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जेसिका लाल हत्याकांड : बहन सबरीना ने लिखी चिट्ठी कहा, मनु शर्मा को माफ किया

नयी दिल्ली : जेसिका लाल हत्याकांड में दोषियों को सजा दिलाने में उनकी बहन सबरीना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. इस घटना के दो सालों बाद सबरीना ने जलकल्याण अधिकारी को चिट्ठी लिखी जिसमें उन्होंने कहा है कि इस घटना के लिए उन्होंने आरोपी को दिल से माफ कर दिया है. उन्होंने लिखा है कि दोषी […]

नयी दिल्ली : जेसिका लाल हत्याकांड में दोषियों को सजा दिलाने में उनकी बहन सबरीना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. इस घटना के दो सालों बाद सबरीना ने जलकल्याण अधिकारी को चिट्ठी लिखी जिसमें उन्होंने कहा है कि इस घटना के लिए उन्होंने आरोपी को दिल से माफ कर दिया है. उन्होंने लिखा है कि दोषी ने 15 साल जेल के अंदर बिताये हैं. अगर वह अब रिहा भी हो जाता है ,तो मुझे कोई परेशानी नहीं है.

सिद्धार्थ वशिष्ठ उर्फ मनु शर्मा को तिहाड़ के ओपेन जेल में शिफ्ट किया गया है. सबरीना ने कहा है कि इस फैसले से मुझे कोई परेशानी नहीं है. मैंने अपनी बहन की हत्या करने वाले व्यक्ति को दिल से माफ कर दिया है. इस पत्र में उन्होंने लिखा है, ‘मुझे बताया गया है कि जेल के अंदर वह लोगों की मदद कर रहे हैं. काफी चैरिटी भी कर रहा है. मुझे लगता है कि यह सुधरने के संकेत हैं. ‘मैं यह बताना चाहूंगी कि मुझे उनकी रिहाई से कोई परेशानी नहीं है.
एक न्यूज वेबसाइट में छपी खबर के अनुसार उन्होंने पत्र लिखने की बात स्वीकार करते हुए वही बातें दोहरायी जो पत्र में है. उन्होंने कहा, वह अपनी सजा काट रहा है. मैं इन सबके साथ आगे नहीं चलता चाहती. मैंने उसे माफ कर दिया है. मैं जिंदगी में आगे बढ़ना चाहती हूं अब कोई और गुस्सा और नफरत अपने दिल में नहीं रखना चाहती हूं. सबरीना ने जेल कल्याण अधिकारी की तरफ से पीड़ित कल्याण फंड से मिलनेवाली राशि भी लेने से मना कर दिया. उन्होंने कहा यह पैसे किसी जरूरतमंद को दान कर दिये जाएं.
पढ़ें पूरा घटनाक्रम कब क्या हुआ
29 अप्रैल 1999 : दक्षिणी दिल्ली के कुतुब कोलोनेड रेस्त्रां में एक पार्टी में जेसिका लाल की गोली मारकर हत्या कर दी गयी .
30 अप्रैल 1999 : अपोलो अस्पताल में चिकित्सकों जेसिका लाल को मृत घोषित कर दिया गया.
6 मई 1999: मनु शर्मा ने आत्मसमर्पण किया. उत्तर प्रदेश के नेता डीपी यादव के बेटे विकास यादव सहित अन्य 10 सह अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया.
3 अगस्त 1999 : भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत जेसिका की हत्या के मामले में आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल.
31 जनवरी 2000 : मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मुकदमे के लिए मामले को सत्र अदालत के सुपुर्द किया.
23 नवंबर 2000 : सत्र अदालत ने हत्या के मामले में नौ लोगों के खिलाफ आरोप तय किये . एक आरोपी अमित झिंगन बरी और रविंदर उर्फ टीटू को भगोड़ा अपराधी घोषित किया.
2 मई 2001 : अदालत ने अभियोजन पक्ष के साक्ष्य दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की. चश्मदीद गवाह दीपक भोजवानी ने निचली अदालत के समक्ष गवाही दी
3 मई 2001 : शिकायतवादी और चश्मदीद श्यान मुंशी अपने बयान से मुकरा और अदालत में उसने मनु की शिनाख्त नहीं की.
5 मई 2001: कुतुब कोलोनेड में इलेक्ट्रिशियन एक अन्य चश्मदीद शिव दास भी अपने बयान से मुकरा .
16 मई 2001: तीसरा प्रमुख गवाह करन राजपूत भी अपने बयान से मुकरा.
6 जुलाई 2001 : मालिनी रमानी ने मनु शर्मा की शिनाख्त की.
12 अक्तूबर 2001 : रेस्त्रां और बार मालकिन बीना रमानी ने भी मनु की शिनाख्त की.
17 अक्तूबर 2001 : बीना के कनाडाई पति जार्ज मेलहोत ने गवाही दी और मनु शर्मा की शिनाख्त की.
20 जुलाई 2004 : कोसोवो में संयुक्त राष्ट्र के एक असाइनमेंट से लौटने के बाद मामले के विवादास्पद जांच अधिकारी सुरिंदर शर्मा ने गवाही दी.
21 फरवरी 2006 : निचली अदालत ने साक्ष्य के अभाव में सभी नौ अभियुक्तों को बरी किया.
13 मार्च 2006 : दिल्ली पुलिस ने उच्च न्यायालय में अपील दायर की.
3 अक्तूबर 2006 : उच्च न्यायालय ने इस अपील पर नियमित आधार पर सुनवाई शुरू की.
29 नवंबर 2006 : उच्च न्यायालय ने अपना फैसला सुरक्षित रखा.
18 दिसंबर 2006 : उच्च न्यायालय ने मनु शर्मा, विकास यादव और अमरदीप सिंह गिल उर्फ टोनी को दोषी करार दिया. आलोक खन्ना, विकास गिल, हरविंदर सिंह चोपड़ा, राजा चोपड़ा, श्याम सुंदर शर्मा और योगराज सिंह बरी.
20 दिसंबर 2006 : उच्च न्यायालय ने मनु शर्मा को उम्रकैद की सजा सुनाई और 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया. सह अभियुक्त अमरदीप सिंह गिल और विकास यादव को चार चार साल की जेल की सजा . प्रत्येक पर तीन-तीन हजार रुपये का जुर्माना लगाया.
2 फरवरी 2007 : मनु शर्मा ने उच्चतम न्यायालय में अपील दायर की.
8 मार्च 2007 : उच्चतम न्यायालय ने मनु शर्मा की अपील स्वीकार की.
27 नवंबर 2007 : उच्चतम न्यायालय ने मनु की जमानत की दलील खारिज की.
12 मई 2008 : उच्चतम न्यायालय ने फिर से मनु शर्मा की जमानत याचिका खारिज की.
19 जनवरी 2010 : उच्चतम न्यायालय ने मनु शर्मा की अपील पर सुनवाई शुरू की.
18 फरवरी 2010 : मनु शर्मा की अपील पर उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा.
19 अप्रैल 2010 : शीर्ष न्यायालय ने मनु के दोष और उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा.

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