18.4 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आखिर किसके नाम का सिंदूर लगाती हैं रेखा?

अंकिता पंवार साठ की हो चुकी रेखा आज भी उतनी ही जवान और खूबसूरत लगती हैं जितनी अपने जवानी के दिनों में थीं. बॉलीवुड की सदाबहार अभिनेत्री कही जाने वाली रेखा ढलती उम्र के साथ और ज्यादा निखरती जा रही हैं. रेखा का जिंदगी जीने का वही बेफिक्र अंदाज और जिंदादिली अब भी बरकरार है. […]

अंकिता पंवार

साठ की हो चुकी रेखा आज भी उतनी ही जवान और खूबसूरत लगती हैं जितनी अपने जवानी के दिनों में थीं. बॉलीवुड की सदाबहार अभिनेत्री कही जाने वाली रेखा ढलती उम्र के साथ और ज्यादा निखरती जा रही हैं. रेखा का जिंदगी जीने का वही बेफिक्र अंदाज और जिंदादिली अब भी बरकरार है.

अभिनेत्री के व्यक्तिगत जीवन को लेकर बुहत कुछ कहा जाता रहा है लेकिन रेखा ने इन सबकी कोई परवाह नहीं की. रेखा के पति की मौत हो चुकी है इसके बावजूद सिंदूर लगाती हैं. इस पर न जाने कितनी अटकलें लगाई जाती रहीं लेकिन रेखा ने इन सबकी परवाह नहीं की. शायद उनका यही अंदाज था जो माया नगरी में रेखा न सिर्फ टिकी रहीं बल्कि अपनी एक अलग पहचान भी बनाई.

10 अक्टूबर 1954 को तमिलनाडु में जन्मी रेखा का पूरा नाम भानुरेखा गणेशन है. कहा जाता है रेखा ने जब फिल्मी जीवन की शुरुआत की थी तब वो काफी मोटी थी. उस समय किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि एक मोटी सी लड़की आगे जाकर बॉलीवुड की सदाबहार अभिनेत्री बन जाएगी. रेखा ने सिर्फ व्यावसायिक फिल्में की हैं. बल्कि कलात्मक फिल्मों से भी उन्होंने अपने अभिनय की छाप छोड़ी है.

रेखा 1966 में फिल्मों में आ गईं थी. अभिनेत्री की पहली फिल्म एक तेलुगु रंगुला रत्नमथी जिसमें उन्होंने एक बाल कलाकार की भूमिका निभाई थी. लेकिन हिंदी सिनेमा में उनकी शुरुआत 1970 में आई फिल्म सावन भादों से हुई.

*अभिनेत्री का फिल्मी सफर

रेखा ने बॉलीवुड में एक लंबा समय गुजारा है. इतने समय में बॉलीवुड अभिनेत्रियों की दो- तीन पीढियों की न जाने कितनी हीरोइनें आईं चर्चित हुईं और फिर भुला दी गईं. लेकिन रेखा बिना थके लबें समय तक बॉलीवुड में सक्रिय रही हैं. उनके नाम फिल्मों की एक लंबी फेहरिस्त हैं.

रेखा ने आस्था, सिलसिला, गीतांजली, इंसाफ की देवी, उमराव जान, नागिन, जुबैदा, कामसूत्रा, कोई मिल गया जैसी कई सफल फिल्में की हैं. अभिनेत्री की खासियत ये रही कि उसने हर तरह की भूमिका की चुनौती को स्वीकार किया और इसमें सफल भी हुईं.

बात की जाए श्याम बेनेगल की फिल्म जुबैदा की तो उनके सामने थीं उनकी आधी उमर की अभिनेत्री करिश्मा कपूर. लेकिन कहीं भी ऐसा नहीं लगा है कि वो रेखा से ज्यादा अच्छा अभिनय कर रही हैं. मनोज बाजपेयी की पत्नी की भूमिका में रेखा करिश्मा से ज्यादा सशक्त लगी हैं.

आस्था फिल्म में अभिनेत्री के अभिनय का नया रंग निखर के आया इसमें रेखा ने संवेदनाओं को बहुत मजबूती से व्यक्त किया है. अभिनेत्री ने बेड सीन को भी इतनी सहजता से किया है कि कहीं सो भी अजीब नहीं लगता है. यही नहीं रेखा ने मीरा नायर की फिल्म कामसूत्रा जैसे बोल्ड विषय पर भी काम किया है.

यही किसी भी कलाकार की पहचान होती है कि वो हमेशा करता रहे और जोखिम लेता रहे. यही किया है रेखा ने. रेखा अगर 100 साल की भी हो जाएं तो भी उनका आकर्षण खत्म नहीं होगा. उनका यह शानदार जीवन और फिल्मी सफर किसी के लिए प्रेरणादायी हो सकता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें