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इन बैंकवालों से जरा बच के! भरोसा करना,पड़ सकता है महंगा

।। अनिल रघुराज ।। देश के ग्रामीण अंचलों में सूद पर सूद लेने का महाजनी चलन अब भी जारी है. कई जगह तो इस काम में बड़ी-बड़ी राजनीतिक पार्टियों के सांसद व विधायक तक लगे हुए हैं. लेकिन शहरी इलाकों में बैंक भी इस काम को बखूबी अंजाम दे रहे हैं. वे इसके लिए सूद […]

।। अनिल रघुराज ।।

देश के ग्रामीण अंचलों में सूद पर सूद लेने का महाजनी चलन अब भी जारी है. कई जगह तो इस काम में बड़ी-बड़ी राजनीतिक पार्टियों के सांसद व विधायक तक लगे हुए हैं. लेकिन शहरी इलाकों में बैंक भी इस काम को बखूबी अंजाम दे रहे हैं. वे इसके लिए सूद पर सूद नहीं, चक्रवृद्धि और साधारण ब्याज के अंतर का फायदा उठा कर ग्राहकों की जेब ढीली कर रहे हैं. अभी कुछ दिनों पहले ही यह हादसा मेरे साथ होते-होते बच गया. वो भी इसलिए कि मैं इस अंतर से वाकिफ था और लाख दबावों के बावजूद उनके झांसे में नहीं आया.

हुआ यह कि मैंने अपने खाते में कुछ दिक्कतों के सिलिसले में अपने निजी बैंक के कस्टमर केयर में फोन किया. मेरी दिक्कत के लिए उन्होंने मुझे संबंधित बैंक शाखा में जाने का सुझाव दिया. लेकिन मुझे ट्रैप में लेते हुए बताया कि चूंकि आप हमारे मूल्यवान ग्राहक हैं, तो हम आपको बिना किसी कागज के पांच लाख रुपये का कर्ज देना चाहते हैं जिस पर सालाना ब्याज की दर मात्र सात फीसदी के आसपास है और आप चाहें तो इससे अपने महंगे होम लोन का मूलधन अदा कर सकते हैं. मुझे ऑफर पहली नजर में बड़ा आकर्षक लगा क्योंकि एक दूसरे निजी बैंक से लिया गया मेरा होम लोन हनुमान की पूंछ की तरह घटने का नाम नहीं ले रहा और उस पर बैंक ने ब्याज दर हाल ही में बढ़ा कर 11.50 फीसदी कर दी है. मैंने बैंक की प्रतिनिधि से ऑफर का और विवरण जानना चाहा.

उसने चहकते हुए बताया कि पांच लाख का लोन दो हिस्से में होगा. पहले दो लाख के हिस्से पर आपसे दो साल में मूलधन समेत कुल लगभग 2.28 लाख रुपये लिये जायेंगे. इस तरह इस पर आपकी सालाना ब्याज दर 7 फीसदी आती है. दूसरा हिस्सा तीन लाख रु पये का है जिसके एवज में चार साल में आपको कुल 3,88,044 रुपये अदा करने होंगे. आप खुद गिन सकते हैं कि इस तीन लाख रु पये पर एक साल का ब्याज 22,011 रुपये बनता है और सालाना ब्याज की दर 7.34 फीसदी निकलती है.

मैं गदगद. मुझे लगा कि होम लोन पर 11.50 फीसदी देने के बजाय इन्हें 7 से 7.34 फीसदी देना एकदम फायदे का सौदा है. अचानक मेरे दिमाग में कौंधा कि कोई ऑफर ज्यादा ही अच्छा लगे तो वो हकीकत में अच्छा नहीं होता. यह सोच कर मैंने कहा कि पूरा ऑफर आप मेरे ई-मेल पर भेज दीजिए. मैं उस पर गौर करने के बाद आपको बताता हूं. लेकिन बैंक की महिला प्रतिनिधि ने कहा कि यह ऑफर केवल फोन पर दिया जाता है और इसे फौरन स्वीकार करना होगा. हां, कर्ज मंजूर करने के बाद आपको पूरा विवरण ई-मेल के साथ डाक से भी आपके पास भेज दिया जायेगा. मैं उसे मना करता रहा, लेकिन उसने खटाखट मेरा तीन लाख रुपये का लोन मंजूर कर दिया. उसने एक मोबाइल नंबर भी दिया और कहा कि यह मेरा व्यक्तिगत नंबर है और आपको कोई भी दिक्कत हो तो आप इस पर बेझिझक फोन कर सकते हैं.

