बढ़ती महंगाई से पार पाने के लिए इक्विटी में निवेश करना जरूरी
जो म्यूचुअल फंड योजनाएं कंपनियों के इक्विटी शेयरों में निवेश करती हैं, उन्हें इक्विटी म्यूचुअल फंड कहा जाता है. एक परिसंपत्ति के रूप में, इक्विटी में स्वीकार्य जोखिम के दायरे में ऊंचा रिटर्न देने की क्षमता है. लेकिन असली चुनौती इक्विटी बाजार का व्यवहार समझना है. यह उतार-चढ़ाव से भरा है, इसके बावजूद इक्विटी ने बीते 10, 15 सालों या इससे ज्यादा अवधि में अन्य परिसंपत्तियों के मुकाबले सबसे बढ़िया रिटर्न दिया है. बीते 10 सालों में इक्विटी फंडों का औसत रिटर्न 20 फीसदी से ज्यादा रहा है. इसलिए अगर आप लंबे समय के लिए निवेश कर रहे हैं, तो आपके पोर्टफोलियो में इक्विटी जरूर होनी चाहिए.
इक्विटी फंड छोटी अवधि के लिए नहीं होते, क्योंकि छोटी अवधि में इक्विटी में निवेश काफी जोखिम भरा होता है. उदाहरण के लिए, पिछले कुछ सालों में शेयर बाजार बहुत अस्थिर रहा है. ऐसे हालात में छोटी अवधि के अनेक निवेशकों की असल पूंजी भी मार खा गयी. लेकिन जो लंबे समय के निवेशक हैं, उन्हें इन हालात के बावजूद अच्छा रिटर्न मिला है. लंबी अवधि में दौलत बनाने के लिए, यह भी जरूरी है कि आप अपनी बचत ऐसी परिसंपत्तियों में लगायें जो महंगाई या मुद्रास्फीति की दर से ज्यादा रिटर्न दे सकें. अन्यथा, महंगाई दर आपके रिटर्न को निगल जायेगी और आप उतना कोष संचित नहीं कर पायेंगे, जितना आपके लिए होना चाहिए. आपकी जोखिम लेने की क्षमता चाहे और बचत का आकार चाहे जो हो, आपको इक्विटी वाले उत्पादों में जरूर निवेश करना चाहिए, ताकि आप महंगाई के प्रभाव को काट सकें.
कुल मिला कर इक्विटी में निवेश का मूल मंत्र है, लंबी अवधि. लेकिन, लंबी अवधि तक निवेशित रहने के लिए जरूरी है कि आप कम उम्र से ही बचत शुरू करें, चाहे वह छोटी राशि ही हो. इक्विटी में निवेश की शुरुआत म्यूचुअल फंड से ही करना बेहतर होता है. बिना जानकारी के या बहुत कम जानकारी के साथ शेयर बाजार में निवेश करना भारी नुकसान की वजह बन सकता है.
इक्विटी में विकल्प
इक्विटी म्यूचुअल फंड कई रूपों में उपलब्ध हैं, जो इस बात पर निर्भर है कि वे पोर्टफोलियो बनाने के लिए किस तरह के शेयरों में निवेश करते हैं. बता दें कि हर म्यूचुअल फंड योजना के लिए जोखिम का स्तर भी भिन्न होता है. म्यूचुअल फंड योजना के लक्ष्य के अनुरूप, फंड मैनेजर छोटी, मझोली या बड़ी कंपनियों के शेयरों या इनके कांबीनेशन में निवेश करता है. हर फंड का एक तय लक्ष्य और जोखिम-प्रतिफल अनुपात होता है. फंड से अच्छे नतीजे पाने के लिए आपको अपने वित्तीय लक्ष्य के अनुरूप फंड का चयन करना होगा.
