नयी दिल्ली: मुद्रास्फीति में आ रही गिरावट की वजह से अब रिजर्व बैंक के पास मौद्रिक नीति में अधिक नरम रख अपनाने का विकल्प है. चालू साल की पहली छमाही में केंद्रीय बैंक नीतिगत दरों में आधा फीसद की कटौती कर सकता है. विशेषज्ञों ने यह राय जाहिर की है.
वैश्विक ब्रोकरेज कंपनियों मसलन बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच, बार्कलेज, सिटीग्रुप व एचएसबीसी का मानना है कि 2015 में पूरे साल के दौरान मुद्रास्फीति अनुकूल बनी रहेगी. उनका कहना है कि हालांकि मानसून को लेकर जोखिम की संभावना बनी रहेगी, लेकिन जिंसों के दाम नीचे आने की वजह से मुद्रास्फीति नरम रहेगी.
एचएसबीसी के एक अनुसंधान नोट में कहा गया है कि केंद्रीय बैंक मार्च-अप्रैल में नीतिगत दरों में चौथाई फीसद की कटौती करेगा. उसके बाद जून में भी 0.25 प्रतिशत की और कटौती हो सकती है.
बोफा-एमएल के शोध नोट में कहा गया है कि गवर्नर रघुराम राजन सात अप्रैल को मौद्रिक समीक्षा में ब्याज दरों में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकते हैं. इसके बाद जून में भी इतनी ही कटौती हो सकती है.
सिटीग्रुप के शोध नोट में कहा गया है कि फिलहाल व अनुकूल मुद्रास्फीति और आम बजट से बनने वाली उम्मीदों की वजह से ब्याज दरों में कुल मिलाकर 0.75 प्रतिशत की कटौती के अपने अनुमान पर कायम है. हालांकि, उसे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आंकडों तथा उत्पादन में अंतर पर रिजर्व बैंक की व्याख्या का इंतजार है.
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