नयी दिल्ली : समानांतर अर्थव्यवस्था और कर चोरी को समाप्त करने के लिए किये गये उपायों का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की उम्मीद है. वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता वाली एफएसडीसी ने गुरुवार को अपनी 16वीं बैठक में अर्थव्यवस्था के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों की समीक्षा की. इसमें कहा गया कि विश्व अर्थव्यवस्था काफी कमजोर स्थिति में है. इसके बावजूद वृहद आर्थिक कारकों में सुधार आने से भारत की स्थिति आज काफी बेहतर है. वित्त मंत्रालय के सभी सचिव, रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल और दूसरे वित्तीय संस्थानों के नियामक बैठक में उपस्थित थे.
एफएसडीसी की इस बैठक में बैंकों में उनकी गैर-निष्पादित संपत्तियों (एनपीए) की मौजूदा स्थिति की भी समीक्षा की गयी. एक आधिकारिक विज्ञप्ति में यह जानकारी देते हुए कहा गया है कि समानांतर अर्थव्यवस्था और कर चोरी को समाप्त करने के लिए जो उपाय किये गये, उनका आने वाले लंबे समय में जीडीपी और राजकोषीय मजबूती पर सकारात्मक प्रभाव होगा. बैठक में मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियम ने अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में प्रस्तुतीकरण दिया.
इसमें कहा गया कि परिषद में अर्थव्यवस्था के समक्ष खडे प्रमुख मुद्दों और चुनौतियों की भी समीक्षा की गयी. इसके अलावा बैठक में नियामकों ने वर्ष 2017-18 के आगामी बजट के बारे में अपने सुझाव और प्रस्ताव भी रखे. इन पर परिषद में विचार किया गया. रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल के अलावा बैठक में वित्त सचिव अशोक लवासा, आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास, वित्तीय सेवाओं की सचिव अंजुली छिब दुग्गल, राजस्व सचिव हसमुख अधिया, विनिवेश विभाग में सचिव नीरज कुमार गुप्ता, सेबी चेयरमैन यूके. सिन्हा, इरडा के चेयरमैन टीएस विजयन और पीएफआरडीए के चेयरमैन हेमंत जी कंट्रैक्टर उपस्थित थे.
दिसंबर तिमाही में घटेगी जीडीपी दर: एचएसबीसी
देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर अक्तूबर-दिसंबर की तिमाही में घट कर पांच प्रतिशत पर आ जायेगी. एचएसबीसी की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है. नोटबंदी के बाद विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में सुस्ती से जीडीपी दर प्रभावित होगी. वैश्विक वित्तीय सेवा क्षेत्र की कंपनी का मानना है कि आठ नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद से विनिर्माण और सेवाओं के अलावा उपभोग और निवेश बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. शोध नोट में कहा गया है कि अक्तूबर-दिसंबर तिमाही में जीडीपी दर पांच प्रतिशत पर आयेगी और जनवरी-मार्च तिमाही में यह छह प्रतिशत रहेगी. यह नोटबंदी से पहले के हमारे अनुमान से करीब दो प्रतिशत कम है. नोट में कहा गया है कि मार्च तिमाही के बाद यह धीरे-धीरे सामान्य होकर फिर सात प्रतिशत के करीब पहुंचेगी लेकिन 7.5 से आठ प्रतिशत के दायरे में नहीं पहुंच पायेगी.
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