दिया. उन्होंने कहा कि अभी तक डोकलाम विवाद पर किसी का ध्यान नहीं है, जबकि यहां एक महीने के अंदर किसी भी समय युद्ध छिड़ सकता है, जो नियंत्रण से बाहर होगा. उन्होंने कहा कि मैं कोई ज्योतिषी नहीं हूं कि युद्ध की निश्चित तिथि और घड़ी की भविष्यवाणी करूं, लेकिन यह होगा. युद्ध न सिर्फ डोकलाम, बल्कि हिमालय की पहाड़ों से लेकर दक्षिण चीन सागर के कई मोर्चों पर शुरू हो सकता है. दक्षिण चीन सागर के मोर्चे पर युद्ध का मतलब है अमेरिका के साथ लड़ाई.

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दक्षिण चीन सागर में अमेरिका भारत के साथ खड़ा होगा. क्योंकि, भारत बिना अमेरिका के और अमेरिका बिना भारत के सहयोग से यहां चीन के सामने खड़ा नहीं हो सकता. देसाई ने कहा कि भारत चीन की सैन्य शक्ति को पाकिस्तान के बराबर न समझे. भारत समझता है कि वह युद्ध के लिए तैयार है, लेकिन चीन के पास विश्व की सबसे उत्कृष्ट सेना है, जो पहाड़ों पर युद्ध के लिए वे हमसे ज्यादा प्रशिक्षित हैं. इसलिए यह लड़ाई भारत के लिए काफी मुश्किल होगी.

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नेपाल को अपने पक्ष में कर रहा चीन

चीन अब नेपाल पर कूटनीतिक दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है. नयी दिल्ली स्थिति चीनी राजनयिकों ने नेपाली अधिकारियों को इस मुद्दे पर अपना पक्ष बताया है. वहीं, चीनी अफसर ने हाल ही में नियुक्त नेपाली अधिकारी को चीन के रुख से अवगत कराया. चीन का नेपाल के साथ इस विवाद पर चर्चा करना बेहद अहम है. भारत एक विवादित क्षेत्र में चीन और नेपाल के साथ एक ट्राइजंक्शन शेयर करता है. एक पश्चिमी नेपाल के लिपुलेख में और दूसरा जिनसंग चुली में. लिपुलेख पर भारत और नेपाल दोनों ही दावा करते रहे हैं. 2015 में पीएम नरेंद्र मोदी ने लिपुलेख के जरिये चीन के साथ व्यापार बढ़ाने का फैसला लिया था. इस कदम से नेपाल काफी नाराज हुआ था. अगले हफ्ते चीन के उप प्रधानमंत्री और सुषमा स्वराज के बीच डोकलाम के मुद्दे पर नेपाल में चर्चा हो सकती है.

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