कुछ ही मिनट बाद मेरे मोबाइल पर बैंक का एसएमएस आ गया कि आपके अनुरोध पर आपके क्रेडिट कार्ड पर आपको तीन लाख रुपये का कर्ज दिया जा रहा है जिस पर ब्याज दर 0.99 फीसदी प्रति माह है. मेरा माथा ठनका. मैंने गिना कि इस हिसाब से तो साल की प्रभावी ब्याज दर 11.88 फीसदी निकलती है. फिर 11.50 फीसदी के होम लोन को चुकाने के लिए मैं उससे महंगा लोन क्यों लूं?

मैंने उस विदुषी के व्यक्तिगत मोबाइल पर फोन किया. तीन बार घंटी गयी और किसी ने नहीं उठाया. अंत में किसी पुरु ष ने उठाया और बोला- बताइए आपकी क्या सहायता कर सकता हूं. मैंने कहा कि यह तो मिस फलां का व्यक्तिगत नंबर है, मुझे उनसे बात करा दीजिए. वह बोला कि वे बाहर गयी हैं, इसलिए मैं आपकी बात अपनी मैनेजर से करा देता हूं. मैनेजर महोदया को मैंने सारा किस्सा बता कर कहा कि मुझे कर्ज नहीं चाहिए, तो उन्होंने समझाया कि हम चूंकि घटती रकम पर ब्याज लेते हैं. इसलिए महीने की दर 0.99 फीसदी होते हुए भी सालाना प्रभावी दर 11.88 फीसदी कतई नहीं होती.

मैंने जिरह की तो उन्होंने अपने एक एक्सपर्ट बैंकर को मेरा फोन थमा दिया. बैंकर महोदय भी मुझे समझाते रहे कि कैसे वे मेरा भला चाहते हैं और एक वित्तीय सलाहकार होने के नाते उनका दावा है कि इतना सस्ता कर्ज, वो भी बिना किसी दस्तावेज के, मुझे नहीं मिल सकता. उन्होंने गिनती करके बताया कि दो लाख रु पये पर 24 महीने (दो साल) की मेरी इएमआइ 9527.16 रु पये प्रति माह आयेगी, जबकि 48 महीने (चार साल) के तीन लाख रुपये के कर्ज पर महीने की पहली इएमआइ 8249.58 रु पये होगी जो घटते-घटते 48वें महीने में 7882.49 रु पए हो जायेगी. उन्होंने कहा कि आप यह कर्ज ले ही लीजिए क्योंकि आज हम इस पर कोई प्रोसेसिंग फीस भी नहीं ले रहे हैं. मैंने कहा कि अभी मुझे नहीं लेना है. लेना होगा तो मैं आपको 15-20 मिनट बाद फोन करता हूं.

इसके बाद मैंने एक्सेल शीट खोली और इएमआइ (स्रे३), महीने (ल्लस्री१) और मूलधन (स्र५) की मात्रा डाल कर प्रभावी ब्याज दर की गणना की. नतीजे देख कर मैं चौंक गया. ऑफर किये जा रहे दो लाख रुपये के कर्ज की प्रभावी ब्याज दर 13.25 फीसदी सालाना (1.10 फीसदी महीना) और तीन लाख रु पये की ब्याज दर 14.35 फीसदी निकली. मैंने कई बार यह गणना की. लेकिन परिणाम वही आया. अब मैंने अपने होम लोन के भुगतान का शेड्यूल निकाला. वहां मुझे पांच लाख के बकाया मूलधन पर अगले 27 महीनों में कुल 56,619 रुपये का ब्याज देना है, जबकि यहां मुझे एचडीएफसी बैंक को 48 महीनों में करीब 1.06 लाख रु पये का ब्याज चुकाना होगा.