लार्ज कैप : आम तौर पर, लार्ज कैप म्यूचुअल फंड योजनाएं ऐसी कंपनियों के शेयरों में निवेश करती हैं, जिनका बाजार पूंजीकरण (शेयर का बाजार भाव गुणा कुल शेयरों की संख्या) 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा होता है. ये फंड टॉप 30, 50, 100, 200 शेयरों में विभिन्न सेक्टरों के विविधीकरण का ध्यान रखते हुए पैसा लगाते हैं. उन्हीं शेयरों का चयन किया जाता है, जिनमें कारोबार खूब ज्यादा होता है, ताकि तरलता को लेकर कोई समस्या न हो. लार्ज कैप फंड विविधीकृत इक्विटी फंडों में सबसे कम जोखिम वाले होते हैं. क्योंकि, यह माना जाता है कि बड़ी कंपनियों के शेयरों के बारे में पूरी छानबीन की गयी होती है.
शेयर बाजार जब तेजी के दौर में होता है, तब लार्ज कैप फंड पुख्ता बढ़त दर्ज करते हैं और जब बाजार में मंदी का दौर होता है, तो इनमें अपेक्षाकृत कम गिरावट आती है. आपके निवेश पोर्टफोलियो का सबसे बड़ा हिस्सा ऐसे ही फंड होने चाहिए.
मिड एंड स्माल कैप : जो म्यूचुअल फंड योजनाएं 1000 करोड़ से 5000 करोड़ रुपये बाजार पूंजीकरण वाले शेयरों में निवेश करती हैं, मिड कैप फंड कहलाती हैं. स्माल कैंप फंड 1000 करोड़ रुपये से कम बाजार पूंजीकरण वाले शेयरों को लक्ष्य करते हैं. मिड और स्माल कैप फंड में ज्यादा जोखिम होता है, क्योंकि ये अपेक्षाकृत छोटी कंपनियों में निवेश करते हैं.
ऐसी कंपनियां अभी विकास के दौर में होती हैं और इनके बारे में उतनी पुख्ता सूचनाएं भी नहीं होती हैं. लेकिन ऐसी कंपनियों में ज्यादा रिटर्न पाने का अवसर भी होता है. मिड और स्माल कैप श्रेणी लंबी अवधि के ऐसे निवेशकों के लिए बेहतर होती है, जो ज्यादा रिटर्न के लिए ज्यादा जोखिम उठाना चाहते हैं. आप मिड और स्माल कैप फंड में निवेश करें, इससे पहले यह समझ लें कि ये आपके निवेश पोर्टफोलियो की बुनियाद बनने लायक नहीं होते. रिटर्न बढ़ाने के लिए, इन्हें अपनी जोखिम क्षमता के हिसाब से एक सीमा तक ही अपने पोर्टफोलियो में शमिल करना चाहिए.
मल्टी कैप : हर कोई लार्ज कैप को मुख्य भूमिका में चाहता है, लेकिन साथ ही मिड कैप के ऊंचे रिटर्न से भी आकर्षित होता रहता है. शेयर बाजार के किसी दौर में लार्ज कैप तेजी से छलांग लगाते हैं, तो किसी दौर में मिड कैप. अगर आप दोनों का फायदा उठाना चाहते हैं, तो मल्टी कैप फंड का चयन कर सकते हैं. इस तरह के फंड हर तरह के बाजार पूंजीकरण वाले शेयरों में निवेश करते हैं, जिनमें लाजर्, मिड और कुछ हद तक स्माल कैप शामिल हो सकते हैं.
डेट फंड को न भूलें
जिस दौर में आप जोखिम नहीं लेना चाहते हैं, उस दौर में आप डेट फंड का सहारा ले सकते हैं. जब आप अपने तय लक्ष्य से तीन साल पीछे रह जायें, तब पैसे को अस्थिर इक्विटी से कम उतार-चढ़ाव वाले डेट फंड में शिफ्ट करना शुरू करें. आप इक्विटी फंड से डेट फंड में शिफ्टिंग एकमुश्त या फिर सिस्टमेटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी) के जरिये कर सकते हैं. एसटीपी व्यवस्था (मैंडेट) के जरिये आपका पैसा नियमित अंतराल (जैसे मासिक या तिमाही) पर इक्विटी फंड से उसी हाउस के या दूसरे हाउस के डेट फंट में शिफ्ट होना शुरू हो जायेगा.
