नयी दिल्ली: झारखंड, गुजरात, ओड़िशा और महाराष्ट्र में जनजातीय किसानों की स्थिति सुधर रही है और वे लखपति किसान के रूप में उभर रहे हैं. इसका श्रेय टाटा ट्रस्ट के 450 गांवों में की जा रही पहल को जाता है. टाटा ट्रस्ट छोटे समूह में जनजातीय परिवार के किसानों को शिक्षा एवं प्रशिक्षण दे रहा है.
इससे किसान अधिक कृषि उत्पादन प्राप्त करने में सक्षम हो रहे हैं और बेहतर मूल्य के लिए मांग आधारित उपज प्राप्त करने हेतु संसाधनों का अधिकतम उपयोग कर रहे हैं. इससे किसानों की आय बढ़ी है. ट्रस्ट अपने पंच वर्षीय मिशन कार्यक्रम लखपति किसान स्मार्ट गांव के तहत यह पहल पिछले दो साल से झारखंड, ओड़िशा, गुजरात और महाराष्ट्र में कर रही है. इस कार्यक्रम की शुरुआत 2015 में हुई थी. इस पहल का मकसद 2020 तक आठ राज्यों में कुल 560 गांवों को दायरे में लाना है तथा एक लाख जनजातीय परिवार को लाभ पहुंचाना है. इसी प्रकार की पहल, चार अन्य राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में शुरू की जायेगी.
450 गांवों में कर रहे हैं काम
ट्रस्ट से जुड़ संगठन कलेक्टिव्स फॉर इंटिग्रेटेड लाइवलीहुड इनीशिएटिव के कार्यकारी निदेशक गणेश नीलम कहते हैं कि फिलहाल हम चार राज्यों के 450 गांवों में काम कर रहे हैं. हमारे अभियान का प्रभाव 1 00000 परिवार पर पड़ा है. इसमें से 15-20 प्रतिशत लखपति किसान हैं. इन परिवारों की सालाना आय 50000 रुपये से कम थी और अब उनकी आय में अच्छा सुधार हुआ है. चिंता अब इस आय स्तर को बनाये रखने की है.
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