नयी दिल्ली : सरकार ने पवन हंस की बिक्री प्रक्रिया चुनाव तक रोकने का फैसला किया है. इसका कारण हेलीकॉप्टर सेवा प्रदाता को खरीदने को लेकर केवल एक निवेशक का वित्तीय बोली जमा करना है. सरकार की हेलीकॉप्टर सेवा प्रदाता पवन हंस में 51 फीसदी हिस्सेदारी है और शेष 49 फीसदी ओएनजीसी के पास है. निवेशकों के पास पवन हंस में 100 फीसदी हिस्सेदारी के लिए वित्तीय बोली जमा करने को लेकर छह मार्च की समयसीमा थी.
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एक अधिकारी ने कहा कि पवन हंस के सौदा परामर्शदाता ने हमें सूचित किया है कि केवल एक बोली आयी है. इस बारे में निर्णय करना है कि क्या एक बोलीदाता के साथ आगे बढ़ा जाये या पूरी निविदा प्रक्रिया फिर से शुरू की जाये. चुनाव समाप्त होने तथा नयी सरकार के गठन तक इंतजार करने का फैसला किया गया है.
सात चरणों में हो रहा आम चुनाव 23 मई को पूरा होगा. निवेश और लोक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) द्वारा तैयार रणनीतिक निवेश नीति के तहत वित्त मंत्री की अगुवाई वाला वैकल्पिक व्यवस्था को इस बारे में निर्णय करना होगा कि क्या वह एक बोलीदाता के साथ आगे बढ़ना चाहती है या फिर नये सिरे से बाली मंगाना चाहेगी.
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