सेवानिवृत्ति लोगों को नियमित आय : डेट फंड सेवानिवृत्त लोगों के लिए भी उपयोगी है, खास कर जिन्हें नियमित आय की जरूरत है. इसके लिए सिस्टमेटिक विदड्रॉल प्लान (एसडब्ल्यूपी) का इस्तेमाल करें, जो नियमित आय पाने के लिए अधिकतर डेट योजनाओं में उपलब्ध होता है. बुनियादी तौर पर, यह भुगतान प्लान होता है, जो आपके निवेश में से पूर्व-निर्धारित राशि निश्चित समय अंतराल पर निकालने की अनुमति देता है. एसडब्ल्यूपी में दो विकल्प हैं- सुनिश्चित निकासी और वृद्धि निकासी. सुनिश्चित निकासी में जो राशि आप नियमित अंतराल पर निकालते रहना चाहते हैं, उसे निर्दिष्ट करना पड़ता है. वृद्धि निकासी में आप बढ़ी हुई राशि को निकाल सकते हैं.
कर बचत वाले म्यूचुअल फंड
कई म्यूचुअल फंड योजनाएं आयकर की बचत करने में भी आपकी मददगार होती हैं. ऐसी योजनाओं को इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (इएलएसएस) कहा जाता है. इनमें निवेश पर आयकर छूट मिलती है, जो आयकर कानून की धारा 80सी के तहत मिलनेवाली एक लाख रुपये तक की छूट के दायरे में आती है. नये निवेशकों के लिए इएलएसएस काफी बढ़िया हैं, क्योंकि ये कर बचत के अलावा छोटी लॉक -इन अवधि के साथ बाजार से जुड़े रिटर्न का फायदा देते हैं.
तकनीकी रूप से, इएलएसएस किसी भी विविधीकृत इक्विटी म्यूचुअल फंड की तरह होते हैं. इन्हें भी पेशेवर फंड मैनेजर प्रबंधित करते हैं. बस ये इस मामले में अलग होते हैं कि इनमें निवेश पर आयकर लाभ मिलता है और इनमें तीन साल का लॉक -इन होता है. इएलएसएस में निवेश से पहले देखें कि आपकी कर देयता कितनी बनती है और 80सी के तहत आपके अन्य निवेश क्या हैं. मान लीजिए आप पीपीएफ, इपीएफ आदि के जरिये 60 हजार रुपये निवेश कर रहे हैं, तो आप इएलएसएस में सिर्फ 40 हजार के निवेश पर कर कटौती का लाभ ले पायेंगे. इएलएसएस में भी एसआइपी के जरिये ही निवेश करना बेहतर है.
इक्विटी फंड छोटी अवधि के लिए नहीं होते, क्योंकि छोटी अवधि में इक्विटी में निवेश काफी जोखिम भरा होता है. उदाहरण के लिए, पिछले कुछ सालों में शेयर बाजार बहुत अस्थिर रहा है. ऐसे हालात में छोटी अवधि के अनेक निवेशकों की असल पूंजी भी मार खा गयी. लेकिन जो लंबे समय के निवेशक हैं, उन्हें इन हालात के बावजूद अच्छा रिटर्न मिला है.
लंबी अवधि में दौलत बनाने के लिए, यह भी जरूरी है कि आप अपनी बचत ऐसी परिसंपत्तियों में लगायें जो महंगाई या मुद्रास्फीति की दर से ज्यादा रिटर्न दे सकें. अन्यथा, महंगाई दर आपके रिटर्न को निगल जायेगी और आप उतना कोष संचित नहीं कर पायेंगे, जितना आपके लिए होना चाहिए. आपकी जोखिम लेने की क्षमता चाहे और बचत का आकार चाहे जो हो, आपको इक्विटी वाले उत्पादों में जरूर निवेश करना चाहिए, ताकि आप महंगाई के प्रभाव को काट सकें.
कुल मिला कर इक्विटी में निवेश का मूल मंत्र है, लंबी अवधि. लेकिन, लंबी अवधि तक निवेशित रहने के लिए जरूरी है कि आप कम उम्र से ही बचत शुरू करें, चाहे वह छोटी राशि ही हो. इक्विटी में निवेश की शुरुआत म्यूचुअल फंड से ही करना बेहतर होता है. बिना जानकारी के या बहुत कम जानकारी के साथ शेयर बाजार में निवेश करना भारी नुकसान की वजह बन सकता है.
