मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक का मानना है कि सोने के आयात को हतोत्साहित करने के लिए हाल में उठाए गए कदमों से इस वित्त वर्ष 2013-14 में चालू खाते का घाटा (कैड) नीचे आएगा. इसके अलावा वैश्विक स्तर पर जिंस कीमतों में कमी से भी इसे नीचे लाने में मदद मिलेगी. रिजर्व बैंक ने अपनी मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा में आज कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर जिंस कीमतों में नरमी तथा सोने के आयात को हतोत्साहित करने के लिए हाल में उठाए गए कदमों से 2013-14 में चालू खाते के घाटे को मौजूदा स्तर से नीचे लाने में मदद मिलेगी.’’ किसी अवधि में विदेश के साथ सामान्य लेन देन में देनदारी अधिक होने की स्थिति चालू खाते का घाटा है. 2012-13 में इसके सकल घरेलू उत्पाद का 5 प्रतिशत रहने का अनुमान है. अक्तूबर-दिसंबर की तिमाही में यह 6.7 प्रतिशत के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया था.
रिजर्व बैंक ने कहा कि सोने की सीजनल या त्योहारी मांग की वजह से अप्रैल-मई में व्यापार घाटा बढ़ा है. केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘‘उपलब्ध साक्ष्यों से पता चलता है कि जून में सोने का आयात घटेगा.’’ आज जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार मई में व्यापार घाटा बढ़कर 20.1 अरब डालर पर पहुंच गया है, जो एक माह पहले 17.8 अरब डालर पर था. मई में सोने और चांदी का आयात कुल मिलाकर लगभग 90 प्रतिशत बढ़कर 8.4 अरब डालर रहा. इस बार अप्रैल-मई में कुल मिलाकर बहुमूल्य धातुओं का आयात 15.88 अरब डालर रहा.
सरकार एक साल में सोने पर आयात शुल्क तीन बार बढ़ा चुकी है. हाल में इसे 2 प्रतिशत बढ़ाकर 8 प्रतिशत किया गया है. रिजर्व बैंक ने भी बैंकों के सोने के आयात पर प्रतिबंध लगाया है. रिजर्व बैंक ने कहा कि मुख्य चुनौती चालू खाते के घाटे को टिकाउ स्तर पर लाने की होगी. सोने के भारी आयात से देश के चालू खाते के घाटे पर दबाव बना है जिससे रपये का मूल्य प्रभावित हो रहा है.
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