वाशिंगटन : भारत और चीन 2030 तक विकासशील देशों की जमात में सबसे बड़े निवेशक बन जाएंगे और वैश्विक विदेशी निवेश में इन दोनों प्रमुख एशियाई कंपनियों का योगदान 38 प्रतिशत तक पहुंच चुका होगा. यह बात विश्वबैंक की एक रपट में कही गई है.
विश्वबैंक के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने कहा,‘‘विकासशील देशों में चीन और भारत के सबसे बड़े निवेशक बन जाने की उम्मीद है क्योंकि वैश्विक निवेश में 2030 तक इन दोनों देशों का योगदान 38 प्रतिशत होगा. इस सबसे वैश्विक अर्थव्यवस्था की तस्वीर बदल जाएगी.’’ विश्वबैंक की वैश्विक विकास क्षितिज (जीडीएच) शीर्षक रपट के नवीनतम संस्करण के मुताबिक 2030 तक निवेश हेतु उपलब्ध वैश्विक पूंजी भंडार का आधा हिस्सा जो कुल 158,000 अरब डालर के बराबार होगा, विकासशील देशों में होगा जबकि आज यह एक तिहाई से कुछ कम ही है.
इस पूंजी का बड़ा हिस्सा पूर्वी एशिया और लैटिन अमेरिका के पास होगा. रपट में कहा गया कि वैश्विक परियोजना निवेश में विकासशील देशों का योगदान 2030 तक तीन गुना हो कर 60 प्रतिशत हो जाएगा जो इस 2000 में 20 प्रतिशत था. रपट के मुताबिक वैश्विक जनसंख्या 2030 तक बढ़कर 8.5 अरब हो जाएगी जो 2010 में 7 अरब थी. विकसित देशों में वृद्धों की संख्या तेजी से बढ़ने के मद्देनजर जननांकिकीय बदलाव का इन ढांचागत परिवर्तन पर बहुत असर होगा. बसु ने कहा ‘‘हम दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, ब्राजील, तुर्की और दक्षिण अफ्रीका के विभिन्न किस्म के अनुभवों के आधार पर यह जानते हैं कि निवेश दीर्घकालिक वृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है.’’
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