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पेट्रोल-डीजल के वाहनों को हटाकर हाइब्रिड वाहनों को लाने से 14,000 करोड़ की होगी बचत : गीते
नयी दिल्ली : भारी उपक्रम एवं लोक उपक्रम मंत्री अनंत गीते ने आज कहा कि पेट्रोल-डीजल के वाहनों को चरणबद्ध तरीके से आधुनिक प्रौद्योगिकियों वाले वाहनों से बदलने से शुद्ध रुप से 14,000 करोड रुपये की बचत की जा सकती है. गीते के इस बयान को आने वाले दिनों में सरकार की वाहन संबंधी प्रदूषण […]
नयी दिल्ली : भारी उपक्रम एवं लोक उपक्रम मंत्री अनंत गीते ने आज कहा कि पेट्रोल-डीजल के वाहनों को चरणबद्ध तरीके से आधुनिक प्रौद्योगिकियों वाले वाहनों से बदलने से शुद्ध रुप से 14,000 करोड रुपये की बचत की जा सकती है. गीते के इस बयान को आने वाले दिनों में सरकार की वाहन संबंधी प्रदूषण को रोकने की नीति की शुरुआत के तौर पर देखा जा सकता है.
गौरतलब है कि देश का ग्रीन ट्रिब्यूनल पहले ही दिल्ली और देश के अन्य प्रमुख शहरों में पुरानी गाड़ियों के परिचालन पर रोक लगाने की घोषणा कर चुका है. इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जलवायु एवं पर्यावरण संबंधी बातचीत और संधियों की वजह से भी भारत जैसे बड़े देश पर भविष्य में वाहनों को स्वच्छ ईंधन से चलाये जाने का दबाव बढ़ता जा रहा है. सरकार की नयी वाहन नीति को भी भविष्य की जरूरतों के हिसाब से और अंतर्राष्ट्रीय पैमाने के अनुसार तैयार किया गया है.
गीते ने आज यहां इलेक्ट्रिक व हाइब्रिड वाहनों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. इस रैली का मकसद विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर आम जनता को भारत में हाइब्रिड व इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अंगीकार व विनिर्मित करने की योजना (फेम इंडिया) के बारे में जागरुक करना है.
गीते ने कहा कि इस योजना से इलेक्ट्रिक व हाइब्रिड वाहनों के इस्तेमाल को प्रोत्साहन मिलेगी. खरीदारों को 30 प्रतिशत की सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी. उन्होंने वाहन कंपनियों से मेक इन इंडिया पहल के तहत इस योजना में शामिल होने की अपील की.
इस मौके पर केंद्रीय पर्यावरण व वन मंत्री प्रकाश जावडेकर भी मौजूद थे. उन्होंने कहा कि इस अभियान से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कार्बन उत्सर्जन को कम करने के भारत के रुख को मजबूती मिलेगी. सरकार ने अप्रैल में औपचारिक तौर पर फेम इंडिया कार्यक्रम का शुभारंभ किया था. इस योजना का क्रियान्वयन छह साल के दौरान 2020 तक किया जाना है.
इसके तहत सालाना इलेक्ट्रिक व हाइब्रिड वाहनों की 60 से 70 लाख इकाइयों की बिक्री का लक्ष्य है. पहले चरण का क्रियान्वयन दो साल 2015-16 और 2016-17 में किया जाएगा. पहले दो वित्त वर्षों के लिए सरकार ने इस योजना के तहत 795 करोड रुपये आवंटित किए हैं. सरकार ने इस साल के बजट में पहले ही शुरुआती 75 करोड रुपये के खर्च को मंजूरी दे दी है.
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