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इस वित्त वर्ष भारत की वृद्धि दर 7.5% रहेगी

नयी दिल्ली : विश्वबैंक ने 2015-16 के लिये भारत की वृद्धि दर के अनुमान को 7.5 प्रतिशत बरकरार रखा है और कहा है कि इसमें आगे निरंतर वृद्धि होगी लेकिन यह तेजी धीरे-धीरे होगी. विश्वबैंक ने यहां जारी रिपोर्ट में कहा, ‘ताजा ‘इंडिया डेवलपमेंट अपडेट’ में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2015-16 में 7.5 प्रतिशत […]

नयी दिल्ली : विश्वबैंक ने 2015-16 के लिये भारत की वृद्धि दर के अनुमान को 7.5 प्रतिशत बरकरार रखा है और कहा है कि इसमें आगे निरंतर वृद्धि होगी लेकिन यह तेजी धीरे-धीरे होगी. विश्वबैंक ने यहां जारी रिपोर्ट में कहा, ‘ताजा ‘इंडिया डेवलपमेंट अपडेट’ में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2015-16 में 7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया है. 2016-17 में वृद्धि दर बढकर 7.8 प्रतिशत तथा 2017-18 में 7.9 प्रतिशत हो जाएगी.’ इसमें कहा गया है, ‘लेकिन वृद्धि में तेजी इस बात पर निर्भर करेगी कि निवेश में वृद्धि दर 2015-16 से 2017-18 के बीच 8.8 प्रतिशत तक हो.’

रिपोर्ट पेश किये जाने के मौके पर विश्वबैंक के भारत में वरिष्ठ क्षेत्रीय अर्थशास्त्री फ्रेडरिको गिल सैंडर ने कहा कि भारत ने वैश्विक तेल और जिंसों में तीव्र गिरावट का लाभ उठाते हुए पेट्रोल और डीजल सब्सिडी समाप्त कर दिया तथा उत्पाद शुल्क बढाया है. उन्होंने कहा, ‘कम सब्सिडी तथा उच्च कर से प्राप्त संसाधनों का उपयोग घाटा कम करने तथा पूंजी व्यय बढाने में किया गया है.’ सैंडर ने कहा कि परिदृश्य के समक्ष सबसे बडा जोखिम बैंकिंग क्षेत्र तथा बुनियादी ढांचा कंपनियों की वित्तीय जरुरतें हैं.

उन्होंने कहा, ‘फंसे कर्ज बढने के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक दबाव में हैं जबकि घरेलू ऋण में तीन चौथाई हिस्सा उन्हीं का है.’ वरिष्ठ अर्थशास्त्री का मानना है कि अल्पकाल में भारत वैश्विक उतार-चढाव से पार पाने में अपेक्षाकृत बेहतर स्थिति में है. रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकार को राजस्व बढाने के लिये ज्यादा प्रत्यक्ष कर संग्रह की जरुरत है. इसके अनुसार, ‘भारत का प्रत्यक्ष कर संग्रह दुनिया में सबसे कम है. यहां प्रत्यक्ष कर संग्रह जीडीपी का केवल 5.7 प्रतिशत है जबकि ओईसीडी देशों में यह 11.4 प्रतिशत है.’

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