नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि मैगी नूडल्स के नमूनों का परीक्षण चेन्नई की प्रयोगशाला की बजाये अब मैसूर की मान्यता प्राप्त एक प्रयोगशाला में होगा. राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निबटान आयोग ने इन नमूनाें का चेन्नई में परीक्षण कराने का आदेश दिया था.इस बीच, न्यायालय ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निबटान आयोग में मैगी नूडल्स को लेकर लंबित कार्यवाही पर रोक लगा दी है.
न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति प्रफुल्ल सी पंत की पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘यह निर्देश दिया जाता है कि आयोग द्वारा नियुक्त स्थानीय कमीशनर पहले एकत्र किये गये नमूनों को परीक्षण के लिए मैसूर की प्रयोगशाला में भेजेंगे. पहले की रिपोर्ट सहित परीक्षण रिपोर्ट इस न्यायालय में पेश की जायेंगी. इस बीच, राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निबटान आयोग आगे कार्यवाही नहीं करेगा. ‘ न्यायालय ने यह आदेश उस वक्त दिया जब नेस्ले इंडिया लि की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी इन नमूनों को चेन्नई की बजाये मैसूर की प्रयोगशाला में परीक्षण केलिए भेजने पर राजी हो गयी.
राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निबटान आयोग ने दस दिसंबर को कहा था कि उसके द्वारा नियुक्त स्थानीय कमिशनर मैगी के 16 नमूनों को परीक्षण केलिए चेन्नई भेजेंगे ताकि कंपनी के खिलाफ कथित अनुचित व्यापार व्यवहार के आरोप में 640 करोड़ रुपए के सरकार के वाद के सिलसिले में इनमें सीसे और मोनो सोडियम ग्लूटामेट, एसएसजी की मात्रा का पता लगाया जा सके.
न्यायालय ने कहा कि सुनवाई के दौरान वे केंद्र और नेस्ले इस बात पर सहमत थे कि स्वास्थ प्रमुख चिंता का विषय है और खाद्य सुरक्षा एवं मानक कानून, 2006 के मानदंडों के अनुपालन केलिए परीक्षण करना होगा. न्यायालय ने कहा कि इस बात पर सहमति हुई कि मैसूर की प्रयोगशाला सभी तरह के परीक्षणों केलिए पूरी तरह सुसज्जित है और नमूनें वहीं भेजे जाने चाहिए.
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