नयी दिल्ली : यूनान के मतदाताओं द्वारा ऋणदाताओं के राहत पैकेज के प्रस्ताव को खारिज किये जाने के बाद बाजारों में डर के बीच सरकार ने आज कहा कि भारत इस संकट से भली भांति सुरक्षित है लेकिन विदेशी निवेश की निकासी हुई तो रुपये पर असर पड सकता है.
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीइए) अरविंद सुब्रह्मण्यम ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘यह एक नाटक है जो अभी कुछ समय तक चलेगा. हम कम से कम तीन तरीकों से बहुत अच्छी तरह से सुरक्षित हैं. हमारी वृहद आर्थिक स्थिति काफी मजबूत है. हमारे पास (विदेशी) मुद्रा भंडार है. हमारी अर्थव्यवस्था अब भी निवेश का एक आकर्षक स्थान है. इसलिए मेरी राय में हम भली भांति बचे हुए हैं.’
उल्लेखनीय है कि यूनान के लोगों ने जनमत संग्रह में रिणदाताओं के राहत पैकेज को कल खारिज कर दिया जिससे उसकी यूरो क्षेत्र की सदस्यता पर आशंका के बादल मंडराने लगे हैं. उन्होंने कहा, ‘जहां तक संकट का सवाल है तो यह लंबा और दीर्घकाल तक चलेगा. जर्मन व फ्रांस के राष्ट्र प्रमुखों की कल बडी बैठक होने वाली है. देखते हैं, अब यूरोप को प्रतिक्रिया देनी है.’
इस संकट के भारतीय अर्थव्यवस्था पर संभावित असर के बारे में उन्होंने कहा, ‘इस तरह के हालात में आमतौर पर डालर, सुरक्षित गंतव्यों की ओर जाता है. इसका असर रुपये पर भी पड सकता है. लेकिन अभी तक कुछ भी असामान्य नहीं है. सुब्रह्मण्यम ने कहा कि संकट के सामने आने के साथ ही, ‘वित्तीय बाजारों में उतार चढाव होने वाला है. इसीबी व फेड को इस पर ध्यान देना होगा.’
वहीं वित्त सचिव राजीव महर्षि ने कहा कि सरकार हालात पर करीबी निगाह रखे हुए है क्योंकि भारत पर अप्रत्यक्ष रूप से असर पड सकता है. उन्होंने कहा, ‘हमें देखना होगा कि अब यूरो का रुख क्या रहता है. हम यूनान के हालात पर करीबी निगाह रखे हैं. फेड (बैंक) की ब्याज दर बढोतरी पर कुछ असर हो सकता है.
उन्होंने कहा, ‘भारत पर कुछ अप्रत्यक्ष रुप से असर हो सकता है.’ महर्षि ने अपनी इस टिप्पणी की व्याख्या नहीं की. आज शुरुआती कारोबार में मुंबई शेयर बाजार का सेंसेक्स 250 अंक गिर कर 28,000 से नीचे आ गया था. वाणिज्य सचिव राजीव खेर ने कुछ दिन पहले कहा था कि यदि यूनान संकट से यूरोपीय संघ प्रभावित हुआ तो भारत के निर्यात पर असर हो सकता है. पर उन्होंने भी यूनान का भारत पर सीधा असर होने की संभावना से इनकार किया था.
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