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धनबाद : शहर के नालों से होते हुए हर दिन दामोदर में पहुंच रहा मानव मल

कतरी नदी, वासुदेव नदी, मटकुरिया नाला, जोरिया नाला व बलियापुर-गोविंदपुर नाला से दामोदर पहुंचता है गंदा पानी..

शहर के नालों से होते हुए हर दिन मानव मल दामोदर नदी में पहुंच रहा है. यह नदी को प्रदूषित करने के साथ जलीय जीवों के लिए भी खतरा उत्पन्न कर रहा है. सीवरेज प्रोजेक्ट का सर्वे कर रही हैदराबाद की कंपनी एनजेएस ने पिछले दिनों नगर निगम को सौंपी अपने सर्वे रिपोर्ट में खुलासा किया है कि हर दिन शहरी क्षेत्र में 153 एमएलडी सीवरेज जेनरेट होता है, जो विभिन्न नालों के माध्यम से दामोदर में पहुंच रहा. जानकारों के अनुसार इसमें मानव मल भी है. हालांकि निगम का दावा है कि सेप्टिक टैंक से निकाली गयी गंदगी को बनियाहीर बंद खदान में गिरायी जा रही है. जबकि हकीकत यह है कि पिछले दिनों सेप्टिक टैंक से निकाला गया मल आठ लेन सड़क के बगल में स्थित नाला व भूईफोड़ मंदिर के सामने के नाला में गिराया जा रहा था. वहां के लोगों ने इसका विरोध भी किया. किसी तरह की कार्रवाई नहीं होने से आज भी नालों में भी सेप्टिक टैंक की गंदगी गिरायी जा रही है. इस बात को पूर्व नगर आयुक्त सत्येंद्र कुमार भी स्वीकार कर चुके हैं. उनका कहना था कि कहीं भी एफएसटीपी बनाने का विरोध हो रहा है, तो हमारे पास कोई विकल्प नहीं है. इसलिए हम विवशता में शहर के नालों में मानव मल गिराते हैं. हालांकि वर्तमान नगर आयुक्त इससे इनकार करते हैं.

एक साल में भी एफएसटीपी नहीं बना पाया नगर निगम

सेप्टिक टैंक की गंदगी को निस्तारण के लिए फिकल स्लज ट्रिटमेंट (एफएसटीपी) का निर्माण होना है. छह एक साल पहले एफएसटीपी के लिए टेंडर निकला. टेंडर में एक भी संवेदक शामिल नहीं हुआ. डीपीआर में संशोधन पर नया टीएस किया गया. लेकिन आज तक टेंडर नहीं निकला. लिहाजा नगर निगम के साथ कुछ प्राइवेट एजेंसियां भी खुलेआम गंदगी का निस्तारण नालों में कर रही हैं.

बंद खदान में गिराना है सेप्टिक टैंक की गंदगी

सेप्टिक टैंकों की सफाई के बाद मल का निस्तारण नालों, खुले स्थानों, नदी, तालाब में नहीं करना है. यह दंडनीय अपराध है. ऐसा करने वालों पर सख्त कार्रवाई का प्रावधान है. सेप्टिक टैंक से निकलने वाले मल का निस्तारण केवल फिकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट में करना है. चुकीं नगर निगम की ओर से अब तक एफएसटीपी नहीं बनाया गया है, लिहाजा सुदूर इलाके में गड्ढा खोदकर या बंद खदान में निस्तारण करना है.

800 करोड़ का सीवरेज प्रोजेक्ट, अब तक धरातल पर नहीं

नमामि गंगे प्रोजेक्ट पर सरकार करोड़ों खर्च कर रही है. धनबाद को भी सीवरेज प्रोजेक्ट के लिए 800 करोड़ मिला है. पहले चरण में 400 करोड़ का डीपीआर पास हो चुका है. नौ जगहों पर एसटीपी रामपुर (बाघमारा), पांडरकानाली(पुटकी), मटकुरिया चेक पोस्ट (धनबाद), डुंगरी (झरिया), पेटिया (पुटकी), चंद्रबाद (झरिया), सिंदरी, परसबनिया (बलियापुर), ढांगी (बलियापुर) में बनना है. इसके अलावा अन्य कार्य करना है. टेंडर की प्रक्रिया में है. दूसरे फेज के 400 करोड़ के लिए डीपीआर बन रहा है.

सिंदरी में बनना है एफएसटीपी

निगम क्षेत्र का पहला फिकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (एफएसटीपी) सिंदरी में बनना है. जगह चिन्हित किया जा चुका है. चार करोड़ 22 लाख का डीपीआर बना है. एफएसटीपी के लिए टेंडर निकला था. लेकिन सिंगल टेंडर होने के कारण टेंडर रद्द कर दिया गया. बतातें चले कि रांची में एफएसटीपी का निर्माण पहले ही किया जा चुका है. चिरकुंडा में भी इसका निर्माण शुरू हाे चुका है. अब तक निगम क्षेत्र में एफएसटीपी नहीं बना.

क्या है एफएसटीपी

फिकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (एफएसटीपी) में घराें के सेप्टिक टैंक से निकलने वाले मल का निष्पादन वैज्ञानिक तरीके से किया जाता है. इस प्लांट में घराें के सेप्टिक टैंक से निकली गंदगी को पहुंचाया जाता है. मल काे ट्रीट कर खाद बनाया जाता है, वहीं पानी काे शुद्ध कर इसका इस्तेमाल पार्क में लगे पाैधों में डालने या पार्क की साफ-सफाई में किया जाता है.

सीवरेज प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है. एनजेएस कंसल्टेंट इसका सर्वे कर रही है. पहले चरण में 400 करोड़ का टेंडर हो चुका है. दूसरे फेज के 400 करोड़ के लिए डीपीआर बन रहा है. दूसरे फेज के लिए सीवरेज पंपिंग स्टेशन के लिए कुछ जगहों पर जमीन की तकनीकी समस्या थी, उसे दूर कर लिया गया है. बीसीसीएल की ओर से एनओसी मिल चुका है. टेंडर अवार्ड होने के बाद काम शुरू कराया जायेगा.

रविराज शर्मा, नगर आयुक्त

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