मैंने फौरन फोन मिला कर बैंक के एक्सपर्ट बैंकर को सारी गणना बतायी और कड़ाई से कह दिया कि मुझे आपका कर्ज नहीं चाहिए. उन्होंने कहा कि न जाने आप कहां से गणना कर रहे हैं. आप जटिलता में न जाकर सीधे-सीधे ब्याज की मात्रा देखिए तो साफ हो जायेगा कि पहले दो लाख रुपये पर सालाना ब्याज की दर 7 फीसदी और दूसरे तीन लाख पर 7.34 फीसदी है. मैंने कहा कि कुछ भी हो, मुझे यह कर्ज नहीं चाहिए. बोले कि चलिए तीन लाख का नहीं, तो दो लाख का ही ले लीजिए. मैंने कहा- नहीं. आप जबरन मिस-सेलिंग मत कीजिए. वे बोले- हम तो आपका भला चाह रहे थे. आपकी मर्जी नहीं है, तो हम थोपेंगे नहीं.

असल में मामला टेढ़ी चीज को सीधा देखने का है. ध्यान दें कि दो या तीन लाख रुपये के कर्ज पर ब्याज हम साल के अंत में नहीं, बल्कि हर महीने की इएमआइ में ही दे रहे हैं जिसमें मूलधन का एक हिस्सा भी शामिल रहता है. जैसे, तीन लाख के लोन पर पहले महीने की 7882.49 रुपये इएमआइ में 4912.49 रुपये का मूलधन और 2970 रुपये का ब्याज है. इसलिए अगले महीने हमारे कर्ज की राशि तीन लाख रुपये से घट कर करीब 2.95 लाख रु पये रह गयी. हर महीने हमारा मूलधन इसी तरह घटता जाता है जिस पर बैंक तान कर ब्याज लेता है. कहने को हमें तीन लाख रुपये का कर्ज मिला. लेकिन ये तीन लाख रुपये हमारे पास केवल एक महीने ही रहे. अगले महीने से वसूली चालू हो गयी, तो यह मूल रकम लगातार घटती जाती है.

खैर, मैं बड़ा निश्चिंत था कि सस्ते कर्ज को चुकाने के लिए महंगा कर्ज लेने की बेवकूफी करने से बाल-बाल बच गया. तभी कुछ दिनों बाद मेरे पास बैंक का आधिकारिक पत्र आ गया कि तीन लाख रु पये का कर्ज आपके खाते में डाल दिया है जिसकी इएमआइ अगले महीने से शुरू हो जायेगी. अगर आपको कोई दिक्कत हो तो आप यह पत्र मिलने के सात दिन के भीतर हमारे कस्टमर केयर नंबर पर बात कर सकते हैं. अब मैं झल्ला गया. पुरानी विदुषी के मोबाइल पर फोन करके शाखा के मैनेजर से बात की, तो उन्होंने बताया कि सिस्टम में ऐसा चलता है. लेकिन आप चिंता न करें, हमने आपकी कैंसिलेशन रिक्वेस्ट (कर्ज रद्द करने की अरजी) जेनरेट कर दी है.

अचानक फिर एक दिन दोपहर में बैंक की तरफ से फोन आ गया कि आपके तीन लाख के कर्ज को रद्द कर दिया गया है. लेकिन बाकी दो लाख का क्या करना है? मैने कहा- मैडम, मैंने किसी दो लाख रु पये के कर्ज की मांग नहीं की है. उसी समय मैंने 15 मिनट के भीतर मना कर दिया था. उसने कह- तो क्या मैं इसके लिए आपकी कैंसिलेशन रिक्वेस्ट ले लूं. मैंने अपना माथा फोड़ते हुए कहा कि जब मैंने मांगा ही नहीं तो काहे की कैंसिलेशन रिक्वेस्ट. उस पर अपना गुस्सा निकाल नहीं सका तो फौरन यह रिपोर्ट लिखने बैठ गया. आप सभी सुधीजन मेरे अनुभव से सबक लेंगे, यही उम्मीद है. साथ ही चक्रवृद्धि और साधारण ब्याज के बारे में बचपन में पढ़े गये पाठ को आज के संदर्भ में आत्मसात करने की कोशिश करेंगे. फाइनेंस में इस धारणा को टाइम वैल्यू ऑफ मनी कहते हैं.

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