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पहलवान से संगीतकार तक का सफ़र तय किया मन्ना डे

कोलकाता: कालेज के दिनों में राज्य स्तरीय उदयीमान पहलवान प्रबोध चंद्र डे भारत के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बनना चाहते थे लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था.. और वे देश के सर्वश्रेष्ठ गायक बने.मन्ना डे का निधन : जिंदगी कैसी है पहेली… मन्ना डे ने विद्यासागर कालेज में पढ़ाई करते हुए गोबोर बाबू से कुश्ती […]

कोलकाता: कालेज के दिनों में राज्य स्तरीय उदयीमान पहलवान प्रबोध चंद्र डे भारत के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बनना चाहते थे लेकिन भाग्य को कुछ और ही मंजूर था.. और वे देश के सर्वश्रेष्ठ गायक बने.
मन्ना डे का निधन : जिंदगी कैसी है पहेली…

मन्ना डे ने विद्यासागर कालेज में पढ़ाई करते हुए गोबोर बाबू से कुश्ती का प्रशिक्षण प्राप्त किया और अखिल बंगाल कुश्ती प्रतियोगिता के फाइनल में पहुंचे. डे ने अपनी आत्मकथा ‘मेमोरिज कम एलाइव’ में लिखा, ‘‘ उस समय मेरी एक ही आंकाक्षा थी कि फाइनल में जीत दर्ज करना और भारत का सर्वश्रेष्ठ पहलवान बनना. पूरी बचपन और किशोरावस्था में संगीत से कन्नी काटने के बाद मेरी इच्छा कुश्ती में चैम्पियन पहलवान बनने की थी. लेकिन युवावस्था में प्रवेश करने और वयस्क बनने के साथ संगीत मेरे जीवन और आत्मा पर छा गया.’’ आंखों की रौशनी कम होने के साथ कुश्ती के क्षेत्र में आगे बढ़ने की उनकी आकांक्षा प्रभावित हुई. जब उन्होंने चश्मा पहन कर कुश्ती लड़ना चाहा तब कई दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ा.

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