मेनोपॉज के दौरान हर महिला के अंदर एक अजीब-सा ख्याल आने लगता है कि उसके उमंग भरे दिन अब समाप्ति की ओर हैं और वह बुढ़ापे की ओर अग्रसर हो रही है. पर ऐसा बिल्कुल नहीं. यह हर स्त्री के जीवन में आनेवाला ऐसा ब्रेक है, जिसके बाद एक नये जीवन की शुरुआत होती है.
वर्ल्ड मेनोपॉज डे मनाने का उद्देश्य महिलाओं के जीवन में आये बदलावों को सहर्ष स्वीकारना है. इस दौरान होनेवाले बदलावों से किस तरह निबटें, अपने खान-पान व सेहत का ध्यान कैसे रखें, इस बारे में उन्हें जागरूक किया जाता है.
मेनोपॉज स्त्री की जिंदगी में आने वाली एक प्राकृतिक प्रक्रिया है और इससे हर महिला को गुजरना पड़ता है. भारत में मेनोपॉज की औसत आयु 48 से 50 वर्ष है. महिला के शरीर में जो ओवरी होता है, उसकी कार्यक्षमता क्षीण होने से एस्ट्रोजन और प्रोजस्टॉन नामक हॉर्मोंस के उत्पादन में कमी आने लगती है. इसके कारण मासिक चक्र की अवधि कम हो जाती है. कई महिलाओं में यह अवधि बढ़ जाती है तो कुछ में अचानक खत्म हो जाती है.
बढ़ सकती है ऑस्टियोपोरोसिस
एस्ट्रोजन रक्त में वसा की मात्रा को कम करता है. यही नहीं, नलियों को सिकुड़ने से बचाने के साथ खून को जमने से भी रोकता है. इन्हीं कारणों से मेनोपॉज के बाद ब्लड प्रेशर, हृदय रोगों व हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है.
एस्ट्रोजेन हॉर्मोन की कमी से ऑस्टियोपोरोसिस की समस्या भी बढ़ जाती है. ऐसे में हड्डियां कमजोर होकर टूटने लगती हैं. कैल्शियम का नियमित सेवन करके इससे बचा जा सकता है. कैल्शियम के साथ दूध और सोया प्रोडक्ट्स का सेवन जरूरी है. इसके अतिरिक्त हॉर्मोनल बदलाव के कारण थकान, चिचिड़ापन, सिर दर्द, बेचैनी, वजन का बढ़ना आदि लक्षण देखे जाते हैं.
मेनोपॉज के दौरान कई महिलाओं के शरीर के तापमान में भी अनिश्चितता बनी रहती है. चेहरे पर झुर्रियों आ जाती हैं, बाल झड़ने लगते हैं, वजन भी बढ़ने लगता है.
कुछ महिलाएं इसलिए परेशान रहती हैं कि अब वे बुढ़ापे की ओर बढ़ रही हैं. कई महिलाएं इससे डिप्रेशन में चली जाती हैं. उन्हें लगता है इससे उनकी सेक्स करने की इच्छा समाप्त हो जायेगी. यह सही है कि इस दौरान वजाइना ड्राई हो जाता है और सेक्स के प्रति अरुचि हो सकती है, पर इस बात से घबराये नहीं. आप यह सोचें कि अब आप पीरियड्स व गर्भनिरोधकों की झंझट मुक्त होगयी हैं और बिना किसी भय के सहवास कर सकती हैं.
मेनोपॉज के बाद भी सेक्स के कई फायदे होते हैं, जैसे आपकी मांसपेशियों में मजबूती आती है और तनाव भी कम होता है. इसके अलावा इस स्थिति में योनि में रक्त प्रवाह कम हो जाता है, लेकिन अगर आप शारीरिक संबंध बनाती हैं, तो योनि में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है और आपकी योनि स्वस्थ रहती है.
– रखें ख्याल : खाने-पीने में मसालेदार चीजों का उपयोग न करें, ज्यादा चाय-कॉफी पीने से बचें, ज्यादा ठंडा पानी भी न पीएं. फलों का सेवन अधिक करें, हरी सब्जियों का सेवन भी फायदेमंद रहेगा. समय पर भोजन करें और संतुलित आहार लें. अपनी डाइट में दूध, दही और सोया प्रोडक्ट शामिल करें. सोयाबीन में पाया जाने वाला आइसोफ्लेवांस (वानस्पतिक एस्ट्रोजन) शरीर के साथ मस्तिष्क के लिए भी फायदेमंद है.
अच्छी नींद लें. अच्छी नींद हर बीमारी के लिए दवा की तरह काम करती है. इसलिए आठ घंटे की नींद अवश्य लें. मेनोपॉज के दौरान शरीर को चुस्त व सक्रिय रखने के लिए व्यायाम करें. योग से तन-मन को लाभ मिलेगा.
आलेख : सुमन बाजपेयी
डॉ ज्योत्सना गुप्ता
स्त्री रोग विशेषज्ञ ब्रह्मशक्ति हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, नयी दिल्ली
स्वीकारें बदलाव को
इस दौरान जब महिला मानसिक व शारीरिक दौर से गुजर रही होती है, उसके लिए खुश व पॉजीटिव रहना जरूरी है. परिवर्तन चाहे जीवन के हों या शरीर का, हमारी जिंदगी का हिस्सा है.
इसलिए हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि कुछ बातें जो प्रकृति की तरफ से हैं, हम उन्हें बदल नहीं सकते, लेकिन उनको सही से टैकल कर आसान बना सकते हैं. इसलिए हमेशा खुश रहें और हर पल को एन्जॉय करें.
यह समझ लें कि मेनोपॉज आपकी युवावस्था का अंत नहीं है, बल्कि एक नयी जिंदगी की शुरुआत है, जो नये बदलाव के साथ आयी है और आप इस समय तक अपनी जिम्मेदारियों से भी मुक्त हो चुकी होती हैं. अपने को नये सिरे से ढालें और बदलाव को स्वीकारते हुए उनका सामना करें, तभी बेहतर जिंदगी जी पायेंगी.