नयी दिल्ली : विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दुनिया भर के देशों से तंबाकू उत्पादों की खपत को कम करने के लिए दुनियाभर के देशों से इन पर करों में बढोतरी करने को कहा. डब्ल्यूएचओ की आज जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने 2012-14 के दौरान सिगरेट पर कर बढाया जरुर है लेकिन लोगों की आय में वृद्धि कहीं अधिक होने से कर की मामूली बढोतरी से तंबाकू उत्पादों की खपत में कोई खास कमी नहीं आयी.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ‘वैश्विक तंबाकू महामारी 2015’ रिपोर्ट आज मनीला में जारी की. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन, भारत, इंडोनेशिया व वियतनाम जैसे देशों में सिगरेट लोगों के लिए अपेक्षाकृत अधिक सस्ती हुई है. इन देशों में सिगरेट कीमतें व उस पर लगने वाला कर या पुराने स्तर पर कायम है या फिर उसमें मामूली बढोतरी हुई है. कर की तुलना में लोगों की आय ज्यादा बढी है. इसमें कहा गया है कि ‘बहुत कम’ सरकारें सिगरेट और तंबाकू के अन्य उत्पादों पर उचित स्तर के कर लगाती हैं.
इस तरह सरकारें तंबाकू की मांग पर रोक लगा कर लोगों की जिंदगी बचाने का एक आजमाया हुआ और सस्ता उपाय करने से चूक जाती हैं. रिपोर्ट में भारत में सिगरेट पर बहुस्तरीय कराधान प्रणाली की खामी का उल्लेख किया गया है और कहा गया है कि इससे सिगरेट की खपत कम करने के प्रयास ढीले पड जाते हैं. रपट में ऐसी शुल्क प्रणाली की जगह सरल कर व्यवस्था की वकालत की गई है.
इसमें कहा गया है कि भारत में सिगरेट की लंबाई और उसमें फिल्टर होने या नहीं होने के हिसाब से इन पर उत्पाद शुल्क की सात दरें लागू हैं और इन्हीं अलग-अलग करों की वजह से खपत कम कराने के उपाय ढीले पड जाते हैं. डब्ल्यूएचओ के दक्षिण पूर्वी एशिया मामलों के एक शीर्ष अधिकारी ने रिपोर्ट जारी किये जाने के बाद कहा कि भारत का व्यापक तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम अब समूचे देश तक फैल चुका है.
उन्होंने साथ ही कर उपायों में सुधार, मजबूत कानून प्रवर्तन और रोक के अपने प्रयासों को और बढाने की वकालत की. रिपोर्ट जारी किये जाने के बाद डब्ल्यूएचओ के दक्षिण पूर्व एशिया मामलों की क्षेत्रीय निदेशक पूनम क्षेत्रपाल सिंह ने कहा, ‘आज जारी डब्ल्यूएचओ वैश्विक तंबाकू रिपोर्ट दर्शाती है कि साल 2012 और 2014 के बीच बांग्लादेश, भारत और मालदीव ने सिगरेट पर कर बढाने में प्रगति की है.’
सिंह ने कहा, ‘भारत के व्यापक तंबाकू नियंत्रण कार्यक्रम का पूरे देश में प्रसार कर दिया गया है.’ उन्होंने कहा कि तंबाकू से हर साल तकरीबन 60 लाख लोगों की मौत होती है. उनमें से 20 फीसदी लोग इस क्षेत्र से आते हैं. दुनिया में धूम्रपान करने वालों में से 25 फीसदी इस क्षेत्र में रहते हैं और तकरीबन 90 फीसदी घूम्ररहित तंबाकू उत्पादों का इस्तेमाल करने वाले इस क्षेत्र में रहते हैं.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.