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भारत के लिए कारोबार सुगमता सूची में शीर्ष 100 में शामिल होना असंभव नहीं

वाशिंगटन : भारत के लिए अगले साल कारोबार सुगमता की सूची में शीर्ष 100 देशों में शामिल होना असंभव नहीं है. यह बात विश्वबैंक के एक शीर्ष अर्थशास्त्री ने कही. विश्वबैंक के मुख्य अर्थशास्त्री और वरिष्ठ उपाध्यक्ष कौशिक ने कहा कि भारत यदि नियोजित आर्थिक सुधार बरकरार रखता है जिसमें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) […]

वाशिंगटन : भारत के लिए अगले साल कारोबार सुगमता की सूची में शीर्ष 100 देशों में शामिल होना असंभव नहीं है. यह बात विश्वबैंक के एक शीर्ष अर्थशास्त्री ने कही. विश्वबैंक के मुख्य अर्थशास्त्री और वरिष्ठ उपाध्यक्ष कौशिक ने कहा कि भारत यदि नियोजित आर्थिक सुधार बरकरार रखता है जिसमें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) और नौकरशाही संबंधी लागत कम करता है तो देश के लिए अगले साल 100 शीर्ष कारोबार सुगमता वाले देशों में शामिल होना असंभव नहीं है.

बसु ने कहा ‘अब तक जो बदलाव हुए हैं, उन्हें बढाया जा सके और थोडा मजबूत किया जा सके तो भारत के लिए अगले साल इस सूची में शामिल होना असंभव नहीं है.’ बसु ने कल जारी विश्वबैंक की रपट में कहा ‘कुछ ऐसे देश हैं जो एक ही बार में 30-40 पायदान उपर आ गए हैं लेकिन आम तौर पर ये छोटे देश हैं. भारत जैसी बडी अर्थव्यवस्था के लिए यह मुश्किल है लेकिन अब तक जो हमने देखा है उसके लिहाज से असंभव नहीं है.’

इस साल भारत 12 पायदान चढकर 142वें स्थान से 130वें स्थान पर आ गया. पूर्ववर्ती संप्रग सरकार में शीर्ष आर्थिक सलाहकार रहे बसु ने इसे भारत जैसी अर्थव्यवस्था के लिए उल्लेखनीय उपलब्धि बताया जो सुधार के पहले साल में ही हासिल हुआ.

उन्होंने कहा ‘आम तौर पर हम अन्य देशों में देखते हैं कि जब सुधार शुरु होता है तो पहले साल में गतिविधियां नरम होती हैं फिर दूसरे और तीसरे साल में तेज गतिविधि नजर आती है. भारत में पहले साल में ही तेज गतिविधि नजर आई है. इसलिए उम्मीद बहुत बढ जाती है.’ बहरहाल, उन्हें लगता है कि अभी बहुत लंबा सफर तय करना है.

उन्होंने कहा ‘भारत में लघु एवं मध्यम आकार की कंपनियों के लिए कारोबार सुगम बनाने के लिए नौकशाही से जुडी लागत कम करने में गंभीर रचि दिखती है. बहरहाल, यह समझना महत्वपूर्ण है कि यह बस शुरआत है. अभी लंबा सफर तय करना है.’ बसु ने एक सवाल के जवाब में कहा कि तीन ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें भारत को सुधार और पहलों की जरुरत है.

उन्होंने कहा ‘पहले भारत को हस्तांतरण लागत कम करने और नौकरशाही से जुडी बाधाएं कम करने की जरुरत है जो व्यक्तियों तथा लघु उपक्रमों के आडे आती हैं.’ उन्होंने कहा ‘दूसरे भारत को बेहतर बुनियादी ढांचे – सडक, रेलवे, बंदरगाह – की जरुरत है. बुनियादी ढांचा निवेश में सुधार होता रहा है. लेकिन गतिविधि बरकरार रखने की जरुरत है.’

उन्होंने कहा ‘तीसरी चीज है, समावेशीकरण. भारत विविधीकृत समाज है और आपको ऐसी नीतियां चाहिए कि सभी समूहों को लगे कि वे पूरी प्रक्रिया का हिस्सा है, समाज के अंग हैं. इसमें वंचितों के लिए स्वास्थ्य और शैक्षणिक मदद भी शामिल है.’

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