वाशिंगटन : रुपये में अप्रत्याशित गिरावट भारत के लिए चुनौती और अवसर दोनों है. यह बात अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने कही है.आईएमएफ के प्रवक्ता जेरी राईस ने कल कहा, मौजूदा स्थिति निश्चित तौर पर भारत सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण है पर साथ ही यह सरकार के लिए विभिन्न क्षेत्रों में अपनी नीतिगत पहल जारी रखने का अवसर भी.
राइस ने कहा कि वह, भारत की नीतिगत आवश्यकताओं के संबंध में कोई कयास नहीं लगाना चाहते. उनसे उन अटकालबाजियों के बारे में सवाल किया गया था कि भारत अपनी मुद्रा को संभालने के लिए आईएमएफ को सोना बेचने आ सकता है.
राईस ने एक सवाल के जवाब में कहा,लेकिन भारत में बड़े राजकोषीय घाटे व चालू खाते के बढ़ते घाटे, उच्च मुद्रास्फीति, बगैर हेजिंग वाले कार्पोरेट विदेशी ऋण और विदेशी संस्थागत निवेशकों के निवेश पर निर्भरता लंबे समय से समस्या बनी हुई है. वैश्विक स्तर पर नकदी कम होने के कारण ये समस्याएं बढ़ गई हैं. इससे स्पष्ट रुप से बाजार का भरोसा प्रभावित हुआ है. अमेरिका भारत व्यापार परिषद (यूएसआईबीसी) के अध्यक्ष रॉन सोमर्स ने भारत में निवेशकों का भरोसा बहाल करने की पहल पर जोर दिया. सोमर्स ने कहा,भारत का साहसी नेतृत्व अर्थव्यवस्था को खोले हुए है और सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहा है जिससे रपए की नरमी को रोकने में मदद मिलेगी.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.