इक्विटी में विकल्प
इक्विटी म्यूचुअल फंड कई रूपों में उपलब्ध हैं, जो इस बात पर निर्भर है कि वे पोर्टफोलियो बनाने के लिए किस तरह के शेयरों में निवेश करते हैं. बता दें कि हर म्यूचुअल फंड योजना के लिए जोखिम का स्तर भी भिन्न होता है. म्यूचुअल फंड योजना के लक्ष्य के अनुरूप, फंड मैनेजर छोटी, मझोली या बड़ी कंपनियों के शेयरों या इनके कांबीनेशन में निवेश करता है. हर फंड का एक तय लक्ष्य और जोखिम-प्रतिफल अनुपात होता है. फंड से अच्छे नतीजे पाने के लिए आपको अपने वित्तीय लक्ष्य के अनुरूप फंड का चयन करना होगा.
लार्ज कैप : आम तौर पर, लार्ज कैप म्यूचुअल फंड योजनाएं ऐसी कंपनियों के शेयरों में निवेश करती हैं, जिनका बाजार पूंजीकरण (शेयर का बाजार भाव गुणा कुल शेयरों की संख्या) 5000 करोड़ रुपये से ज्यादा होता है. ये फंड टॉप 30, 50, 100, 200 शेयरों में विभिन्न सेक्टरों के विविधीकरण का ध्यान रखते हुए पैसा लगाते हैं. उन्हीं शेयरों का चयन किया जाता है, जिनमें कारोबार खूब ज्यादा होता है, ताकि तरलता को लेकर कोई समस्या न हो. लार्ज कैप फंड विविधीकृत इक्विटी फंडों में सबसे कम जोखिम वाले होते हैं. क्योंकि, यह माना जाता है कि बड़ी कंपनियों के शेयरों के बारे में पूरी छानबीन की गयी होती है.
बाजार जब तेजी के दौर में होता है, तब लार्ज कैप फंड पुख्ता बढ़त दर्ज करते हैं और जब बाजार में मंदी का दौर होता है, तो इनमें अपेक्षाकृत कम गिरावट आती है. आपके निवेश पोर्टफोलियो का सबसे बड़ा हिस्सा ऐसे ही फंड होने चाहिए.
मिड एंड स्माल कैप : जो म्यूचुअल फंड योजनाएं 1000 करोड़ से 5000 करोड़ रुपये बाजार पूंजीकरण वाले शेयरों में निवेश करती हैं, मिड कैप फंड कहलाती हैं. स्माल कैंप फंड 1000 करोड़ रुपये से कम बाजार पूंजीकरण वाले शेयरों को लक्ष्य करते हैं. मिड और स्माल कैप फंड में ज्यादा जोखिम होता है, क्योंकि ये अपेक्षाकृत छोटी कंपनियों में निवेश करते हैं. ऐसी कंपनियां अभी विकास के दौर में होती हैं और इनके बारे में उतनी पुख्ता सूचनाएं भी नहीं होती हैं. लेकिन ऐसी कंपनियों में ज्यादा रिटर्न पाने का अवसर भी होता है. मिड और स्माल कैप श्रेणी लंबी अवधि के ऐसे निवेशकों के लिए बेहतर होती है, जो ज्यादा रिटर्न के लिए ज्यादा जोखिम उठाना चाहते हैं. आप मिड और स्माल कैप फंड में निवेश करें, इससे पहले यह समझ लें कि ये आपके निवेश पोर्टफोलियो की बुनियाद बनने लायक नहीं होते. रिटर्न बढ़ाने के लिए, इन्हें अपनी जोखिम क्षमता के हिसाब से एक सीमा तक ही अपने पोर्टफोलियो में शमिल करना चाहिए.
