नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने आज सहारा समूह को चेतावनी दी कि निवेशकों को लौटाये गये 22,885 करोड़ रुपए के स्त्रोत बताये या फिर सीबीआई और कंपनी रजिस्ट्रार से जांच के लिये तैयार रहे. सहारा समूह ने दावा किया है कि उसने निवेशकों को 22,885 करोड़ रुपए लौटा दिये हैं.
न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ की खंडपीठ ने सहारा समूह के मुखिया सुब्रत राय और समूह द्वारा लौटाई गयी राशि का स्नेत बताने से इंकार करने पर उन्हें स्पष्ट संदेश देते हुये कहा कि उसके निर्देशों का उल्लंघन करने के मामले में कार्रवाई के लिये न्यायालय ‘असहाय’ नहीं है. न्यायाधीशों ने स्पष्ट किया कि सुब्रत राय के विदेश जाने पर लगा प्रतिबंध बरकरार रहेगा.
न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘यह मत सोचिए कि न्यायालय असहाय है. हम सीबीआई और कंपनी रजिस्ट्रार से आपके खिलाफ जांच के लिये कह सकते हैं. हम असहाय नहीं हैं. यदि आप नहीं बतायेंगे तो हम धन के स्नेत का पता लगा लेंगे. हम जांच एजेन्सियों से इसका पता लगाने के लिये कहेंगे.’’ न्यायालय को जब पता चला कि सहारा ने सेबी को पत्र लिख कर कहा है कि धन के स्नेत ‘महत्वपूर्ण नहीं’ है तो उन्होंने इससे असहमति व्यक्त की. न्यायालय ने कहा कि कंपनी और राय का आचरण ‘निन्दनीय’ है.
न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘आपकी कंपनी में किसी का यह कहने का साहस हो गया कि स्नेत महत्वपूर्ण नहीं है. यदि आपने धन लौटा दिया है तो आपके पास इस स्नेत का रिकार्ड होगा जहां से आपने धन प्राप्त किया. हम आपसे यह नहीं कह सकते कि जवाब कितना निन्दनीय था.’’ न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘हम आपके प्रति नरमी बरत रहे थे लेकिन आपने इतना बेरुखी भरा जवाब दिया तो क्या किया जाये.’’
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.