रीमा डे
जमशेदपुर: आदित्यपुर की अनुराधा खेरा फिल्मी जगत के साथ-साथ टेलीविजन की दुनिया अपनी अदा और अभिनय से करोड़ों लोगों के दिलों में जगह बना चुकी है. वर्तमान में मुंबई में रह रही है. अनुराधा झारखंड के जमशेदपुर में जन्मी और पली-बढ़ी है. आज भी उनका घर और परिवार यहीं रहते है. अनुराधा सब टीवी में प्रसारित बाल वीर में ध्वनि परी का किरदार निभा रही है.
वर्ष 2010 में डांस झारखंड डांस के मंच पर अपने नृत्य से लोगों को थिरकाने वाली अनुराधा कई सीरियल, शो व मूवी में काम कर चुकी है. दी टेप हिंदी फिल्म में लीड रोल निभा चुकी है. इस फिल्म इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में शामिल किया गया है. साथ ही यह एमेजॉन. इन में आने वाली है. अनुराधा की अगली फिल्म अंतरव्यथा जो दिसंबर में रीलिज हो रही है. डेढ़ साल की उम्र में पिता रणधीर सिंह खेरा को खोने के बाद मां अजय शर्मा को उन्होंने मां अौर पिता दोनों रूप में देखा है. मां अजय शर्मा केरला समाजम मॉडल स्कूल की शिक्षिका रह चुकी है. अनुराधा उनकी इकलौती बेटी है. बाकी दो भाई कार्यरत है.
ध्वनि परी गेटअप बहुत ही पसंद है: ध्वनि यानी साउंड है. ध्वनि परी तरह-तरह के साउंड निकाल सकती है. बाल वीर और धरती को बचाने के लिए ध्वनि परी तरह-तरह के ध्वनि निकालती है. रोल के साथ-साथ ध्वनि परी का गेटअप बहुत ही पसंद है. अनुराधा बताती है कि परियों की कहानी तो हमेशा ही बच्चों की फेवरेट होती है. परियों की अच्छाइयां बच्चों को प्रभावित करती है. परियां दूसरों के बचाने के लिए हमेशा तत्पर रहती है और यहीं संदेश यह सीरियल में बच्चों को दी जाती है.
हर तरह का किरदार करना अच्छा लगता है : अनुराधा बताती है कि हर किरदार में खुद को निखारने और सीखने का मौका मिलता है. सावधान इंडिया, नीली छतरी वाले का महा एपिसोड, फेयर फाइल्स के कई एपिसोड में अलग-अलग किरदार पर काम किये है. इसके साथ ही सन्नी देयोल की मूवी घायल रिटर्नस में एक छोटा रोल निभाया है. जमशेदपुर में रहते हुए क्लासिकल डांस/ भारतनाट्यम डांस सीखा है. कई शो में भाग भी लिये है. अनुराधा ने बताया कि वर्ष 2010 में करीम सिटी कॉलेज से ग्रेजुएशन करने के बाद वह मुंबई चली गयी. अनुराधा बताती हैं कि उनके आवाज के कारण ही उन्हें ध्वनि परी के लिए चुना गया. अंधेरी मुंबई में इसका ऑडिशन हुआ. दो दिन बाद ध्वनि परी के लिए चुने जाने का कॉल आया.
उतार-चढ़ाव जिंदगी का हिस्सा है : उतार -चढ़ाव तो होना ही है. चाहें आप किसी भी क्षेत्र में रहे. छोटी थी तबसे ही एक्ट्रेस बनना चाहती थी. तीन साल की उम्र में स्टेज परफॉर्म किया है. मुंबई में आकर संघर्ष किये. बिरियानी खाये तो सुखी रोटी भी कई बारे खाने पड़े है. लेकिन इस संघर्ष का अपना ही एक मजा है. अौर गिर कर हारना नहीं बल्कि सीख कर आगे बढ़ते रहना ही जिंदगी है.