मल्टी कैप : हर कोई लार्ज कैप को मुख्य भूमिका में चाहता है, लेकिन साथ ही मिड कैप के ऊंचे रिटर्न से भी आकर्षित होता रहता है. शेयर बाजार के किसी दौर में लार्ज कैप तेजी से छलांग लगाते हैं, तो किसी दौर में मिड कैप. अगर आप दोनों का फायदा उठाना चाहते हैं, तो मल्टी कैप फंड का चयन कर सकते हैं. इस तरह के फंड हर तरह के बाजार पूंजीकरण वाले शेयरों में निवेश करते हैं, जिनमें लाजर्, मिड और कुछ हद तक स्माल कैप शामिल हो सकते हैं.
डेट फंड को न भूलें
जिस दौर में आप जोखिम नहीं लेना चाहते हैं, उस दौर में आप डेट फंड का सहारा ले सकते हैं. जब आप अपने तय लक्ष्य से तीन साल पीछे रह जायें, तब पैसे को अस्थिर इक्विटी से कम उतार-चढ़ाव वाले डेट फंड में शिफ्ट करना शुरू करें. आप इक्विटी फंड से डेट फंड में शिफ्टिंग एकमुश्त या फिर सिस्टमेटिक ट्रांसफर प्लान (एसटीपी) के जरिये कर सकते हैं. एसटीपी व्यवस्था (मैंडेट) के जरिये आपका पैसा नियमित अंतराल (जैसे मासिक या तिमाही) पर इक्विटी फंड से उसी हाउस के या दूसरे हाउस के डेट फंट में शिफ्ट होना शुरू हो जायेगा.
सेवानिवृत्ति लोगों को नियमित आय : डेट फंड सेवानिवृत्त लोगों के लिए भी उपयोगी है, खास कर जिन्हें नियमित आय की जरूरत है. इसके लिए सिस्टमेटिक विदड्रॉल प्लान (एसडब्ल्यूपी) का इस्तेमाल करें, जो नियमित आय पाने के लिए अधिकतर डेट योजनाओं में उपलब्ध होता है. बुनियादी तौर पर, यह भुगतान प्लान होता है, जो आपके निवेश में से पूर्व-निर्धारित राशि निश्चित समय अंतराल पर निकालने की अनुमति देता है. एसडब्ल्यूपी में दो विकल्प हैं- सुनिश्चित निकासी और वृद्धि निकासी. सुनिश्चित निकासी में जो राशि आप नियमित अंतराल पर निकालते रहना चाहते हैं, उसे निर्दिष्ट करना पड़ता है. वृद्धि निकासी में आप बढ़ी हुई राशि को निकाल सकते हैं.
कर बचत वाले म्यूचुअल फंड
कई म्यूल फंड योजनाएं आयकर की बचत करने में भी आपकी मददगार होती हैं. ऐसी योजनाओं को इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (इएलएसएस) कहा जाता है. इनमें निवेश पर आयकर छूट मिलती है, जो आयकर कानून की धारा 80सी के तहत मिलनेवाली एक लाख रुपये तक की छूट के दायरे में आती है. नये निवेशकों के लिए इएलएसएस काफी बढ़िया हैं, क्योंकि ये कर बचत के अलावा छोटी लॉक -इन अवधि के साथ बाजार से जुड़े रिटर्न का फायदा देते हैं.
तकनीकी रूप से, इएलएसएस किसी भी विविधीकृत इक्विटी म्यूचुअल फंड की तरह होते हैं. इन्हें भी पेशेवर फंड मैनेजर प्रबंधित करते हैं. बस ये इस मामले में अलग होते हैं कि इनमें निवेश पर आयकर लाभ मिलता है और इनमें तीन साल का लॉक -इन होता है. इएलएसएस में निवेश से पहले देखें कि आपकी कर देयता कितनी बनती है और 80सी के तहत आपके अन्य निवेश क्या हैं. मान लीजिए आप पीपीएफ, इपीएफ आदि के जरिये 60 हजार रुपये निवेश कर रहे हैं, तो आप इएलएसएस में सिर्फ 40 हजार के निवेश पर कर कटौती का लाभ ले पायेंगे. इएलएसएस में भी एसआइपी के जरिये ही निवेश करना बेहतर है.
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