फिल्म - अपूर्वा
निर्देशक - निखिल नागेश भट्ट
कलाकार - तारा सुतारिया, अभिषेक बनर्जी, राजपाल यादव, सुमित गुलाटी, आदित्य, धैर्य करवा
प्लेटफार्म - डिज्नी प्लस हॉटस्टार
रेटिंग - ढाई
सर्वाइल थ्रिलर पश्चिम के सिनेमा का पसंदीदा जॉनर है, लेकिन हिंदी सिनेमा में इस पर गिनी चुनी फ़िल्में बनी हैं. हाल के वर्षों में इस फेहरिस्त में ज़रूर इजाफा हुआ है. एन एच 10, ट्रैप, पीहू और मिली, इन कार जैसे नाम इसमें शामिल है और अब अपूर्वा भी इस लिस्ट में अपना नाम दर्ज कर चुकी है. सर्वाइल थ्रिलर की सबसे बड़ी जरूरत ट्विस्ट एंड टर्न से भरपूर कहानी होती है, जो आपको पलक झपकने का मौका ना दें. इस फिल्म की कहानी प्रीडिक्टबल हो गयी है, लेकिन यह आपको बांधे रखती है. इससे इनकार नहीं किया जा सकता है. कलाकारों का उम्दा अभिनय, फिल्म की लम्बाई और फिल्म में महिलाओं के लिए सीख भी है, जो इस फिल्म को एक बार देखने लायक ज़रूर बना गया है.
खूंखार अपराधियों से खुद को बचाने की एक महिला की साहसिक कहानी.
फिल्म की कहानी अपूर्वा (तारा सुतारिया) की है, जो अपने मंगेतर सिड (धैर्य करवा) को उसके जन्मदिन पर सरप्राइज करने के लिए ग्वालियर से आगरा जा रही है क्योंकि उसका मंगेतर आगरा में ही जॉब करता है,जिस बस से वह आगरा जा रही उस बस के ड्राइवर और कंडक्टर की हत्या .चार बदमाश कर देते हैं और उनकी बुरी नज़र अपूर्वा पर भी पड़ जाती है. वह उसका किडनैप कर लेते हैँ और एक सुनसान जगह पर उसे लेकर जाते हैँ ताकि उसका रेप कर सके लेकिन अपूर्वा किसी तरह से वहां से चकमा देकर भाग जाती है लेकिन अपूर्वा के लिए परेशानी यही खत्म नहीं है. उसके पीछे ये चारों खूंखार अपराधी लगे हुए हैँ और यह सुनसान जगह पूरी तरह से उसके लिए भूल भूलैया की तरह है. क्या वह इन खूंखार अपराधियों से खुद को बचा पाएगी. यह सब कैसे होगा.एक रात की इस कहानी में अपूर्वा की इसी जर्नी को दिखाया गया है.
फिल्म की खूबियां और खामियां
फिल्म की कहानी महिला केंद्रित है. फिल्म का विषय सशक्त होने के साथ - साथ जरूरी भी है. आए दिन सोशल मीडिया पर महिलाओं के साथ युवाओं के बदसलूकी करने वाले वीडियो आम है. यह फिल्म इस बात पर जोर देती है कि बुरी सी बुरी परिस्थिति में महिलाओं को हिम्मत नहीं हारनी चाहिए.बस थोड़ी सी हिम्मत और सूझबूझ से वह हालात बदल सकती हैं. सर्वाइल थ्रिलर होने के बावजूद फिल्म में सिर्फ हिंसा और दहशत से भरे हुए प्लीज नहीं बल्कि अपूर्वा के जीवन और सिड (धैर्य करवा) के साथ उसकी सगाई के पलों के साथ फिल्म को बीच-बीच में हल्का करने की भी कोशिश की गयी हैं. फिल्म की खूबियों में इसकी लंबाई भी है, जो दो घंटे से कम है, जिस वजह से आप फिल्म से शुरू से आख़िर तक जुड़े रहते हैं. खामियों की बात करें तो कहानी पूर्वनुमानित हो गयी है, जो रहस्य और रोमांच को कम कर गया है. फिल्म का गीत संगीत भी औसत रह गया है,
कलाकारों का उम्दा परफॉरमेंस
तारा सुतारिया की इमेज एक ग्लैमरस अभिनेत्री की रही है,लेकिन इस फिल्म में उन्होंने अपनी इमेज के विपरीत परफॉर्म किया है. फिल्म की शीर्षक भूमिका उनकी है और उन्होने इस बात के साथ पूरी तरह से न्याय किया है. अपने किरदार के डर से लेकर उसकी कमज़ोरी, साहस और पश्चाताप सभी को हर सीन में जिया है.राजपाल यादव और अभिषेक बनर्जी नकारात्मक किरदार में चमके हैँ. सुमित और आदित्य भी अच्छा काम किया है. धैर्य करवा के लिए फिल्म में करने को कुछ खास नहीं था.